लखनऊ ब्यूरो: नई शिक्षा नीति को लागू किया जा चुका है, इस पर अमल भी शुरू हो चुका है। लेकिन यूपी के शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता क्या है। इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल है। क्योंकि अधिकांश ऐसे उच्च शिक्षण संस्थान हैं जो कि मानकों को नहीं पूरा करते हैं वह हरबार नैक आवेदन से बचते हैं। ऐसे शिक्षण संस्थानों की सोच होती है कि कहीं नैक मूल्यांकन में उनके संस्थान की पोल न खुल जाये। हालांकि इस संबंध में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की ओर से शिक्षण संस्थानों को नैक आवेदन के लिए दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैंए फिर भी आवेदन को लेकर लापरवाही जारी है। वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी ने भी 2022 तक समय निर्धारित किया है। यूजीसी ने बीते वर्ष कहा था कि वर्ष 2022 तक सभी यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षण संस्थानों को अब नैक नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडेशन काउंसिल के मानकों पर खरा उतरना होगा। इसके तहत उन्हें नैक के कुल स्कोर में से आधे से ज्यादा स्कोर हासिल करना होगा। बावजूद उसके कुछ ही संस्थानों को छोड़कर अधिकांश संस्थानों ने आवेदन नहीं किया है। बता दें इसी साल जारी एनआईआरएफ की रैकिंग में भी यूपी के संस्थान शामिल नहीं हो पाये थे।

यूजीसी के मुताबिक ढ़ाई अंक हासिल करना जरूरी
यूजीसी के मुताबिक प्रत्येक संस्थान को अधिकतम चार अंकों में से कम से कम ढ़ाई अंक हासिल करना जरूरी होगा। यूजीसी ने यह पहल ऐसे समय की थी, जब उच्च शिक्षण संस्थानों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल की मुहिम तेजी से चल रही है। ऐसे में यूजीसी का पूरा फोकस नीति के अमल के साथ गुणवत्ता के मोर्चे पर भी संस्थानों की मजबूती देने को लेकर है।

शैक्षणिक गुणवत्ता दुरुस्त करने के निर्देश
यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से शैक्षणिक गुणवत्ता को समय रहते दुरुस्त करने को कहा है। साथ ही नैक रैंकिंग के मानकों के आधार पर अपने परखने को कहा है। खास बात यह है कि नैक रैंकिंग की निर्धारण जिन मानकों के आधार पर किया जाता हैए उनमें छात्र-शिक्षक अनुपात, शोध कार्यों की संख्या, पाठ्यक्रम, पढऩे-पढ़ाने का मूल्यांकन, विदेशी छात्रों के नामांकन, मूलभूत सुविधाओं आदि के आधार पर किया जाता है।

50 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों में मानक के अनुसार लैब नहीं
नई शिक्षा नीति के तहत शोध और विज्ञान को बढ़ावा देने की बात कही गई है। लेकिन 50 प्रतिशत ऐसे संस्थान हैं जिनके पास मानक के अनुसार लैब नहीं है। उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि जब तक व्यवस्थायें दुरुस्त नहीं होगी तब हम गुणवत्ता की बात नहीं कर सकते हैं।

एलयू में इस साल किया आवेदन, 80 प्रतिशत कॉलेजों में तैयारी ही नहीं
मौजूदा समय में लखनऊ यूनिवर्सिटी और उसे सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों की बात करें, तो दस प्रतिशत संस्थाओं के पास भी नैक की एक्रेडेशन नहीं है। मौजूदा समय में एलयू ने इस साल नैक के लिए आवेदन किया है साल के अंत में टीम मूल्यांकन के लिए आ सकती है। वहीं बात करें डिग्री कॉलेजों की तो, नेशनल पीजी कॉलेज, केकेसी पीजी कॉलेज, आईटी गल्र्स कॉलेज, क्रिश्चियन कॉलेज सहित कुछ कॉलेजों को छोड़ दे तो शेष कॉलेजों में अभी तक आईक्यूएसी सेल का भी गठन नहीं किया गया हैं। सबसे ज्यादा लापरवाही सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की ओर से किया जाता है। जिन्हें अभी तक एक बार भी इसके लिए आवेदन नहीं किया है।