लखनऊ (ब्यूरो)। रात के समय राजधानी की सड़कों पर तेज रफ्तार वाहन मौत का काल बनकर दौड़ रहे हैं। हैरानी की बात है कि इनपर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस विभाग की तरफ से कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया गया है, जिस कारण बेखौफ चालक देर रात तक नशे की हालत में वाहनों को तेज रफ्तार से दौड़ाते हैं। इसका खामियाजा रोड पर चल रहे पैदल और वाहनों से निकले चालकोंं को भी भुगतना पड़ रहा है। शहर के 155 चौराहों को सीसीटीवी कैमरों से हाइटेक किया गया है, लेकिन एक भी चौराहे पर नाइट विजन कैमरा नहीं हैं, जिसके चलते ऐसे बेलगाम वाहनों का चालान नहीं हो पाता।

रात में फर्राटा भर रहे वाहन

बीते छह महीनों की बात करें तो राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमें लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है। मंगलवार देर रात भी ऐसा ही एक दर्दनाक मामला सामने आया, जहां तेज रफ्तार स्कार्पियो ने एक परिवार के चार लोगों की जान ले ली। ट्रैफिक पुलिस के पास नाइट विजन कैमरे का ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे देर रात ओवर स्पीडिंग कर रहे वाहनों का चालान किया जा सके। हालांकि, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस की तरफ से प्रपोजल बनाया जा चुका है, लेकिन बजट न होने के चलते प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।

इन जगहों पर अक्सर बेलगाम दौड़ती हैं गाडिय़ां

-लोहिया पथ

-शहीद पथ

-चिनहट

-महानगर

-आलमबाग

-ट्रासंपोर्ट नगर

-विकास नगर

-तेलीबाग

-रिंग रोड

-कुर्सी रोड

सिर्फ फेस्टिवल पर होती है चेकिंग

ट्रैफिक पुलिस का दावा है कि आए दिन ड्रिंक एंड ड्राइव या नाइट चेकिंग के तहत कई बार चौराहों पर वाहनों की चेकिंग की जाती है, ताकि तेज रफ्तार वाहनों पर रोक लग सके। चेकिंग के लिए उनके पास 100 से अधिक बे्रथ एनालाइजर हैं। भले आए दिन चेकिंग अभियान चलाने की बातें की जाती हों, पर एक सच यह भी है कि होली के बाद से एक भी जगह नशे की हालत में गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ अभियान नहीं चलाया गया है। सिर्फ न्यू ईयर, फेस्टिवल या फिर किसी सेलिब्रेशन डे पर ही ऐसी चेकिंग की जाती है।

अबतक सिर्फ 45 चालान

ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी से अबतक कुल 45 ड्रिंक एंड ड्राइव के चालान काटे गए हैं, जोकि इस साल अबतक काटे गए कुल 2,30,500 चालानों के आगे काफी छोटा आंकड़ा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि ट्रैफिक पुलिस ड्रिंक एंड ड्राइव के चालान को लेकर कितनी सीरियस है।

शहर के सभी चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था हाईटेक की गई है, ताकि कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन न कर सके। नाइट विजन कैमरे न होने की वजह से कुछ दिक्कत जरूर है, लेकिन इस व्यवस्था को भी ठीक किया जा रहा है। साथ ही आए दिन ट्रैफिक पुलिस की तरफ से ड्रंक ड्राइविंग के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं, ताकि नशे में धुत होकर गाड़ी चलाने वालों पर अंकुश लग सके।

-रईस अख्तर, डीसीपी ट्रैफिक, लखनऊ