- 2121 ब्लड डोनर्स की जांच में 42 में मिली एंटीबॉडी

- 18 से 29 साल के युवाओं में ज्यादा मिली एंटीबॉडी

- लेबर क्लास के लोगों में ज्यादा मजबूज एंटीबॉडी मिली

- 98.3 फीसद पुरूषों में मिली एंटीबॉडी

- सभी ब्लड डोनर्स एसेम्टोमेटिक थे

- केजीएमयू में ब्लड डोनेट करने आए लोगों पर हुई स्टडी

- 2121 लोगों की जांच में 42 में मिली एंटीबॉडी

LUCKNOW: कोरोना वायरस को लेकर लगातार स्टडी और रिसर्च चल रहा है, जिसमें सिम्टोमेटिक और एसेम्टोमेटिक दोनों तरह के मरीज सामने आ रहे हैं। वहीं जब केजीएमयू के ब्लड एंड टांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट में 2121 ब्लड डोनर्स की जांच और स्टडी हुई तो 42 लोगों में एंटीबॉडी मिली। कई ऐसे लोग मिले जिनको संक्रमण तो हुआ, लेकिन न उनको पता चला और न भर्ती हुए। यानि की सभी एसेम्टोमेटिक थे।

2121 लोगों की हुई जांच

केजीएमयू के ब्लड एंड टांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। तूलिका चंद्र के मुताबिक विभाग में जो भी ब्लड डोनेट करने आते हैं, सबसे पहले उनकी हर तरह की जांच की जाती है। इसमें सभी का एंटीबॉडी टेस्ट भी किया गया। इस दौरान करीब 2121 ब्लड डोनर्स की जांच व स्टडी की गई, जिसमें 42 लोगों में एंटीबॉडी पाई गई। यह सभी डोनर्स एसेम्टोमेटिक थे। इनको कभी कोरोना संक्रमण हुआ, लेकिन न तो कोई लक्षण न कभी भर्ती हुए। इसके अलावा इन्होंने किसी दूसरे को इनफेक्ट भी नहीं किया।

पुरूषों में मिली ज्यादा एंटीबॉडी

डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि स्टडी में यह देखने को मिला कि महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में एंटीबॉडी ज्यादा मिली है। करीब 98.3 प्रतिशत पुरूषों में एंटीबॉडी मिली। इसका यह मतलब हो सकता है कि पुरूष महिलाओं के मुकाबले च्योदा बाहर निकलते हैं और संक्रमण के जद में आने के ज्यादा चांसेज होते हैं।

युवाओं में एंटीबॉडी ज्यादा

स्टडी के दौरान यह भी पता चला कि एसेम्टोमेटिक डोनर्स जो 18 से 29 उम्र के बीच थे। उनमें सबसे अधिक एंटीबॉडी पाई गई। इसके बाद 30 से 39 साल और सबसे कम 49 से ऊपर उम्र वालों में पाई गई। इसके साथ यह भी देखने को मिला कि जो 55 से अधिक उम्र के थे उनमें कोई एंटीबॉडी नहीं थी। वो कभी संक्रमित हुए होंगे तो बाद में उनमें लक्षण आए होंगे और वो कहीं भर्ती भी हुए होंगे। इसके अलावा सभी डोनर्स में हीमोग्लोबिन की मात्रा 14.05 ग्राम मिली।

अपर क्लास में कम एंटीबॉडी

डॉ। चंद्रा के मुताबिक जिन लोगों में एंटीबॉडी मिली उसमें सबसे अधिक मजबूत एंटीबॉडी लेबर क्लास के लोगों में मिली। सबसे कमजोर एंटीबॉडी अपर क्लास और उसके बाद मिडिल क्लास के लोगों में मिली थी। इसका यह मतलब हो सकता है कि लेबर क्लास के लोगों कि इम्युनिटी ज्यादा मजबूत है। यही वजह है कि संक्रमण के खिलाफ उनकी बॉडी ज्यादा अच्छी एंटीबॉडी बना सकी।

एंटीबॉडी एक तरह की प्रोटीन

एंटीबॉडी एक तरह की प्रोटीन होती है, जो बॉडी में किसी एंटीजेन जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या कोई बीमारी के खिलाफ बनती है। बॉडी का इम्यून सिस्टम उससे लड़ने के लिए जो प्रोटीन बनाता है। उसे ही एंटीबॉडी कहते हैं। एंटीबॉडी जी, एम, ए, बी और ई यानि पांच तरह की होती है। एंटीबॉडी एक वाई शेप स्ट्रक्चर होता है। इसके कोने से वो एंटीजेन से जाकर जुड़ जाती हैं। जो एंटीजन के सुरक्षाकवच को तोड़कर उसको खत्म करने का काम करती है। यहीं एंटीबॉडी हमे उस इंफेक्शन से बचा लेती है।

कोट

जिन लोगों ने खुद से ब्लड डोनेट किया, उनकी जांच की गई तो पता चला कई लोगों में एंटीबॉडी बन चुकी थी। स्टडी में युवाओं की संख्या ज्यादा पाई गई।

। डॉ। तूलिका चंद्रा, एचओडी ब्लड एंड टांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट केजीएमयू