लखनऊ (ब्यूरो)। श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी रंगमंच पर चल रही रामलीला के नवें दिन सोमवार को हनुमान का चूड़ामणि देना, दरबार से विभिषण का निष्कासन, राम विभीषण मिलन, विभीषण राज्याभिषेक, समुद्र पूजा, सेतुबंध स्थापना, युद्ध घोषणा, कुंभकरण वध, संजीवनी लाना और मेघनाद वध लीला हुई। रामलीला मंचन के पूर्व मुख्य अतिथि के रूप में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। वहीं, नृत्य सुंदरम डांस स्टूडियो के कलाकारों ने भक्ति नृत्य की सरिता प्रवाहित की।

राम विभीषण मिलन

रामलीला का आरंभ हनुमान का चूड़ामणि देना, राम विभीषण मिलन, विभीषण राज्याभिषेक लीला से हुआ। इसके बाद समुद्र पूजा लीला, सेतुबंध स्थापना, रावण अंगद संवाद लीला हुई। इस प्रसंग में राम, वानर सेना जब समुद्र पार करना चाहती है तो राम कहते हैं कि पहले समुद्र देव से आज्ञा ले लें फिर समुद्र पार किया जाये। इस पर भगवान राम समुद्र की तीन दिन तक पूजा करने के बावजूद मार्ग नहीं देता तो नाराज होकर राम जब समुद्र पर वाण चलाने जाते हैं वैसे ही समुद्र प्रकट होकर क्षमा याचना मांगता है और मार्ग बनाने के लिए अपनी सहमति देता है। इसके बाद राम समुद्र पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा आराधना करते हैं और राम दल के सैनिक समुद्र पर पत्थर डालते हैं ओर देखते ही देखते कुछ सप्ताह में सेतु का निर्माण हो जाता है। इसके बाद राम जी और उनकी समस्त सेना समुद्र पार कर लंका की सीमा में प्रवेश करती है।

मेघनाद का वध हो जाता है

इसी क्रम में युद्ध घोषणा, दुरमुख वध, कुंभकरण रावण संवाद, कुंभकरण वध लीला हुई। रामादल में युद्ध की तैयारी शुरू हो जाती है। इसके बाद रावण की सेना में खलबली मच जाती है और उसकी ओर से कई वीर सैनिक मारे जाते हैं तब रावण अपने भाई कुंभकरण को बुलवाता है। पर युद्ध में भगवान राम के बाणों से मारा जाता है। मन मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के बाद नाग फांस, लक्ष्मण शक्ति, संजीवनी लाना और मेघनाद युद्ध लीला हुई। जहां लक्ष्मण, मेघनाद से युद्ध करते हैं और मेघनाद का लक्ष्मण के हाथों वध होता है।

और लक्ष्मण को होश आता है

रामलीला मैदान महानगर में मंचन के दौरान राम से संधि करने की बात पर क्रोधित रावण ने लात मार कर विभिषण को लंका से निष्कासन का आदेश देता है। जिस पर विभिषण कहता है कि जहां सुमति तह संपति नाना, जहां कुमति तह बिपति निदान। इसके बाद अंगद व रावण संवाद का मंचन किया गया। वहीं, मेघनाद की शक्ति बाण से मूर्छित लक्ष्मण को सुशेन वैद्य संजीवनी बूटी से होश में लाते है। जिसके बाद पूरी वानर सेना जय श्रीराम के जयघोष लगाती है। इसके साथ ही रामलीला का मंचन समाप्त होता है।