लखनऊ (ब्यूरो)। सबसे पहले राजधानी में जीआईएस मैपिंग कराई जाएगी। जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि कहां पर विकास की संभावनाएं हैं।यह जानकारी मिल सकेगी कि प्राधिकरण की संपत्तियों का स्टेटस क्या है। जीआईएस मैपिंग में सभी संपत्तियों का विवरण दर्ज किया जाएगा। जिससे एक क्लिक के माध्यम से किसी भी संपत्ति आवासीय या व्यावसायिक के बारे में जानकारी हासिल की जा सकेगी।
सबसे बड़ा फायदा
वन मैप की बात की जाए तो सबसे बड़ा फायदा यह है कि चरणबद्ध तरीके से विकास संबंधी योजनाओं को इंप्लीमेंट किया जा सकेगा। जीआईएस सर्वे के बाद एलडीए के पास संपत्तियों और खाली जमीन संबंधी पूरा विवरण उपलब्ध होगा। इसके आधार पर प्राधिकरण की ओर से आवासीय या व्यावसायिक प्रोजेक्ट्स को तैयार किया जाएगा।

ये भी होंगे फायदे
1- खाली जमीनों के बारे में पूरी डिटेल जानकारी
2- एक क्लिक पर मिलेगा संपत्तियों का विवरण
3- नए प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण करना होगा आसान
4- अवैध निर्माणों पर आसानी से नजर
5- प्रोजेक्टस वहीं डेवलप होंगे, जहां पब्लिक कनेक्टिविटी होगी

एरियावाइज डेवलपमेंट होगा
वन मैप के आधार पर एरिया वाइज डेवलपमेंट कराया जा सकेगा। इसके माध्यम से यह आसानी से जाना जा सकेगा कि किस एरिया में आवासीय प्रोजेक्ट्स की जरूरत है और किस एरिया में व्यावसायिक प्रोजेक्ट्स की।
विवाद नहीं सामने आएंगे
भूमि अधिग्रहण के दौरान अक्सर विवाद सामने आते हैं। ऐसे में वन मैप के माध्यम से उक्त विवादों का उचित निस्तारण किया जा सकेगा। जिसके बाद प्राधिकरण की ओर से जमीन अधिग्रहण करके प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे।
चार माह से प्रयास
एलडीए की ओर से वन मैप पर पिछले करीब चार माह से काम किया जा रहा था। तकनीकी समेत कई बिंदुओं पर मंथन के बाद इस कदम को बोर्ड मेंबर्स की ओर से स्वीकृति दे दी गई है। जिसके बाद अब इस प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी भेजा गया है। अब स्मार्ट सिटी के अंतर्गत जीआईएस मैपिंग आदि कार्य कराए जाएंगे।
लंबे समय से जरूरत
इस कदम की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। अभी किसी भी योजना को लांच करने से पहले प्राधिकरण प्रशासन को खासी कवायद करनी पड़ती है लेकिन जब यह सिस्टम इंप्लीमेंट हो जाएगा तो कोई भी योजना समय से लांच हो सकेंगी।

ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर वन मैप लखनऊ तैयार कराया गया है। इसे बोर्ड की ओर से स्वीकृति भी दे दी गई है। खास बात यह है कि इसके माध्यम से एक तरफ जहां सुनियोजित विकास कराया जा सकेगा, वहीं दूसरी तरफ संपत्तियों का पूरा डेटा बेस भी तैयार हो जाएगा।
अक्षय त्रिपाठी, वीसी, एलडीए