लखनऊ (ब्यूरो)। टीनएज में शारीरिक और मानसिक रूप से कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। यह ऐसी उम्र है, जिसमें बच्चों को सबसे ज्यादा अपने पैरेंट्स की जरूरत पड़ती है। जिससे उनको सफलता की सीढ़ी चढ़ने में आसानी हो जाती है, लेकिन टाइम की कमी के चलते पैरेंट्स बच्चों से दूरी बना लेते हैं। ऐसे में इन बच्चों के बिहेवियर में भी बदलाव आने लगता है। टीनएज बच्चों के पैरेंट्स को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वे अपने बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश करें

क्वालिटी टाइम जरूरी
चाइल्ड साइकेट्रिस्ट का कहना है कि टीनएज में पैरेंट्स का अपने बच्चों का दोस्त बनना बेहद जरूरी होता है। इस उम्र में बच्चों में कई बदलाव होते हैं। कई बार ऐसी कुछ बातें भी होती हैं, जिन्हें सिर्फ वे अपने दोस्तों और करीबियों के साथ शेयर करते हैं। इसलिए पैरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों से बीच-बीच में बात करते रहें, उनके लिए क्वालिटी टाइम निकालें। बच्चों के सामने माता-पिता बनने के बजाय उनसे दोस्त बनकर बात करें, ताकि वे अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति आपके साथ शेयर कर सकें। अगर ये सारी चीजें होती रहीं तो आपका बच्चा आपके साथ फ्रेंडली हो सकता है।

बच्चों को बनाएं अपना दोस्त
जिंदगी में दोस्तों का होना बहुत जरूरी है। अगर आपके बच्चे के दोस्त कम हैं या नहीं हैं, तो सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें वह दोस्त बनाने में हिचकिचा क्यों रहा है। अपने बच्चे से पूछें कि उसके दोस्त क्यों नहीं हैं या वह क्यों दूसरे बच्चों के साथ नहीं खेलता है। बच्चे के मन और परिस्थिति को पूरी तरह से जानने के बाद आपको सही कदम उठाने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप खुद बच्चे से बात कर के पूछ सकते हैं कि उसे दोस्त बनाने में क्या प्रॉब्लम है या उसे कहां दिक्कत आ रही है।

अपनाएं ये तरीका
पिकनिक- बच्चों के साथ हमेशा ऐसा बिहेव करें कि वह आपका दोस्त है। इसमें माता-पिता दोनों का साथ जरूरी है। इससे आपका बच्चा आपसे दूर जाने के बजाए आपको अपना दोस्त मानेगा। उसे पिकनिक वगैरह पर ले जाएं।

निगेटिव बातों से दूरी- याद रखें कि बच्चों से सिर्फ पॉजीटिव बातें ही पूछनी चाहिए, जैसे कि आज स्कूल में क्या अच्छा और क्या अच्छा नहीं हुआ। बुरा शब्द या फिर निगेटिव शब्दों के चयन से बचना चाहिए। इससे बच्चे के मन में कभी हीनभावना पैदा नहीं होगी।

पैरेंट्स मीटिंग की अच्छी बातें- अक्सर स्कूलों में पैरेंट्स मीटिंग होती रहती है। इसमें जाएं तो सिर्फ अच्छी बातों पर ध्यान दें, क्योंकि अगर बच्चा स्कूल में पढ़ाई में कमजोर है तो उसमें कुछ अच्छी बातें भी होंगी। आप उन बातों पर ध्यान देंगे तो बच्चे को खुशी मिलेगी।

समय बिताने पर ही समझेंगे अपना
- अगर आप टीनएज में बच्चों के दोस्त बनना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें अपना समय दें। अगर आप उनके साथ समय बिताते हैं तो वह धीरे-धीरे आपको अपने से करीब समझेंगे।
- जिस तरह आप चाहते हैं कि आपका दोस्त आपके लिए हमेशा अवेलेबल रहे। उसी तरह बच्चों के लिए आप भी हमेशा अवेलेबल रहें। एक दोस्त की जिम्मेदारियों को समझें।
- बच्चों का दोस्त बनने के लिए इस रिश्ते को मीनिंगफुल टच दें। उनकी अच्छाई और सच्चाई पर उन्हें हग करें।
- अगर आप पैरेंट्स की तरह उन्हें बात-बात पर डांटते हैं, तो यह आपको उनका दोस्त बनने से रोक सकता है।
- टीनएज के बच्चों को कम से कम डांटें, ताकि वे आपके साथ अपनी हर स्थिति को बताने में हिचकिचाएं नहीं।

पैरेंट्स इन बातों पर दें ध्यान
- बच्चे के व्यवहार में कोई बदलाव आया है तो उसे गंभीरता से लें
- बच्चे ने गलती कर दी है तो उसे मारे-डांटे नहीं
- बच्चों को खेलने का मौका दें
- हॉबी डेवलप कराएं पेंटिंग, क्रिकेट, टेनिस आदि खेलने को कहें
- उनका ऑनलाइन कांटेंट मॉनीटर करते रहेें
- बच्चों से बात करें
- एक साथ त्योहार मनाएं, दोस्तों से मिलें
- रूटीन बांध लें कि डिनर करते समय टीवी देखने के बजाए बच्चों से बात करें
- बच्चों को क्वालिटी टाइम दें, इससे आपके बच्चों के बिहेवियर में बदलाव आएगा

टीनएजर्स में सुसाइड के मामले बढ़ रहे हैं। ऐेसे में पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों के लिए क्वालिटी टाइम निकालें। इसमें घूमना-फिरना, एक साथ डिनर करना, किसी टॉपिक पर खुलकर बात करना आदि शामिल होता है। इससे बच्चों का बिहेवियर तो बदलता ही है, साथ ही वे पैरेंट्स को अपना दोस्त भी मानने लगते हैं।
डॉ। अमित आर्या, चाइल्ड साइकेट्रिस्ट, केजीएमयू