लखनऊ (ब्यूरो)। नान-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज लिवर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने से होती है। एनएएफएलडी मानव इतिहास में लिवर की सर्वाधिक प्रचलित बीमारी है। विश्व में करीब दो अरब लोगों को इसके होने की आशंका रहती है, वहीं भारत में करीब 30 फीसद लोग इसका शिकार हो सकते हैं। डॉ। विवेक भोसले ने बताया कि मोटे व्यक्तियों या मधुमेह वाले लोगों में यह एक सामान्य लक्षण है। आमतौर पर इस रोग के कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं, जिससे इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं।

ऐसे करें बचाव
- संतुलित आहार
- नियमित व्यायाम
- वजन पर नियंत्रण
- नशे से दूरी

छह माह तक दी जाएगी दवा
सीडीआरआई द्वारा पिक्रोलिव के हेपेटोप्रोटेक्टिव सक्रियता के लिए पहले किए गए परिक्षण सफल रहे थे। प्लेसीबो की तुलना में क्लीनिकल रिकवरी में तेजी देखी गई थी। बिलीरुबिन और एसजीपीटी के स्तर में गिरावट पाई गई थी। वर्तमान क्लीनिकल ट्रायल में एमआरआई द्वारा वसा की मात्रा का आकलन करने की योजना बनाई गई है। जिसमें मरीज छह महीने तक दिन में दो बार पिक्रोलिव 100 मिली ग्रा। कैप्सूल लेंगे।
टीम में यह रहे शामिल
इसमें डॉ। विवेक भोसले, डॉ। कुमारवेलु जे, डॉ। मनीष चौरसिया, डॉ। जिया उर गाईन, डॉ। शशिधर, डॉ। शरद शर्मा एवं डॉ। एसके रथ के अलावा सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के डॉ। दिनेश शर्मा, डॉ। अमित कुमार आदि शामिल रहे।