लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू की ओपीडी में सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट दर्द व डायरिया आदि सामान्य लक्षणों वाले मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे मरीजों के अत्यधिक दबाव के कारण गंभीर मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, जो मेडिकल संस्थान के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, जबकि सामान्य बीमारी के मरीजों को नजदीकी अस्पतालों में ही मिलना चाहिए, ताकि केवल गंभीर समस्या के ही मरीज केजीएमयू आयें और उनको तुरंत इलाज मिल सके। इस समस्या को देखते हुए जल्द ही नई रणनीति बनाने पर काम किया जा रहा है। यह जानकारी बुधवार को होली मिलन समारोह के दौरान वीसी प्रो। सोनिया नित्यानंद ने दी।

सामान्य मरीजों का आना चिंता का विषय

आयोजन के दौरान वीसी प्रो। सोनिया नित्यानंद ने बताया कि संस्था में सात से आठ हजार मरीज रोजाना विभिन्न ओपीडी में आ रहे हैं। पर चिंता की बात यह है कि इसमें सामान्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसमें बुखार, सर्दी-खांसी, पेट में दर्द जैसी सामान्य बीमारी के मरीज ज्यादा होते हैं, जिसकी वजह से भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे मरीजों को स्थानीय सीएचसी-पीएचसी या जिला अस्पतालों में ही इलाज मिल जाना चाहिए। हालांकि, ऐसा न होने के कारण केजीएमयू आने वाले गंभीर मरीजों को देखने से लेकर जांच और इलाज आदि में दिक्कतें होती हैं। साथ ही, अगर केवल गंभीर मरीज ही आयेंगे तो ऐसे गंभीर मरीजों पर जांच, इलाज व शोध किया जा सकेगा। जिससे गंभीर बीमारियों का और सटीक इलाज करने में मदद मिलेगी और अन्य गंभीर मरीजों को सुगम इलाज मिल सकेगा।

गंभीर मरीजों के लिए बना रहे रणनीति

वीसी के मुताबिक, पीजीआई की ही तरह केजीएमयू भी एक सुपर स्पेशियलिटी संस्थान है। इसी समस्या को देखते हुए गंभीर रोगियों को और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में और बेहतर रणनीति बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ बातचीत की जाएगी, ताकि इस समस्या का आसानी से समाधान निकल सके। कार्यक्रम के दौरान सीएमएस डॉ। बीके ओझा, एमएस डॉ। डी हिमांशु, डॉ। सुमित रूंगटा, डॉ। संतोष कुमार और डॉ। सुधीर सिंह समेत अन्य डॉक्टर्स मौजूद रहे।

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केजीएमयू एचआरएफ कमेटी भंग, नई का गठन

केजीएमयू द्वारा मरीजों को सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) की शुरुआत की गई थी, पर यह व्यवस्था बेपटरी हो गई थी। जिसको देखते हुए संस्थान प्रशासन द्वारा एक बार फिर एचआरएफ कमेटी को भंग कर दिया गया है। साथ ही छह सदस्यीय नई कमेटी गठित कर दी गई है। केजीएमयू की ओपीडी में रोजाना 6-8 हजार के करीब मरीज आते हैं। संस्थान में 4 हजार से अधिक बेड हैं, पर अधिकतर विभागों में बेड फुल रहते है। वहीं, मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए एचआरएफ दवा काउंटर खोले गये हैं। जहां मरीजों को 30 से 70 प्रतिशत तक मार्केट रेट से कम कीमत पर दवा व सर्जिकल सामान उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं, लेकिन काउंटर पर मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। वहीं, करीब 30 से 40 प्रतिशत मरीजों को तो एक भी दवा नहीं मिल पाती है। इसकी वजह से मरीजों को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। मरीजों की तमाम शिकायतों के बावजूद केवल कमेटी भंग कर दूसरी कमेटी का गठन कर दिया जाता है। किरकिरी के बाद केजीएमयू प्रशासन ने एचआरएफ की नई कमेटी बनाई है।

डॉ। अनूप बने अध्यक्ष

फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ। अनूप वर्मा को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। प्रॉस्थोडोंटिक्स विभाग के डॉ। बालेंद्र प्रताप सिंह, रेडियोथेरेपी के डॉ। नवीन सिंह, पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ। आनंद पांडेय, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग के डॉ। अमिय अग्रवाल और जनरल सर्जरी विभाग के डॉ। कुशाग्र गौरव भटनागर को कमेटी में शामिल किया गया है।