लखनऊ (ब्यूरो)। सुल्तानपुर के लंभुआ से भाजपा विधायक की पत्नी के लापता होने की खबर आपने जरूर पढ़ी होगी। पुलिस ने इस केस में अपने सारे सोर्स लगा दिए ताकि लापता महिला को जल्द से जल्द तलाशा जा सके और हुआ भी कुछ ऐसा ही। 24 घंटे में विधायक की पत्नी को पुलिस ने सकुशल खोज निकाला। खैर, यह तो अच्छी बात है कि पुलिस की इस अलर्टनेस से गुमशुदा को तलाश लिया गया, लेकिन सवाल यह है कि सिर्फ वीआईपी केसों में ही पुलिस इतनी अलर्टनेस क्यों दिखाती है, जबकि सैकड़ों और भी ऐसे परिवार हैं, जो अपनों के लौटकर आने के इंतजार में न जाने कब से बैठे हैं।

केस-1-अक्टूबर 2023

आलमबाग के रहने वाले शख्स ने पुलिस में शिकायत दी कि उनकी 15 साल की बेटी लापता हो गई है। बेटी घर से यह कहकर निकली कि वह कोचिंग जा रही है, लेकिन वह लौटी नहीं। इस दौरान उसकी सहेलियों से लेकर अन्य जगहों पर काफी तलाश की, लेकिन वह कहीं नहीं मिली।

केस-2-फरवरी 2023

जानकीपुरम के रहने वाले एक शख्स ने पुलिस को शिकायत दी कि उनका बेटा कहीं लापता हो गया है। वह घर से यह कहकर गया था कि दोस्तों के साथ जा रहा है, लेकिन वह लौटा नहीं, जिसके बाद से परिवार उसकी खोजबीन में जुटा है, लेकिन वह मिला नहीं।

500 से अधिक कैमरे, 10 टीमें

सुल्तानपुर के लंभुआ से भाजपा विधायक की पत्नी लखनऊ के इंदिरानगर स्थित अपने घर के पास से लापता हो गई थीं। गाजीपुर थाना पुलिस ने गुमशुदगी का केस दर्ज कर तलाश शुरू कर दी थी। इस दौरान पुलिस ने खोजबीन के लिए 500 से अधिक कैमरे खंगाले, 10 टीमें लगाईं, 2 जिलों की पुलिस, 60 से अधिक थानों में गुमशुदगी की सूचना प्रसारित की। साथ ही आसपास के थानों में भी पुलिस को अलर्ट कर दिया गया। जिसके बाद उन्हें बाराबंकी और लखनऊ पुलिस की ज्वाइंट टीम ने खोज निकाला।

190 के करीब मामले दर्ज

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, शहर में जनवरी 2023 से अबतक करीब 190 गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से करीब 30 परसेंट गुमशुदा लोगों की तलाश कर ली गई है। जबकि बाकियों की तलाश अभी जारी है। बताया कि इनमें ज्यादातर वे केस आते हैं, जिनमें लड़कियां अपनी मर्जी से चली जाती हैं या फिर किसी के बहकावे में घर छोड़ देती हैं, जिसकी वजह से लापता होने वालों की संख्या में इजाफा हो जाता है। हालांकि, बाद में परिजनों की सहायता से इनको खोज लिया जाता है। क्राइम अंगेस्ट वुमेन डीसीपी सरवन कुमार सिंह के मुताबिक, लापता बच्चियों को पुलिस हर एक पहलु से जांच कर उसकी तलाश करती है।

सबसे ज्यादा लड़कियां

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आए दिन शहर के थानों में गुमशुदगी के मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं, लेकिन अधिकतर केसों में ये लापता लोग बाद में खुद ही घर वापस लौट आते हैं। वहीं, गुमशुदा होने वालों में करीब 90 परसेंट लड़कियां होती है, जबकि सिर्फ 10 परसेंट ही लड़के या फिर बुजुर्ग होते हैं। लापता हुए लोग अधिकतर किसी के बहकावे या फिर डांट फटकार के बाद घर छोड़ देते हैं।

इसलिए ज्यादातर होते हैं लापता

-परिजनों के छोटी-छोटी बातों पर हमेश डांटते रहना

-मानसिक बीमारी के चलते

-घर में अकेला महसूस करने पर उठाते हैं कदम

-किसी के बहकावे में आने के बाद उठाते हैं कदम

-पढ़ाई में मन न लगना भी एक बड़ा कारण