लखनऊ (ब्यूरो)। महाशिवरात्रि इस बार भोलेनाथ के भक्तों को डबल लाभ पाने का मौका दे रहे हैं। आज यानि 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के संग शनि प्रदोष व्रत का भी संयोग बना है। शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना के साथ रखा जाता है। ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष होने से भगवान शिव जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। महाशिवरात्रि पर जल में काले तिल डालकर शिवजी का अभिषेक करने से आपको शनि की महादशा से राहत मिलेगी।

बेहद लाभकारी

महाशिवरात्रि पर शाम 5:42 मिनट से 19 फरवरी सूर्योदय तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में शिवजी की पूजा करने से और व्रत रखने से आपको परमसिद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग धन लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस शुभ योग में कोई भी नया कार्य, व्यापार या फिर नौकरी में नई शुरुआत करना अच्छा परिणाम देने वाली मानी जाती है।

सुबह खुल जाएंगे मंदिरों के पट

महाशिवरात्रि पर्व को लेकर राजधानी के विभिन्न शिवालयों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। भोर से ही मंदिरों के कपाट भक्तों के दर्शनों के लिए खुल जाएंगे। मनकामेश्वर मंदिर में सुबह भव्य श्रृंगार व महाआरती के बाद कपाट खुल जाएंगे। वहीं, राजेंद्र नगर स्थित महाकाल मंदिर में भांग से महादेव का श्रृंगार होगा। इस मंदिर में सुबह 6 बजे पट खोल दिए जाएंगे। चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर में दूध की ठंडाई वितरित की जाएगी। साथ ही विशेष फूलों से श्रृंगार होगा।

भगवान शिव और देवी पार्वती की हल्दी रस्म हुई

महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व आदिगंगा गोमती के तट पर स्थापित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर मंदिर-मठ में भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती के विवाहोत्सव की धूम मची और नंदीश्वर की स्थापना भी हुई। पहले वहां हल्दी और मेहंदी की रस्म की गई। मंदिर की महंत देव्यागिरी महाराज की अगुवाई में भगवान शंकर और देवी पार्वती को हल्दी और मेहंदी लगाई। महंत ने सबसे पहले हल्दी लगाकर विवाह रस्म की शुरुआत की।

हल्दी रस्म पूरी की गई

डालीगंज में गोमती नदी के तट पर स्थित मंदिर प्रांगण में शुक्रवार को विवाह का उल्लास छाया हुआ था। जहां भगवान का विवाह मंडप भव्य सजाया गया था और उसके बीच में खंब भी लगाया गया था। इसके अलावा भगवान भोलेनाथ और गौरा के विवाह की बाकी तैयारियां भी चल रही थीं। मंदिर के सेवादारों में कुछ वरपक्ष के बने थे तो कुछ महिलाएं देवी पार्वती की सखियोंं का रूप धरे थीं। मंदिर के आंगन को कलश और रंगोली से सजाया गया था। वहीं महिलाएं ढोलक की थाप पर हल्दी और मेहंदी की रस्म पर गाये जाने वाली गीत गा रही थीं।