लखनऊ (ब्यूरो)। इसी का नतीजा है कि कम से कम 600 से अधिक अनफिट स्कूली वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। आरटीओ ने स्कूली वाहनों के लिए 13 सुरक्षा मानक तय किए हैं। अगर कोई स्कूली वाहन लगातार इन नियमों को तोड़ता है तो स्कूल की मान्यता खत्म करने के लिए डीआईओएस को लिखने का प्राविधान है। हालांकि ऐसे वाहनों के प्रति अधिकारी सिर्फ नोटिस थमाने तक सीमित हैं। एआरटीओ प्रशासन अखिलेश द्विवेदी के मुताबिक अब तक करीब 800 स्कूल वाहन स्वामियों को नोटिस दी जा चुकी है। जिस पर 200 से 300 वाहन स्वामियों ने ही काम कराया है। डीआईओएस को भी नियमानुसार कार्रवाई के लिए लिखा गया है। आगे की कार्रवाई उनके हाथों में है।

लगातार कर रहे कार्रवाई
एआरटीओ प्रशासन अमित राजन रे ने बताया कि तीन माह में 132 ऐसे स्कूली वाहनों का चालान किया गया है। हम लोगों का काम शमन शुल्क लेना होता है। वाहन स्वामी यह देकर गाड़ी छुड़ाकर ले जाते हैं। हम हमेशा के लिए उनकी गाड़ी बंद नहीं कर सकते हैं। इसकी जानकारी हम डीआईओएस को देते रहते हैं।

जागरूकता की कमी
आरटीओ के अधिकारियों के अनुसार इस मामले को लेकर बहुत से पैरेंट्स भी पूरी तरह जागरूक नहीं हैं। वे ध्यान ही नहीं देते हैं कि जिन वाहनों से उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, वह फिट हैं या नहीं। जबकि उन्हें अगर स्कूली वाहन अनफिट है तो इसकी सूचना स्कूल प्रशासन या आरटीओ से करनी चाहिए।

नहीं सुनते स्कूल वाले
अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूली वाहनों के सुरक्षा मानकों को लेकर जब स्कूल प्रशासन से शिकायत की जाती है तो सुनवाई ही नहीं होती है। आरटीओ भी तभी एक्शन लेता है जब कोई हादसा होता है या ऊपर से आदेश आता है। यह बच्चों की सुरक्षा का सवाल है, इस पर गंभीरता से काम करना चाहिए।

इस तरह की मिलती हैं कमियां
- वाहन के पूरे कागज नहीं मिलते हैं
- वाहनों पर टैक्स बाकी होता है
- बिना परमिट के वाहन भी पकड़े गए हैं
- ड्राइवर का सत्यापन नहीं किया जाता है
- वाहन खटारा स्थिति में भी मिलते हैं
- फायर उपकरणों का न मिलना
- फस्र्ट एड की कोई सुविधा नहीं होती है

टैक्स बाकी इसलिए फिटनेस से दूरी
कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के दौरान कई स्कूल वैन मालिकों ने टैक्स नहीं जमा किया है। यही वजह है कि टैक्स बकाया होने के कारण ऐसे स्कूल वाहन स्वामी वाहनों की फिटनेस कराने से दूर भाग रहे हैं। अब ऐसे स्कूल वाहन मालिक आरटीओ के निशाने पर हैं।

इन बिंदुओं पर होती है फिटनेस जांव
- स्कूली वाहन का रंग पीला हो
- आगे-पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो
- खिड़कियों पर लोहे का ग्रिल हो
- आग बुझाने के लिए फायर सिस्टम हो
- इमरजेंसी नंबर लिखा हो
- वाहन में एक सहायक हो
- दरवाजे पर लाक सिस्टम हो
- फस्र्ट एड बाक्स हो
- स्पीड गवर्नर लगा हो
- ड्राइवर के पास डीएल हो
- गाड़ी में जीपीएस या सीसीटीवी कैमरा हो
- ड्राइवर का पुलिस वेरीफिकेशन हो

नियम विरुद्ध चल रहे स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार प्रवर्तन दस्ते की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। लोगों में जागरूकता की कमी के कारण भी इसमें सुधार नहीं हो रहा है।
- अमित राजन रे, एआरटीओ-प्रवर्तन

स्कूल प्रशासन कोई सुनवाई नहीं करता है। आरटीओ के अधिकारी शिकायत पर कार्रवाई तो करते हंै। इसपर और सख्ती होनी चाहिए। इसे लेकर दावे तो बहुत किए गए लेकिन काम कुछ नहीं हुआ है।
- प्रदीप श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ

स्कूली बसों की फिटनेस, ओवरलोडिंग से लेकर अन्य सभी चेकिंग की जिम्मेदारी आरटीओ के पास है। चालक या फिर स्कूल प्रशासन की तरफ से ट्रैफिक नियमों का उलंघन करने पर इसका चालान भी आरटीओ करता है। ट्रैफिक पुलिस का कोई रोल नहीं है। हादसा होने पर पुलिस केस दर्ज करती है।
सलमान ताज, डीसीपी ट्रैफिक