लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा एकमुश्त समाधान योजना का जो ऐलान किया गया है, उसमें बिजली चोरी में जुर्माने में छूट संबंधी आदेश भी शामिल है। पर अब छूट के बाद जो शेष राशि बचेगी, वो सीधे टैरिफ में पास ऑन हो जाएगी और इसका सीधा भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उपभोक्ता परिषद ने मांग उठाई है कि राजस्व निर्धारण की जो भी राशि माफ की जाए, उसके अनुपात में बिजली विभाग को भविष्य में सब्सिडी दी जाए, ताकि ईमानदार उपभोक्ताओं पर असर न पड़े।

65 प्रतिशत राहत का एलान

ओटीएस के अंतर्गत जो राहत दी गई है, उसमें तीन किश्तों की छूट देते हुए केवल 10 प्रतिशत पंजीकरण और कुल राजस्व से निर्धारण का 25 प्रतिषत यानी राजस्व निर्धारण का 35 प्रतिशत जमा करने के बाद 65 प्रतिशत राजस्व निर्धारण की छूट का ऐलान किया गया है। इसी प्रकार आगे भी छूट का अलग-अलग चरणों में आदेश जारी है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि बिजली चोरी के राजस्व निर्धारण में जो छूट दी जा रही है, उसका भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर नहीं आना चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि राजस्व निर्धारण की जो भी राशि माफ की जाए, उसके अनुपात में बिजली विभाग को भविष्य में सब्सिडी दिला दी जाए, जिससे सही मायने में आदर्श उपभोक्ता खामियाजा न भुगतें।

मध्यांचल डिस्कॉम में 460 करोड़ का आंकड़ा

उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी के कुल राजस्व की बात करें तो वह लगभग 5200 करोड़ के आसपास है। बिजली चोरी का राजस्व बिजली कंपनियों में कितना अधिक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मध्यांचल (लखनऊ समेत 19 जिले) में अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच ही बिजली चोरी का राजस्व निर्धारण लगभग 460 करोड़ के करीब है। इसी प्रकार सभी बिजली कंपनियों का हाल है। ऐसे में राजस्व निर्धारण में छूट दिए जाने से बिजली विभाग के राजस्व पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और कहीं न कहीं इसका खामियाजा प्रदेश के आदर्श बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।

टैरिफ में पास ऑन हो सकता है

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि बिजली चोरी के मामलों में राहत दिए जाने के बाद जो राशि बचेगी, उसे टैरिफ में पास ऑन किया जा सकता है। जिससे साफ है कि जब बिजली दरों का निर्धारण होगा तो उस दौरान इस राशि को भी कैलकुलेट किया जाएगा और इसके चलते बिजली दरों के रेट महंगे हो सकते हैैं। उनका कहना है कि अगर सब्सिडी मिल जाती है तो शेष राशि को टैरिफ में पास ऑन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे ईमानदार उपभोक्ताओं पर कोई भार नहीं आएगा। परिषद अध्यक्ष का यह भी कहना है कि बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ लगातार चेकिंग अभियान भी चलना चाहिए।