लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में अवैध निर्माणों की वजह से लगातार हादसे हो रहे हैैं, इसके बावजूद इन पर रोकथाम लगती नजर नहीं आ रही है। हैरानी की बात तो यह है कि प्राधिकरण की ओर से अवैध निर्माणों को चिन्हित करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। परिणामस्वरूप अलाया अपार्टमेंट जैसे हादसे सामने आते हैैं और दर्जनों जिंदगियां खतरे में पड़ती हैैं।

400 बिल्डिंग हो चुकी हैं सील

एलडीए की ओर से करीब 400 ऐसी बिल्डिंग अभी तक सील की जा चुकी हैैं, जिनका निर्माण मानकों के अनुरूप नहीं मिला है या निर्माणकर्ता की ओर से नक्शे में खेल किया गया है। इसके साथ ही ऐसे निर्माणों को लगातार ध्वस्त भी किया जाता है, जो मानकों के विपरीत बनते हैैं। इसके बावजूद निर्माणकर्ताओं की ओर से अवैध निर्माण लगातार कराए जाते रहते हैैं और लोगों की जिंदगी खतरे में डाली जाती है।

सिंगल यूज नक्शे पर तान देते हैं बिल्डिंग

निर्माणकर्ताओं की ओर से सिंगल यूज बेस पर नक्शा पास कराया जाता है और इसके बाद उसके ऊपर अपार्टमेंट तान दिया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि प्राधिकरण के जिम्मेदारों की ओर से इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता और हादसा होने पर नए सिरे से कार्रवाई शुरू की जाती है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है।

अलाया में भी खेल आया सामने

अब वजीर हसन रोड स्थित अलाया अपार्टमेंट की बात करें तो इसका निर्माण करीब 10 साल पहले मानकों को नजरअंदाज करके हुआ था। वर्ष 2009 में पहली बार जब बिल्डर की ओर से नक्शा दिया गया था तो उस दौरान नक्शे को प्राधिकरण की ओर से निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद फिर से बिल्डर ने कंपाउंडिंग के लिए अप्लाई किया। बस फिर क्या था, बिल्डर की ओर से पतले पिलर पर पांच मंजिला अपार्टमेंट तान दिया गया। जब अपार्टमेंट गिरा तो हकीकत सामने आ गई कि मानकों के खेल के साथ ही निर्माण गुणवत्ता में भी खासी लापरवाही बरती गई थी।

प्राधिकरण प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं

राजधानी में तेजी से अवैध इमारतें बन रही हैैं, इसके बावजूद प्राधिकरण की ओर से अवैध इमारतों को चिन्हित करने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाता है। अगर कोई अवैध इमारत सामने आती है तो उसका मामला प्राधिकारी कोर्ट जाता है और सुनवाई के बाद एक्शन लिया जाता है। प्राधिकरण को सभी जोन में अभियान चलाकर अवैध इमारतों को चिन्हित करना चाहिए।

नक्शे के आधार पर सत्यापन

प्राधिकरण के पास सभी इमारतों (आवासीय और कॉमर्शियल) का डेटा मौजूद रहता है। प्राधिकरण प्रशासन के जिम्मेदारों को अच्छी तरह से जानकारी होती है कि नक्शा सही पास कराया गया है या नहीं। ऐसे में जरा सी लापरवाही बरते जाने पर आवासीय के स्थान पर कॉमर्शियल बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाती है और खौफनाक हादसे सामने आते हैैं। प्राधिकरण को स्वीकृत नक्शे के आधार पर संबंधित इमारत का स्थलीय सत्यापन जरूर कराया जाना चाहिए, जिससे अगर इमारत मानक के विपरीत बनी है तो तत्काल उसके खिलाफ एक्शन लिया जा सके।

लेवाना कांड के बाद भी कार्रवाई नहीं

पिछले साल होटल लेवाना में हुए अग्निकांड के बाद प्राधिकरण की ओर से अवैध निर्माणों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान चलाए जाने की बात कही गई थी। कुछ दिन अभियान चला, लेकिन बाद में सब ठंडे बस्ते में चला गया। यह प्लान तैयार किया गया था।।

1-सभी होटलों की जांच-अग्निकांड के बाद चारबाग समेत कई अन्य एरियाज में होटलों में मानकों की जांच की गई, लेकिन गुजरते वक्त के साथ कार्रवाई शून्य हो गई।

2-नक्शों की जांच-होटलों के साथ-साथ कॉमर्शियल भवनों के नक्शों की जांच कराई जानी थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।

3-टीमें करेंगी सत्यापन-यह भी योजना बनाई गई थी कि घनी बस्तियों या सकरी गलियों में बनी इमारतों में सुरक्षा से जुड़े बिंदुओं को लेकर टीमें स्थलीय सत्यापन करेंगी। कुछ बिल्डिंग्स पर तो काम हुआ, लेकिन बाद में स्थिति जस की तस हो गई।

अब फिर से वही कदम

अलाया अपार्टमेंट गिरने के बाद एक बार फिर से प्राधिकरण की ओर से संबंधित अपार्टमेंट के कागजातों को खंगालने का काम शुरू कर दिया गया है साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि अन्य अपार्टमेंट्स के नक्शे इत्यादि की भी जांच कराई जाएगी। अब देखते हैैं कि यह कार्रवाई कितने दिन चलती है।

लंबे समय से जर्जर थी इमारत

अस्पताल पहुंचे घायलों का कहना है कि इमारत लंबे समय से जर्जर थी। इसके बावजूद बिल्डर की ओर से इसका मेंटिनेंस नहीं कराया गया। परिणामस्वरूप यह दर्दनाक हादसा हुआ। वहीं दूसरी तरफ, अपार्टमेंट से जुड़े अभिलेख भी ढूढें नहीं मिल रहे हैं।