लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए की ओर से कॉमर्शियल नक्शों पर फोकस कर दिया गया है। स्पष्ट किया गया है कि पहले पार्किंग का स्पेस बताना होगा, उसके बाद नक्शे की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। जो भी कॉमर्शियल नक्शे प्राधिकरण के पास आएंगे, उन्हें तभी क्लीयरेंस मिलेगी, जब पार्किंग स्पेस की जगह क्लीयर होगी।

अभी स्थिति चिंताजनक

कई बड़ी कॉमर्शियल बिल्डिंग ऑन रोड हैैं लेकिन उनमें पार्किंग नहीं है। जबकि जब नक्शा पास कराया गया था तो उस दौरान पार्किंग का जिक्र किया गया था। यहां पार्किंग स्पेस पर भी निर्माण करा लिया गया।

तैयार हो रही है लिस्ट

अब सभी बड़े कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स की लिस्ट तैयार कराई जा रही है और देखा जा रहा है कि उनमें पार्किंग का स्टेटस क्या है। अगर पार्किंग की व्यवस्था है तो ठीक है अन्यथा बिल्डिंग मालिक को पार्किंग को लेकर व्यवस्था करनी होगी। अगर पार्किंग की व्यवस्था नहीं की जाती है तो कड़े कदम उठाए जाएंगे।

नक्शों के आधार पर सत्यापन

एलडीए की ओर से नक्शों के आधार पर पार्किंग प्लेस का सत्यापन कराया जाएगा। नक्शों के आधार पर सत्यापन कराने से यह फायदा होगा कि यह खुद ही पता लगाया जा सकेगा कि किन कॉमर्शियल बिल्डिंग में खेल किया गया है।

नक्शे को क्लीयरेंस

5 हजार स्क्वॉयर फिट से अधिक स्पेस वाले प्लॉट्स पर जो भी कॉमर्शियल डेवलपमेंट किया जाएगा, उसमें अब पार्किंग की अनिवार्यता रहेगी। जिसके बाद अब एलडीए के नक्शा सेल में जो भी नक्शे इस कैटेगरी में आएंगे, उन्हें पैरामीटर्स पर उतारा जाएगा। उसके बाद नक्शों को क्लीयरेंस मिलेगी। एलडीए की ओर से रो हाउसेस को लेकर भी चेकिंग टीमें गठित की गई है। आउटर एरिया में भी जो भी रो हाउसेस साइट्स डेवलप की जा रही हैैं, उनका नक्शा चेक किया जा रहा है।