लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के डालीबाग रेलवे स्टेशन है को मुख्य गेट नंबर एक प्लेटफार्म की तरफ जितना खूबसूरत बनाया जा रहा है, ठीक उसके दूसरी साइड का हिस्सा गंदगी और असुविधाओं से लैस होकर आपका स्वागत करता है। स्टेशन में एंट्री से लेकर प्लेटफार्म तक पर गंदगी की भरमार है। गुरुवार को जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने इस स्टेशन का रियलटी चेक किया तो ड्रिकिंग वाटर, वेटिंग रूम, सुरक्षा व्यवस्था, पंखा, स्ट्रीट डॉग्स, चोर दरवाजा समेत कई मूल सुविधाओं से जुड़ी खामियां मिलीं। यहां से हर महीने सफर करने वाले लगभग 28 हजार पैसेंजर्स को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

न सुरक्षा और न वेटिंग रूम

समय गुरुवार दोपहर 11 बजकर 45 मिनट। डालीगंज की तरफ से रेलवे स्टेशन पर जाने पर स्टेशन का मुख्य द्वारा गंदगी से पटा दिखा। कूड़े का अंबार लगा हुआ था। चारों तरफ स्ट्रीट डॉग्स का झुंड था। अंदर जाने पर टिकट काउंटर के पास भी यही हाल दिखा। कुछ लोग टिकट खरीद रहते थे और कई पैसेंजर्स कुर्सी पर बैठे थे, लेकिन ठीक इसी के नीचे स्ट्रीट डॉग्स ने भी अपना आशियाना बनाया हुआ था। प्लेटफार्म पर पहुंचे तो कोई रोक-टोक नहीं हुई और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी नहीं दिखे। पूरे प्लेटफार्म पर एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं दिखा।

पूरे स्टेशन पर सिर्फ एक टंकी में पानी

नार्थ इस्टर्न रेलवे के अंतर्गत आने वाले इस स्टेशन पर कुल चार प्लेटफार्म हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि सिर्फ प्लेटफार्म नंबर तीन पर ही पीने के पानी की व्यवस्था थी। वहीं, प्लेटफार्म नंबर एक, दो और चार पर कई पानी की टंकियां मिलीं, लेकिन सभी सूखी हुई थीं। जिन भी पैसेंजर्स को पानी पीना था, वे नियमों को ताक पर रख रेल की पटरी क्रास कर पानी पीने दूसरी तरफ जा रहे थे। प्लेटफार्म नंबर एक पर कई पैसेंजर्स सो रहे थे, लेकिन पंखा एक भी नहीं चल रहा था। वेटिंग रूम की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। बैठने के लिए टूटी कुर्सियां प्लेटफार्म पर फैली थीं।

28 हजार पैसेंजर्स करते हैं सफर

रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि इस स्टेशन पर कुल चार प्लेटफार्म हैं, यहां से सीतापुर-लखीमपुर लाइनों की कनेक्टिंग है। रोजना यहां से छह पैसेंजर टे्रनों का आवागमन होता है और 60 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें भी गुजरती हैं। आंकड़ों के मुताबिक, यहां हर महीने लगभग 28 हजार से ज्यादा पैसेंजर्स सफर करते हैं। जिससे नार्थ इस्टर्न रेलवे की लगभग 12 लाख रुपय सेे अधिक की आय होती है। बावजूद इसके यह रेलवे स्टेशन दुर्दशा का शिकार है।

ये हैं खामियां

-टूटी हुईं चेयर्स

-ड्रिकिंग वाटर नहीं

-बंद पड़ा वेटिंग रूम

-सुरक्षा व्यवस्था नहीं

-पंखे खराब

-घूमते स्ट्रीट डॉग्स

-हर तरफ गंदगी

फैक्ट फाइल

60 ट्रेनें रोजाना गुजरती हैं

06 पैसेंजर ट्रेनों का आवागमन

28 हजार पैसेंजर आते हैं हर महीने

12 लाख की होती है औसतन आय

क्या बोले पैसेंजर्स

डालीगंज में मेरा घर है। लोकल रेलवे स्टेशन होने की वजह से यहीं से जाता हूं। इस स्टेशन पर कोई सुविधा मौजूद नहीं है। इसे कई सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

बृजेश पांडेय

स्टेशन पर कोई चेकिंग नहीं होती है, कहीं से कोई भी आ जा सकता है। पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। दूसरे प्लेटफार्म से पानी पीकर आया हूं। व्यवस्था बदलनी होगी।

अजरेश वर्मा

शहर के बीच यह स्टेशन होने से लाखों लोगों को फायदा जरूर है, लेकिन स्टेशन जैसा होना चाहिए वैसा बिल्कुल नहीं है। व्यवस्था ठीक करनी होगी।

शुभांकर सिंह

पिछले कई सालों इस स्टेशन पर आ रहा हूं, लेकिन आजतक इसकी तस्वीर नहीं बदली। हालांकि, कुछ काम हो जरूर रहा है। सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है।

रामप्रसाद