- गोंडा में बीड़ी व्यवसाई के पौत्र के किडनैपिंग का मामला

- भाई की प्रेमिका से हासिल सिम कार्ड का फिरौती मांगने में किया इस्तेमाल

- एसटीएफ के बिछाए जाल में फंसते चले गए किडनैपर्स

LUCKNOW: गोंडा में बीड़ी व्यवसायी राजेश गुप्ता के पौत्र का अपहरण करने वाले किडनैपर्स की जरा सी चूक ने एसटीएफ को उन तक पहुंचा दिया। नौसिखिए किडनैपर्स ने फिरौती मांगने में इस्तेमाल सिम कार्ड का चुनाव करने में पूरी सावधानी बरती और वे बराबर लोकेशन भी बदलते रहे। लेकिन, बावजूद इसके यही सिम कार्ड एसटीएफ के लिये उन तक पहुंचने का जरिया बन गया। पूरी रात चली ताबड़तोड़ कार्रवाई का नतीजा यह रहा कि मुठभेड़ के बाद आखिरकार किडनैपर्स पुलिस के शिकंजे में आ फंसे और बच्चा सकुशल बरामद हो गया। एसटीएफ ने जिस तरह इस घटना में अपने प्रोफेशनलिज्म का परिचय दिया उसकी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने भी जमकर तारीफ करते हुए दो लाख का पुरस्कार भी देने की घोषणा की है।

रिकॉर्डिग सुन अलर्ट हुई एसटीएफ

गोंडा के कर्नलगंज स्थित राजेश बीड़ी के मालिक राजेश गुप्ता के पौत्र आरुष उर्फ नमो को शुक्रवार शाम किडनैप कर लिया गया था। इसके कुछ देर बाद ही राजेश गुप्ता के बेटे हरि के मोबाइल फोन पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाली महिला ने उन्हें बताया कि उनका भतीजा आरुष किडनैप कर लिया गया है। अगर फिरौती के रूप में चार करोड़ रुपये नहीं दिये तो बच्चा मिलने की उम्मीद मत करना। किडनैपर महिला ने उन्हें विकास दुबे कांड की याद दिलाते हुए इसकी सूचना पुलिस को न देने की ताकीद की। उसका इशारा था कि उनकी हर मूवमेंट की खबर उस तक पहुंच जाएगी। हरि के मोबाइल फोन में कॉल रिकॉर्डर था। इस कॉल की रिकॉर्डिग उन्होंने पुलिस को सौंपी। कानपुर में संजीत यादव किडनैपिंग कांड में फजीहत होने के बाद आनन-फानन इस मामले में एसटीएफ को जुटाया गया। गोंडा पहुंची एसटीएफ टीम ने जब फिरौती के लिये की गई कॉल का विश्लेषण किया तो उन्हें यकीन हो गया कि बच्चे को किडनैप करने वाले कोई प्रोफेशनल क्रिमिनल नहीं बल्कि, नौसिखिए हैं। हालांकि, इससे एसटीएफ अलर्ट हो गयी क्योंकि, आमतौर पर ऐसे लोग पकड़े जाने के भय से बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते थे।

रीचार्ज करने वाले से मिला क्लू

- एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, सबसे पहले राजेश गुप्ता के संपर्क में रहने वाले करीब 125 लोगों को राडार पर लिया गया।

- फिरौती के लिये आई कॉल के नंबर की पड़ताल शुरू की। जिसमें पता चला कि जिस नंबर से कॉल आई वह शाहपुर इलाके में रहने वाले रंजीत के नाम पर दर्ज है।

- एसटीएफ रंजीत तक जा पहुंची और उससे पूछताछ की। पर, रंजीत ने यह नंबर अपना होने से ही इंकार कर दिया। एकबारगी जगी उम्मीद फिर से धूमिल होने लगी।

- फिर अधिकारियों ने उस मोबाइल के रीचार्ज ट्रैक को खंगाला। पता चला कि यह मोबाइल एक सप्ताह पहले ही इसी इलाके की मोबाइल शॉप से रीचार्ज कराया गया है।

- टीम देररात उस दुकान मालिक के पास पहुंची और उससे पूछताछ शुरू की। कुछ देर आनाकानी के बाद दुकान मालिक ने बताया कि यह मोबाइल फोन रंजीत का ही है और उसकी बहन ने इसे रीचार्ज कराया था।

आशिक को सौंप दिया था सिम कार्ड

एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि यह जानकारी मिलने के बाद एसटीएफ टीम ने रंजीत, उसकी बहन से पूछताछ शुरू की। सख्त पूछताछ में रंजीत ने कुबूल किया कि वह सिम कार्ड है तो उसके नाम पर लेकिन, इसका इस्तेमाल उसकी बहन करती है। वहीं, बहन ने बताया कि उसने यह सिम कार्ड उसने इसी गांव में रहने वाले अपने आशिक राज पांडेय को दिया था। यह जानकारी मिलने पर अब पुलिस राज पांडेय के घर पहुंची। लेकिन, वहां ताला बंद मिला। आसपड़ोस में पूछताछ करने पर पता चला कि राज पांडेय, उसका भाई सूरज, भाभी छवि और दो अन्य लोग अल्टो कार पर सवार होकर कुछ देर पहले ही निकले हैं। यह भी पता चला कि उनके साथ आठ साल का बच्चा भी था। आनन-फानन जिले की सीमाएं सील करवा दी गई और वाहनों की सघन चेकिंग शुरू की गई। इसी दौरान कर्नलगंज में चेकिंग बैरियर पर पुलिस टीम ने इस अल्टो कार को रुकवाया। लेकिन, उस पर सवार दो बदमाश पुलिस पर फायरिंग करने लगे। जवाबी फायरिंग में दो बदमाशों दीपू कश्यप और उमेश यादव घायल हो गए जबकि, तीन अन्य किडनैपर्स सूरज पांडेय, उसकी पत्नी छवि और छोटा भाई राज पांडेय को पुलिस ने अरेस्ट कर बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।

वर्जन।

किडनैपर्स देररात बच्चे को गोंडा से बाहर ले जाने की फिराक में थे, इसी दौरान मुठभेड़ में महिला समेत पांच किडनैपर्स को पुलिस ने अरेस्ट किया है। बच्चे को सकुशल बरामद कर उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।

- विशाल विक्रम सिंह, प्रभारी एसएसपी, एसटीएफ