लखनऊ (ब्यूरो)। परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2015 में राजधानी में सिर्फ 1,073 ही ई-व्हीकल थे। जिसमें 1,042 ई-रिक्शा थे। 2023 तक इन वाहनों की संख्या 46 हजार से अधिक हो चुकी है।
टू और फोर व्हीलर की बढ़ी डिमांड

परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2022 में टू-व्हीलर के 1678 रजिस्ट्रेशन हुए। वहीं 2023 जुलाई तक 1620 से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके है। इसके अलावा 2022 में 35 फोर-व्हीलर के मुकाबले 2023 में जुलाई माह तक 455 से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। अधिकारियों की माने तो इन आंकड़ों में अभी और इजाफा होगा।

प्रदूषण भी नहीं होता है
ऑटो एक्सपर्ट चंद्र शेखरन के मुताबिक इलेक्ट्रिक व्हीकल से पॉल्यूशन नहीं होता है। ये काफी ईको फ्रेंडली होते हैं। जबकि, पेट्रोल-डीजल से कार्बन डाईआक्साइड, नैनो डस्ट पार्टिकल संग घातक गैसों का उत्सर्जन हो रहा है। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार एक लीटर पेट्रोल से 2.3 किग्रा कार्बन डाईऑक्साइड और 1 किलो पानी उत्सर्जन होता है। जबकि, 1 लीटर डीजल से 2.6 किग्रा कार्बन डाईऑक्साइड और 1.15 किलो पानी उत्सर्जन होता है। वहीं, एलपीजी से 1.7 किलो कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन होता है।

सब्सिडी और टैक्स छूट भी
एआरटीओ प्रशासन अखिलेश द्विवेदी ने बताया कि ई-रिक्शा का चलन तेजी से बढ़ा है। पेट्रोल और डीजल महंगा होने से लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल पसंद कर रहे हैं। इसमें सब्सिडी भी मिलती है और टैक्स में भी छूट है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। इसमें खर्चा भी कम आता है और प्रदूषण भी नहीं होता है।
- अखिलेश द्विवेदी, एआरटीओ, प्रशासन