लखनऊ (ब्यूरो)। लाइब्रेरी की बात हो और लखनऊ यूनिवर्सिटी की टैगोर लाइब्रेरी का जिक्र न हो, ऐसा कैसे हो सकता है? यह एलयू की सेंट्रल रिसर्च लाइब्रेरी है, जो साल 1924 से प्रकाश में है। यह ऐतिहासिक लाइब्रेरी है, जहां किताबों का अच्छा कलेक्शन तो है ही, यहां कई दुर्लभ किताबें भी संरक्षित रखी गई हैं। किताबों की बात करें तो यहां 5.5 लाख से अधिक किताबें स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध हैं। एलयू ने लगातार लाइब्रेरी को अपग्रेड किया है। स्टूडेंट्स को ऑनलाइन सुविधा देने के लिए टैगोर लाइब्रेरी में ही साइबर लाइब्रेरी भी मौजूद है, जो उनकी तैयारी को और मजबूत कर रही है। एलयू प्रशासन अब इस लाइब्रेरी को पब्लिक लाइब्रेरी बनाने की तैयारी कर रहा है, ताकि आम लोग भी यहां रखीं किताबों को पढ़ सकें और यहां मौजूद दुर्लभ किताबों, पांडुलिपियों समेत यहां की ऐतिहासिकता से रूबरू हो सकें।

कैनिंंग पुस्तकालय से बनी एलयू सेंट्रल लाइब्रेरी

लखनऊ यूनिवर्सिटी की स्थापना कैनिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। उसी में मौजूद कैनिंग कॉलेज पुस्तकालय को लखनऊ यूनिवर्सिटी सेंट्रल लाइब्रेरी के रूप में बदला गया। साल 1920 में एलयू के शुरुआती दौर में टैगोर लाइब्रेरी को पुराने बेनेट हॉल और मुख्य कैनिंग कॉलेज भवन के दक्षिण पश्चिमी तरफ बरामदे के बीच के कमरों में स्थापित किया गया था। 1924 में अलग से रीडिंग रूम के साथ लाइब्रेरी को बढ़ाया गया। टैगोर लाइब्रेरी के लिए नई इमारत की डिजाइन आर्किटेक्ट ग्रिफिन ने तैयार की थी। नई बिल्डिंग की आधारशिला 1937 में रखी गई। तत्कालीन चांसलर सर हैरी हैग ने आधारशिला रखी थी। 2 अप्रैल 1941 को नई इमारत जिसमें वर्तमान में लाइब्रेरी मौजूद है का उद्घाटन किया गया। इस बिल्डिंग को और विस्तारित किया गया, विस्तारित हिस्से का उद्घाटन 9 मार्च 1972 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने किया।

किताबों का है सबसे बड़ा संग्रह

शहर की अन्य लाइब्रेरी के मुकाबले टैगोर लाइब्रेरी का संग्रह बहुत व्यापक है। यहां के लाइब्रेरियन के मुताबिक, यहां 5 लाख 55 हजार 264 किताबें अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध हैं। इसके अलावा 11 हजार 781 थीसिस, 20 हजार 538 के बाउंड जर्नल्स, मनुस्क्रिप्ट 2000, ई बुक्स करीब 9 हजार के करीब उपलब्ध हैं। इसके अलावा स्टूडेंट्स के लिए हिंदी, उर्दू और इंग्लिश में 24 न्यूज पेपर उपलब्ध रहते हैं।

सोने की कुरान, हाथ से लिखी महाभारत

टैगोर लाइब्रेरी के बाएं हिस्से में पहली मंजिल पर रेयर बुक सेक्शन हमेशा से ही स्टूडेंट्स के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इस रेयर बुक सेक्शन में आपको सोने से लिखी कुरान के साथ-साथ पालि भाषा में लिखी 11वीं शताब्दी की व्यास महाभारत भी दिख जाएगी। लाइब्रेरी में 23.5 फीट लंबी कुरान रखी है। सीनियर डिप्टी लाइब्रेरियन के मुताबिक, कलेक्शन में 11वीं शताब्दी में लिखी गई ताड़ के पत्ते पर पर पालि भाषा में लिखी व्यास महाभारत है। इसके अलावा 1855 में संस्कृत भाषा में हाथ से लिखी हुई वाराह पुराण, 1877 में लिखी यजुर्वेद संहिता समेत दुर्लभ पांडु़लिपियां मौजूद हैं। यहीं नहीं, यहां पर्शियन मैनुस्क्रिप्ट भी रखी गई है। सोने के पानी से लिखी कुरान ए मजीद भी रखी हुई है। यह कुरान 200 साल से ज्यादा पुरानी है। इसके अलावा मुहम्मद अली शाह की मुहर वाली सोने की कुरान भी यहां है। इसे अवध के आखिरी शासक वाजिद अली शाह के दादा मुहम्मद अली शाह ने अपने शासन काल में लिखवाया था। इन नायाब कुरान को यहां लाने का श्रेय पहले लाइब्रेरियन राधा कमल को जाता है। इसके अलावा यहां दो कुरान के साथ 9 ऐतिहासिक पर्शियन मैनुस्क्रिप्ट रखी हुई हैं। इन सभी को सोने के पानी से लिखा गया है।

दुर्लभ पेंटिंग्स का भी कलेक्शन

टैगोर लाइब्रेरी की बात करें तो यहां दुर्लभ कलेक्शन भी मौजूद है। 454 रेयर पेंटिंग्स व आर्ट ऑब्जेक्ट रखे गए हैं। इनमें असित कुमार हल्दर, मदनलाल नागर, जेमिनी राय व सुधीर रंजन खास्तगीर की ओजिनल पेंटिंग्स भी हैं। इसके अलावा, जयपुर स्कूल की मिनिएचर पेंटिंग मौजूद है। मथुरा आर्ट्स के स्क्रिप्चर्स, हाथी दांत का बॉक्स, उड़ीसा के कलाकार रघुनाथ मोहपात्रा की सोप स्टोन से बनाई कई कलाकृतियां लोगों को मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी हैं।

जल्द बनेगी पब्लिक लाइब्रेरी

टैगोर लाइब्रेरी को पब्लिक लाइब्रेरी बनाने की कवायद चल रही है। मौजूदा समय में प्रो। केया पांडेय को लाइब्रेरी का मानद पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया है। उनके मुताबिक, पब्लिक लाइब्रेरी बनाने के एलयू प्रपोजल तैयार कर रहा है। इसके लिए स्टूडेंट्स से भी फीडबैक लिया जा रहा है। इसके बाद अनुमति लेने का काम किया जाएगा।