लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में स्थिति यह है कि पहले तो भवन स्वामी की ओर से जमीन खरीदकर मकान का नक्शा पास कराया जाता है। इसके बाद मकान बाद में बनता है, उससे पहले ही भवन स्वामी की ओर से सबमर्सिबल लगवाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसके बाद इसी सबमर्सिबल के पानी का प्रयोग मकान बनवाने में किया जाता है। निर्माणाधीन मकान में पानी के छिड़काव में ही प्रति घंटे हजारों लीटर पानी वेस्ट हो जाता है।

हर साल बढ़ रहे हैैं मकान
राजधानी में नए मकानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। दो साल पहले तक जहां मकानों की संख्या 5 लाख के आसपास थी, वहीं अब नगर निगम के आंकड़ों की माने तो मकानों की संख्या 6 लाख से अधिक हो चुकी है। यह आंकड़े तो उन मकानों के हैैं, जिनके मालिकों की ओर से हाउस टैक्स असेसमेंट कराया गया है, वहीं करीब 20 से 30 हजार या उससे भी अधिक ऐसे मकान हैैं, जिनका अभी तक नगर निगम से असेसमेंट तक नहीं हुआ है।

कोई नियम कानून नहीं
सबमर्सिबल लगवाने के लिए राजधानी में कोई नियम कानून लागू तक नहीं होता है। भवन स्वामी का जितना मन आता है, उसके हिसाब से उतनी ही गहराई में जमीन का सीना छलनी कर दिया जाता है। आलम यह है कि अगर पानी 70 फीट पर भी मिल रहा है तो जमीन के अंदर पाइप करीब 150 से 180 फीट तक डाल दी जाती हैैं।

कवायद हुई, लेकिन असर नहीं
करीब पांच साल पहले शासन स्तर पर एक कमेटी बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसकी मुख्य जिम्मेदारी धड़ल्ले से लग रहे सबमर्सिबल पर रोक लगाना था। इसके साथ ही कॉमर्शियल से लेकर आवासीय मकानों में लगने वाले सबमर्सिबल के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराना था। यह कवायद कागजों में सिमट कर रह गई।

वॉटर मीटर भी नहीं लगे
नगर निगम स्तर से यह योजना बनाई गई थी कि घरों में वॉटर मीटर लगाए जाएंगे लेकिन अभी तक 15 फीसदी मकानों में भी इस योजना को इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका है। उन्हें भी पता है कि सबमर्सिबल लगवाने के दौरान उन पर न तो कोई जुर्माना लगाया जाएगा न ही कोई लीगल एक्शन लिया जाएगा।

ये कवायद जरूरी
1-बिना परमीशन सबमर्सिबल न लगें
2-मॉनीटरिंग कमेटी का गठन हो
3-भवन स्वामियों को जागरुक किया जाए
4-सबमर्सिबल के लिए मानक तय किए जाएं
5-नक्शे में इसका भी जिक्र किया जाए
6-घरों में वॉटर मीटर लगवाए जाएं

जो भी लोग पानी की बर्बादी कर रहे हैैं, उनके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाना चाहिए। पानी की बर्बादी को रोकना जरूरी है।
राकेश, तेलीबाग

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर पानी वेस्ट कर रहा है तो आसपास के लोगों को उसे टोकना चाहिए। इसके साथ ही पॉलिसी भी बननी चाहिए, जिससे पानी वेस्ट रूके
सावित्री, केसरबाग

जिम्मेदार विभागों को तत्काल एक्शन मोड में आना चाहिए। अगर पानी की बर्बादी नहीं रुकी तो भविष्य में स्थिति खतरनाक होगी।
अनिमेष, गोमतीनगर

मेरा यही मानना है कि अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को बचाने के लिए हर एक व्यक्ति को प्रयास करने होंगे। संयुक्त प्रयास से ही सफलता मिलेगी।
राखी, आलमबाग

पब्लिक को भी जागरुक किए जाने की जरूरत है। जागरुकता के अभाव में ज्यादातर लोग पानी बर्बाद कर रहे हैैं।
जयप्रकाश, इंदिरानगर