लखनऊ (ब्यूरो)। हल्दी और फूलों से हर्बल गुलाल तैयार करने के बाद अब एनबीआरआई ने मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से हर्बल गुलाल, रंगोली कलर तैयार किए हैं। सीएसआईआर के फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत संस्थान यह कवायद कर रहा है। एनबीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर मंदिरों और मजारों में चढऩे वाले फूल बाद में वेस्ट हो जाते हैं। ऐसे में इन फूलों के जरिए संस्थान हर्बल रंग तैयार कर रहा है। इस तरह संस्थान ने कई अलग-अलग रंग तैयार किए हैं। जिसकी टेक्नॉलजी ट्रांसफर की कोशिशें चल रही हैं। जल्द ही बाजार में भी ये रंग उपलब्ध होंगे।

बेलपत्र से तैयार किया हरा रंग

एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ। महेश पाल ने बताया कि इससे पहले एनबीआरआई ने हर्बल रंग तैयार किया था। जैसे हल्दी से पीला रंग, इंडिगो की पत्ती से नीला रंग, बिक्सा के फूल से पिंक व लाल रंग बना चुका है। ऐसे में इस साल हमने मंदिरों के चढ़ावे के फूलों से रंग तैयार किया है। जैसे गेंदे से पीला रंग, बेलपत्र से हरा रंग, गुड़हल से लाल व पिंक रंग तैयार किया है। ये फूल हम लोगों ने शहर के अलग-अलग मंदिरों से इकट्ठा किए हैं, जिनमें हनुमान सेतु, मनकामेश्वर मंदिर, कालीजी मंदिर, साईं मंदिर वगैरह शामिल हैं।

टेक्सटाइल रंग व रंगोली रंग भी बना रहे

डॉ। महेश पाल ने बताया कि इस मिशन के तहत हम लोग मजारों के चढ़ावे के फूलों को भी शामिल करके बड़े स्तर पर इस तरह के रंग विकसित करने पर विचार कर रहे हैं। गुलाल के अलावा रंगोली कलर और टेक्सटाइल रंग भी विकसित कर रहे हैं, ताकि सिंथेटिक रंगों के मुकाबले हर्बल रंगों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिले।