लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में 'जनता की मदद के लिए लखनऊ पुलिस हर समय तत्पर्य', 'मे आई हेल्प यू' जैसे तमाम स्लोगन थाना कैंपस में लिखे मिल जाते हैं। सरकार व पुलिस के आला अफसरों का भी सख्त निर्देश है कि थाने में आने वाले पीड़ितों की हर संभव मदद की जाए। तमाम नियम कायदे भी बने हैं और उनकी मॉनीटरिंग का दावा भी होता है। हालांकि, पुलिस का यह फलसफा राजधानी के कुछ थानों व सेल पर फिट नहीं बैठता। पीड़ित अगर सीनियर सिटीजन या दिव्यांग है तो अपनी फरियाद जिम्मेदार तक पहुंचाना उसके लिए पहाड़ चढ़ने जैसा साबित होता है। क्योंकि कोई जिम्मेदार दूसरी मंजिल पर बैठा होता है, तो कोई तीसरी मंजिल पर। वहां लिफ्ट तो दूर रैम्प तक की व्यवस्था नहीं है। जानिए कौन-कौन से थाने व क्राइम सेल हैं, जहां पहुंचना दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए मुसीबत साबित होता है।

वजीरगंज थाना: पहली मंजिल पर, न रैम्प, न लिफ्ट

वजीरगंज थाना शहर के सबसे व्यस्त एरिया में है। इस एरिया में सैकड़ों दिव्यांग व सीनियर सिटीजन भी रहते हैं। यह थाना पहली मंजिल पर बना है और वहां तक जाने के लिए केवल जीना बना है। यहां न रैम्प है और न लिफ्ट। ऐसे में, दिव्यांगों के लिए यहां पहुंचना मुश्किल साबित होता है। वहीं, सीनियर सिटीजन भी सीढ़ियां चढ़ने में हाफ जाते हैं।

साइबर क्राइम सेल: तीसरी मंजिल पर, थक जाते हैं

वर्तमान में सबसे ज्यादा क्राइम साइबर फ्रॉड से जुड़े हो रहे हैं। सीनियर सिटीजन और दिव्यांग भी इनके शिकार बनते हैं। साइबर ठगी के बाद जब वे मदद के लिए साइबर क्राइम सेल पहुंचते हैं, तो इसे हजरतगंज थाने की तीसरी मंजिल पर देखकर उनके पसीने छूट जाते हैं। वे कई बार सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते रास्ते में ही बैठ जाते हैं। यहां लिफ्ट व रैम्प की बात तो दूर, व्हीलचेयर तक की सुविधा नहीं होती।

इंदिरा नगर थाना: फर्स्ट फ्लोर पर मौजूद

इंदिरा नगर थाना पॉश इलाके में है। नई बस्ती होने के चलते थाने पर काफी बड़े एरिया की सुरक्षा व्यवस्था और पब्लिक की जिम्मेदारी है। हालांकि, यह थाना भी फर्स्ट फ्लोर पर मौजूद है। जहां तक पहुंचने के लिए पीड़ित को 12 से 15 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। ऐसी स्थिति में दिव्यांगों और बुजुर्ग पीड़ितों का वहां पहुंचना मुश्किल साबित होता है। यहां न तो लिफ्ट है और न रैम्प।

विभूतिखंड थाना है आदर्श थाना

राजधानी का इकलौता विभूतिखंड थाना आदर्श थाना है। जहां आम पब्लिक के साथ-साथ सीनियर सिटीजन व दिव्यांगों का भी ख्याल रखकर निर्माण कराया गया है। यहां दिव्यांगों व सीनियर सिटीजन के लिए रैम्प की सुविधा है, जिसके चलते वे आसानी से थाना प्रभारी तक मदद के लिए गुहार लगाने पहुंच सकते हैं।

सरकार ने दिया था आदेश

सरकार ने भी दिव्यांगों के लिए सरकारी बिल्डिंग में रैम्प, व्हीलचेयर, लिफ्ट की सुविधा देने का निर्देश दिया था। आदेश के बाद कई जगहों पर दिव्यांगों को ध्यान में रखते हुए रैम्प, लिफ्ट व व्हीलचेयर की व्यवस्था की भी गई, लेकिन राजधानी के कुछ सरकारी कार्यालय हैं, जहां इसपर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया।