लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में मेट्रो लाइन के मध्य से दोनों तरफ 500-500 मीटर के दायरे में घोषित किए गए टीओडी जोन में बहुमंजिला इमारतें बनेंगी। इसके लिए रोड की चौड़ाई एवं भू-उपयोग के आधार पर पांच एफएआर तक की अनुमति दी जाएगी। एलडीए वीसी डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी ने बुधवार को निजी विकासकर्ताओं व आर्किटेक्ट्स के साथ बैठक करके उन्हें टीओडी व टीडीआर नीति के फायदे बताए। इस दौरान वीसी ने उन्हें इन नीतियों का लाभ उठाकर शहर का नियोजित विकास करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

मिक्स लैैंड यूज की परमीशन

वीसी ने बैठक में कहा कि टीओडी (ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट) के तहत मेट्रो लाइन के मध्य से दोनों तरफ 500-500 मीटर की परिधि में मिश्रित भू-उपयोग अनुमन्य किया गया है। इसके अंतर्गत एक हेक्टेयर तक के क्षेत्रफल में 70 प्रतिशत बुनियादी भू-उपयोग तथा 30 प्रतिशत मिश्रित भू-उपयोग मान्य होगा। वहीं, एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में 50 प्रतिशत बुनियादी तथा 50 प्रतिशत हिस्से में मिश्रित भू-उपयोग का लाभ लिया जा सकेगा। वीसी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसी प्रोजेक्ट की 50 प्रतिशत भूमि भी टीओडी जोन की परिधि में आ रही होगी तो उस पूरे प्रोजेक्ट पर टीओडी नीति का लाभ लिया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि टीओडी क्षेत्र में भवन के निर्माण के लिए बिना जोनल डेवलपमेंट प्लान के भी मानचित्र स्वीकृत कराया जा सकेगा। इसके लिए शासन द्वारा अनुमति प्रदान की गई है।

सिंगल विंडो सिस्टम में निस्तारित होंगे आवेदन

वीसी ने कहा कि व्यापारी, उद्यमी, विकासकर्ता चाहें तो वे एक साथ मिलकर टीओडी जोन में जमीनें खरीदकर नीति का लाभ उठाते हुए भव्य इमारतें बनाकर व्यवसायिक, आवासीय आदि गतिविधियां कर सकते हैं। वीसी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि टीओडी नीति का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा जोन में आने वाले विभिन्न क्षेत्र के स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक आयोजित करके उन्हें नीतियों की जानकारी दी जाए। वीसी ने बताया कि टीओडी के अंतर्गत आने वाले सभी आवेदनों को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत निस्तारित कराया जाएगा, जिसकी मॉनिटरिंग वह स्वयं करेंगे।

नियोजित विकास में सहयोग की अपील

वीसी द्वारा टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) पर चर्चा करते हुए शहर के नियोजित विकास में सहयोग की अपील की गई। उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति सड़क, पार्क, खुला क्षेत्र, हरित पट्टी व सार्वजनिक कार्य आदि के लिए अपनी जमीन प्राधिकरण को नि:शुल्क देता है तो उसे जमीन की कीमत के बराबर एफएआर दिया जाएगा, जोकि ट्रांसफरेबल होगा और बेचा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए सेंडिग व रीसीविंग जोन चिन्हित किये जाएंगे। बैठक में मुख्य नगर नियोजक केके गौतम, अधिशासी अभियंता संजय जिंदल, अवर अभियंता अतुल शर्मा समेत शहर के प्रमुख विकासकर्ता व आर्किटेक्ट्स उपस्थित रहे।