लखनऊ (ब्यूरो)। जरूरतमंदों को समय पर ब्लड उपलब्ध कराया जा सके, इसके लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक संख्या में लोग ब्लड डोनेट करें। महिलाएं इस मामले में काफी पीछे हैं। केजीएमयू में साल भर के दौरान करीब 70 हजार लोग ब्लड डोनेट करने आए, जिसमें महिलाएं सिर्फ एक हजार के करीब हैं। आइए जानते हैं, इसके पीछे मुख्य कारण क्या हैं

साल भर में महज एक हजार

केजीएमयू ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की हेड प्रो। तुलिका चंद्रा ने बताया कि संस्थान में रोज बड़ी संख्या में लोग ब्लड डोनेट करने आते हैं। साल भर के दौरान करीब 70 हजार लोग ब्लड डोनेट करते हैं। हैरानी की बात यह है कि इसमें महिलाओं की संख्या सिर्फ एक हजार के आसपास है।

ये हैं दो प्रमुख कारण

प्रो। तुलिका चंद्रा ने महिलाओं के ब्लड डोनेट न करने के पीछे पहला प्रमुख कारण यह है कि वे ब्लड डोनेट तो करना चाहती हैं लेकिन कुछ समस्याओं के चलते वे ऐसा करने से बचती हैं। दूसरा प्रमुख कारण यह है कि वे घर-परिवार में ही उलझी रहती हैं। अधिकतर महिलाएं पुरुषों की तुलना में पतली होती हैं, जिसके चलते वे खुद को कमजोर मानने लगती हैं। एक कारण यह भी है कि लड़कियां खुद को पतला रखने के लिए कम खाती हैं, जिसके चलते वे कमजोर हो जाती हैं और ब्लड डोनेट करने से बचती हैं। वहीं, पुरुषों के सामने इस तरह की कोई समस्या नहीं होती है।

10 फीसद भी संख्या नहीं

देश में 10 फीसद महिलाएं भी ब्लड डोनेट नहीं करती हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी सेहत को लेकर संवेदनशील नहीं हैं। भारत में बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं में हीमोग्लोबिन 4 से 5 ग्राम तक ही मिलता है। इसका पता कई बार उन्हें प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के समय ही चलता है।

ब्लड डोनेट करना जरूरी

जो लड़कियां ब्लड डोनेट करती हैं उनमें एचआईवी व हेपेटाइटिस बी-सी आदि कम ही मिलता है। जबकि, पुरुषों की संख्या अधिक होने के कारण उनमें इसकी संख्या अधिक होती है। इसलिए लड़कियों को ब्लड डोनेट जरूर करना चाहिए। इसका फायदा यह है कि जांच के दौरान हीमोग्लोबिन, खून की कमी, हेपेटाइटिस, एचआईवी आदि के बारे में उन्हें जानकारी मिल जाएगी।

पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सीमित संख्या में ब्लड डोनेट करती हैं। उनको आगे आकर डोनेट करना चाहिए। इससे उनको हेल्थ के बारे में पता चल सकेगा।

-प्रो। तुलिका चंद्रा, हेड, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, केजीएमयू