लखनऊ (ब्यूरो)। श्रावण शुक्ल पंचमी को नागपंचमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को मंगलवार का दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शिव योग मिल रहा है, जो अत्यंत शुभकारी और लाभाकारी है। इस पंचमी में भगवान शिव व नाग देव की पूजा विशेष रूप से सिद्धिप्रद होती है। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने दी।

मंत्र जाप से मिलेगा लाभ

इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व शास्त्रों के अनुसार बताया गया है। समस्त नाग जाति के प्रति श्रद्धा व सम्मानपूर्वक गोदूग्ध धान का लावा, सफेद पुष्प, धूप इत्यादि से पूजन करना चाहिए। पूजन के बाद नाग देवता की प्रसन्नता के लिए नवकुल नागाय विद्महे विषदंताय धीमहि, तन्नो सर्परू प्रचोदयात मंत्र का जप करें। पंचमी के दिन जिस जातक के जन्म कुंडली में कालसर्प दोष, सर्प श्राप के द्वारा कष्ट प्राप्त हो रहा हो उन्हें चाहिए की भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ सर्प देवता की पूजा करें, ताकि आपको कालसर्प दोष व सर्प श्राप से मुक्ति मिल सकती है।

ऐसे करें पूजा

नागपंचमी के दिन अपने दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनानी चाहिए और धूप व पुष्प आदि से इसकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इंद्राणी देवी की पूजा करनी चाहिए। दही, दूध, अक्षत जल, पुष्प व नेवैद्य आदि से उनकी आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने से पूरे वर्ष आपके परिवार में सर्प देवता व भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

मंदिरों में विशेष श्रृंगार

मनकामेश्वर मंदिर में सुबह विशेष श्रृंगार के साथ महाआरती की जायेगी। साथ ही, नागपंचमी पर विशेष आयोजन किया जायेगा और भक्तों में प्रसाद वितरित किया जायेगा। वहीं, राजेंद्रनगर स्थित महाकाल मंदिर में सुबह भस्म आरती के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे, जबकि महादेव का विभिन्न फूलों से भव्य श्रृंगार किया जायेगा। वहीं, चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर में भी विशेष पूजा का आयोजन किया जायेगा।