लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के कई एरियाज में होने वाले जलभराव की प्रमुख वजह भले ही नालों की प्रॉपर सफाई न होना हो, लेकिन इस समस्या के लिए एक और फैक्टर भी जिम्मेदार है। यह फैक्टर बढ़ती आबादी है जिससे चलते नालों पर लोड बढ़ रहा है। जिस रफ्तार से नालों पर लोड बढ़ रहा है, उससे साफ है कि आने वाले समय में जलभराव की समस्या और विकराल हो सकती है।

सभी एरियाज का हुआ विस्तारीकरण

राजधानी का शायद ही कोई ऐसा एरिया हो, जिसका विस्तारीकरण न हुआ हो। इसके साथ ही सभी एरिया में पिछले 20 से 30 सालों के मुकाबले आबादी भी दो से तीन गुना या चार गुना तक बढ़ गई है, जबकि नालों की चौड़ाई उतनी ही है। इतना ही नहीं, जब आबादी बढ़ी तो नाले-नालियों के ऊपर निर्माण भी करा लिए गए, जिसकी वजह से नालों की चौड़ाई और भी ज्यादा कम हो गई। ऐसे में जलभराव की समस्या और भी ज्यादा विकराल होने की पूरी संभावना है।

नालों की चौड़ाई नहीं बढ़ी

गुजरते वक्त के साथ मोहल्लों का क्षेत्रफल तो बढ़ गया लेकिन नालों की चौड़ाई बढ़ाने की तरफ ध्यान भी नहीं दिया गया। अब यह काम और भी ज्यादा मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि नालों को चौड़ा करने के लिए स्पेस की जरूरत पड़ेगी, लेकिन अब डेवलपमेंट भी बहुत ज्यादा हो गया है, ऐसे में स्पेस तलाशना भी आसान नहीं होगा।

ये कदम उठाने होंगे

1-नालों की चौड़ाई का सर्वे

2-नए नाले बनाए जाने चाहिए

3-नालों पर काबिज कब्जे हटाना

4-नालों की लंबाई बढ़ाया जाना

नए एरियाज पर ध्यान

नगर निगम क्षेत्र में 88 से अधिक गांव शामिल हुए हैैं। यहां पर अभी से ही नालों की चौड़ाई पर फोकस किया जा सकता है। दरअसल, अभी शहरी क्षेत्र के मुकाबले यहां पर डेवलपमेंट कम है, ऐसे में यहां पर स्पेस आसानी से मिल सकती है। ऐसे में नगर निगम को तत्काल यहां पर सर्वे शुरू कराकर नए नाले-नालियों के निर्माण पर फोकस करना चाहिए, जिससे जनता को भविष्य में जलभराव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

शहरी क्षेत्र के लिए तलाशने होंगे विकल्प

अब अगर शहरी एरिया की बात करें तो यहां पर विकल्प तलाशने होंंगे। इसके लिए नगर निगम को नए प्लान पर काम करना होगा। पहले तो यह देखना होगा कि किस तरह से नालों को मैनहोल से कनेक्ट किया जा सकता है। इसके साथ ही घरों से भी सीवर लाइन कनेक्ट करनी होगी। जब तक ये सब कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक जलभराव से पूरी तरह से निजात नहीं मिल सकती है।

सभी जोन में घनी आबादी

जोन पुरुष महिला

1 154032 135798

2 135787 120859

3 261787 229866

4 137638 121508

5 137163 122224

6 292868 256773

7 205653 181709

8 197432 169721

हर जोन में बढ़ी आबादी

यह आंकड़ा वर्ष 2023-24 का है। अब अगर 10 से 15 साल पहले की बात की जाए तो पुरुष और महिला की संख्या में पांच से छह गुना तक वृद्धि हुई है। 20 साल पहले अगर लखनऊ की आबादी 23 से 24 लाख रही होगी तो अब आबादी 45 लाख के पार है। इससे साफ है कि अब नालों को री-डिजाइन किए जाने का समय आ चुका है।

पब्लिक को भी समझना होगा

ज्यादातर नालों में पब्लिक की ओर से गंदगी फेंकी जाती है। इसकी वजह से भी नालों की प्रॉपर सफाई नहीं हो पाती है। कई बार तो यह भी देखने में आया है कि नाला साफ कराए जाने के बाद स्थानीय लोगों की ओर से उसमें गंदगी डाल दी गई है। इसकी वजह से नाला फिर से चोक हो गया और जब बारिश हुई तो जलभराव की समस्या सामने आई। ऐसे में इंदौर की तर्ज पर राजधानी की जनता को भी स्वच्छता के प्रति जागरूक होना होगा और नालों को साफ रखने में अपने स्तर से भी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा। वहीं, नगर निगम को भी ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने होगा, जो नालों पर अवैध कब्जा कर लेते हैैं या फिर उनमें वेस्ट फेंक देते हैैं।

अब बन रहा है प्लान

अब नगर निगम की ओर से नालों को लेकर नए स्तर पर प्लान बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। हालांकि, अभी इस प्लान को एग्जिक्यूट होने में थोड़ा समय लग सकता है। इस प्लान में नए नालों का निर्माण कराया जाना और पुराने नालों की चौड़ाई बढ़ाया जाना शामिल है।

सोशल मीडिया कमेंट्स

1-नालों की सफाई सही से होनी चाहिए। अगर नाला सही से साफ नहीं होगा तो जलभराव की समस्या सामने आएगी।

आकाश, कैसरबाग

2-मेरा मानना है कि जनता को भी जागरूक होना होगा। ज्यादातर नालों में लोगों की ओर से वेस्ट फेंक दिया जाता है, जो सही नहीं है।

उत्कर्ष, आशियाना

3-सबसे पहले तो नालों की सफाई की मॉनीटरिंग होनी चाहिए। नाला सफाई में सबसे अधिक खेल होता है।

पूजा, गोमतीनगर

4-नालों की सफाई प्रॉपर होनी चाहिए। अगर नाला साफ नहीं होगा तो जलभराव होना तय है।

अनुज, तेलीबाग