लखनऊ (ब्यूरो)। यह स्टडी 358 किशोरियों और युवा महिलाओं पर की गई। जिनकी उम्र 12 से 24 वर्ष के बीच थी। जिसमें पाया गया कि लड़किया पीएमएस की समस्या से ग्रसित थी, जो आमतौर पर 20-25 वर्ष के बीच की लड़कियों में पाया जाता है। यह समस्या पीरियड होने के 8-10 दिन पहले शुरू हो जाती है। स्टडी के दौरान करीब 197 यानि 55 फीसद में पीएमएस पाया गया। 77 फीसद मामलों में माइल्ड, 38 में मॉडिरेट और 3 फीसद में गंभीर पीएमएस की समस्या देखने को मिली।
गंभीर हो सकता है मामला
डॉ सुजाता के मुताबिक अगर पीएसएस गंभीर है तो वो बढ़कर प्री-मेंसट्रुअल डिस्फोरिक डिस्आर्डर (पीएमडीडी) हो जाता है। इसमें साइकियाट्रिक के पास इलाज के लिए जाना पड़़ता है।

ये समस्याएं देखने को मिलीं
समस्या प्रतिशत
गुस्सा आना 75 फीसद
एंजायटी 32 फीसद
मन न लगना 35 फीसद
डिप्रेशन 27 फीसद
चिड़चिड़ापन 56 फीसद
सोशल न होना 46 फीसद
वजन बढ़ना 28 फीसद
सिर दर्द 24 फीसद
पेट फूलना 45 फीसद

इसलिए होती है समस्या
प्री-मेंसुरल सिंड्रोम अमूमन हार्मोन के असंतुलन से होता है। जो खासतौर पर इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के असंतुलन की वजह से होता है। डिप्रेशन, स्ट्रेस, पोस्ट पार्ट डिप्रेशन या फिर जेनेटिक भी हो सकता है।

यह समस्या आती है
- चिड़चिड़ापन
- चीखना व चिल्लाना
- ब्रेस्ट में सूजन
- मुंहासे
- मूड खराब होना
- क्रेविंग्स होना
- नींद न आना
- आत्महत्या का विचार आना

ऐसे करें बचाव
- खानपान का ध्यान रखें
- आयरन, कैल्शियम प्रचुर मात्रा में लें
- फलों का सेवन करें
- नमक कम लें
- शरीर में पानी एकत्र न होने दें
- योग व मेडिटेशन करें
- कैफीन और एल्कोहल न लें

स्टडी में पाया गया कि लड़कियों में पीएमएस की समस्या बढ़ रही है। जिससे उनकी सोशल लाइफ डिस्टर्ब हो रही है। समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डॉ सुजाता देव, क्वीन मैरी