- राष्ट्रपति ने किया डा। भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास

LUCKNOW:

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को राजधानी में प्रदेश सरकार की ओर से बनवाए जा रहे डॉ। भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रखी। इस दौरान लोकभवन में आयोजित वर्चुअल शिलान्यास समारोह में उन्होंने डॉ। आंबेडकर के जीवनमूल्यों और आदर्शो के विभिन्न पहलुओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के जीवनमूल्यों और आदर्शो के अनुरूप समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है।

यह बाबा साहेब की स्नेह-भूमि

राष्ट्रपति ने कहा कि लखनऊ को बाबा साहब की स्नेह-भूमि भी कहा जाता है। बाबा साहब के लिए गुरु समान बोधानंद जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानंद जी का निवास लखनऊ में ही था। आंबेडकर की स्मृतियों से जुड़े सभी स्थल भारतवासियों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। भारत सरकार ने इन्हें तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित किया है। मध्य प्रदेश के महू में उनकी जन्मभूमि, नागपुर में दीक्षा-भूमि, दिल्ली में परिनिर्वाण स्थल, मुंबई में चैत्य भूमि और लंदन में आंबेडकर मेमोरियल होम को तीर्थस्थलों की श्रेणी में रखा गया है।

लोग जानेंगे बाबा साहब के विचार

राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि लखनऊ में बन रहा यह सांस्कृतिक केंद्र सभी देशवासियों को, विशेषकर युवा पीढ़ी को बाबा साहब के आदर्शों एवं उद्देश्यों से परिचित कराने में प्रभावी भूमिका निभाएगा। मंच पर राष्ट्रपति की पत्नी व देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ। दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ। नीलकंठ तिवारी और मुख्य सचिव आरके तिवारी भी मौजूद रहे।

विजन में थीं चार बातें

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहब के विजन में चार बातें सबसे महत्वपूर्ण रहीं हैं। ये चार बातें हैं नैतिकता, समता, आत्मसम्मान और भारतीयता। इन चारों आदर्शों और जीवन मूल्यों की झलक उनके ¨चतन और कार्यों में दिखाई देती है। डॉ। आंबेडकर की सांस्कृतिक सोच मूलत: समता और समरसता पर आधारित थी।

भगवान बुद्ध के विचारों का गहरा प्रभाव

राष्ट्रपति ने भगवान बुद्ध के विचारों का भारत की धरती पर गहरा प्रभाव बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के महत्व को न समझने वाले साम्राज्यवादी लोगों को भी महात्मा बुद्ध से जुड़े सांस्कृतिक आयामों को अपनाना पड़ा। राष्ट्रपति भवन के भव्य गुंबद की बनावट बौद्ध धर्म से जुड़ी वैश्विक विरासत सांची स्तूप पर आधारित है। उसी गुंबद पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज लहराता है। हमारे राष्ट्र ध्वज के केंद्र में सारनाथ के धर्मचक्र पर आधारित अशोक चक्र अंकित है। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और राजधानी नई दिल्ली के अनेक महत्वपूर्ण स्थलों पर भगवान बुद्ध से जुड़े प्राचीन भारतीय प्रतीक व स्थापत्य के उदाहरण मौजूद हैं।

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महिलाओं को दिलाया समान अधिकार

राष्ट्रपति ने कहा कि आंबेडकर आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे। हमारे संविधान में शुरू से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं। विश्व के अन्य प्रमुख लोकतांत्रिक देशों में यह समानता महिलाओं को लंबे समय के बाद ही मिल पाई थी।