लखनऊ (ब्यूरो)। सदन में कई पार्षदों की ओर से ठेकेदारों के भुगतान व टैक्स वसूली को लेकर सवाल उठाए गए। पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि एक फर्म को एक करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया, जबकि कई अन्य ठेकेदार भुगतान को लेकर परेशान हैैं। नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने तत्काल जांच कराए जाने के निर्देश दिए है। कई अन्य मामले सामने आने पर मेयर ने सभी शिकायतों की जांच कराने के निर्देश दिए और उसकी मॉनिटरिंग के लिए भ्रष्टाचार निवारण सेल का गठन करने का निर्णय लिया। सेल के संयोजक के रूप में सेवानिवृत जज अथवा इंटरनल लोकायुक्त को नियुक्त किया जाएगा। शिकायतों की जांच के बाद दोषियों पर एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। वहीं मेयर ने वर्तमान कार्यकाल से पार्षदों के एक आवासीय भवन को गृहकर, सीवरकर, और जलकल से छूट प्रदान करने का निर्णय लिया है।
आय बढ़े, इसलिए लाइसेंस शुल्क में की वृद्धि
निगम की आय बढ़ाने के लिए शहर सरकार की ओर से कई तरह के लाइसेंस शुल्क में वृद्धि की गई है। जिसमें ट्रैवल एजेंसियां, सड़क किनारे खड़े होने वाले वाहन, ई रिक्शा आदि शामिल हैैं।

इस तरह समझें
बड़े मोबाइल फूड बैंक का लाइसेंस शुल्क- 24 हजार से 36 हजार
छोटे मोबाइल फूड बैंक का लाइसेंस शुल्क- 1800 रु। से बढ़ाकर 2400 रु।
(पार्षदों की मांग पर इस लाइसेंस शुल्क को डेढ़ गुना किया गया है।)
बड़ी ट्रैवल एजेंसी-12 हजार वार्षिक लाइसेंस शुल्क
छोटी ट्रैवल एजेंसी-8 हजार वार्षिक लाइसेंस शुल्क
लग्जरी कार की एजेंसी-24 हजार वार्षिक लाइसेंस शुल्क

निगम से रजिस्टर्ड कराने होंगे ई रिक्शा
शहर सरकार की ओर से यह भी निर्णय लिया गया है कि ई रिक्शा संचालकों को निगम से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसका शुल्क करीब दो हजार रुपये सालाना रखा गया है। वहीं रोड पर नियमित रूप से खड़े होने वाले हल्के और भारी वाहनों से भी पार्किंग शुल्क लिया जाएगा। इसकी दरें भी निर्धारित कर दी गई हैैं।

इस तरह लगेगा वार्षिक शुल्क
ट्रैवेल हेतु छोटी कार पर शुल्क-2500 रु।
ट्रैवेल हेतु टेंपो, ऑटो एवं ई।रिक्शा पर शुल्क- 2000 रु।
ट्रैवेल हेतु बड़ी कार (एसयूवी, इनोवा, फॉर्च्यूनर, स्कार्पियों)पर शुल्क-4000 रु।
ट्रैवेल हेतु बड़ी बस पर शुल्क-6000 रु।
ट्रैवेल हेतु मिनी बस पर शुल्क-5000 रु।
छोटा माल ढुलाई वाहन- 4000 रु।

सड़क पर खड़े वाहनों पर 4 हजार वार्षिक शुल्क
सदन में सड़क या सड़क किनारे खड़े होने वाले निजी संस्थानों और प्रतिष्ठानों के वाहनों से भी शुल्क लिए जाने की तैयारी की गई है। सदन की ओर से इस पर मुहर भी लगा दी गई है। सदन की सहमति के बाद प्राइवेट व्हीकल्स से 4 हजार रुपये वार्षिक पार्किंग शुल्क लिया जाएगा।
वसूली जाएगी क्षतिपूर्ति
प्रचार विभाग की ओर से प्रिंटिंग प्रेसों से शुल्क वसूला जाता है। प्रिंटिंग प्रेसों की ओर से पोस्टर व पंपलेट्स की सफाई नहीं कराई जाती है। यह कार्य निगम की ओर से कराया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए सदन की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि अब प्रिंटिंग प्रेसों से क्षतिपूर्ति राशि ली जाएगी। इसके साथ ही एलडीए द्वारा चिन्हित 181 स्क्रैप स्थलों अंतर्गत छोटे स्थल पर 30 हजार, मीडियम स्थलों पर 45 हजार और बड़े स्थलों पर 60 हजार वार्षिक शुल्क लगाया जाएगा।
88 गांवों को मिला 44 करोड़, मिलेंगी सुविधाएं
निगम में शामिल 88 गांवों के विकास के लिए भी शहर सरकार की ओर से धनराशि जारी की गई है। 88 गांवों के लिए 44 करोड़ धनराशि रखी गई है। जिसके माध्यम से गांवों में सड़क और नाली एवं अन्य विकास कार्य कराए जाएंगे।