लखनऊ (ब्यूरो)।
केजीएमयू
विज्ञापन निकाला गया है
केजीएमयू में चार हजार से अधिक बेड हैं और रोज पांच हजार से अधिक मरीज रोज इलाज के लिए यहां आते हैं। यहां करीब पांच सौ से अधिक डॉक्टरों के पद है, हालांकि करीब सौ पद खाली चल रहे हैं। 1700 से अधिक स्टॉफ नर्स के विभिन्न पद हैं, जिसमें 700 के करीब परमानेंट और हजार के करीब आउटसोर्सिंग कर्मचारी तैनात हैं। दूसरे देशों से भी मरीज भी यहां आते हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए भर्ती का विज्ञापन निकाला गया है।
बोले जिम्मेदार
मरीजों को लाइन न लगानी पड़े इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया है। वेटिंग रूम में भी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। खाली पदों पर जल्द भर्तियां हो जाएंगी, जिससे जो दिक्कतें हैं वे दूर हो जाएंगी। संस्थान मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी फ्लोर पर मरीजों के बैठने की सुविधा है और डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं।
डॉ सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

लोहिया संस्थान

सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं
संस्थान में एक हजार के करीब बेड हैं और रोज चार हजार से अधिक मरीज आते हैं। 443 शैक्षणिक पोस्ट के सापेक्ष करीब 314 पद खाली हैं। नर्सेज के 2356 पदों के मुकाबले करीब दो हजार से अधिक पद खाली हैं। ऐसे में मरीजों की लंबी वेटिंग का सामना करना पड़ रहा है। यहां तीमारदारों के लिए कुर्सियां समेत वेटिंग रूम बढ़ाने का काम चल रहा है।
बोले जिम्मेदार
नर्सेज पदों पर संविदा के तहत काम चल रहा है। 431 नर्सेज पदों पर भर्ती चल रही है। डॉक्टर भर्ती की प्रक्रिया भी होगी। मरीजों की सहूलियत के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की भी व्यवस्था है। हालांकि, मरीजों का लोड अधिक है लेकिन, इसके बावजूद मरीजों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
डॉ एपी जैन, प्रवक्ता, लोहिया संस्थान

सिविल अस्पताल
विस्तार होने पर मिलेगी बड़ी राहत
सिविल अस्पताल में 401 बेड उपलब्ध हैं और यहां रोज तीन हजार से अधिक मरीज आते हैं। यहां डॉक्टर्स के सभी 85 पद और नर्सेज के 95 पद भरे हैं। यहां मरीजों के बैठने की व्यवस्था अच्छी नहीं है और अधिकतर मरीजों को खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। यहां दवा काउंटरों की संख्या बढ़ाकर सात से नौ कर दी गई है। अस्पताल के विस्तार का काम भी चल रहा है।
बोले जिम्मेदार
मरीजों की सहूलियत के लिए आभा काउंटर बनाए गए हैं। स्कैन द्वारा पर्चा बनाने से लेकर डॉक्टरों द्वारा प्रमुखता से देखे जाने के लिए निर्देशित किया गया है। मरीजों के बैठने की समस्या है, अस्पताल विस्तार के बाद यह समस्या भी खत्म हो जाएगी।
डॉ नरेंद्र अग्रवाल, निदेशक, सिविल अस्पताल

बलरामपुर अस्पताल
डॉक्टरों की है काफी कमी
सात सौ से अधिक बेड वाले प्रदेश के सबसे बड़े जिला अस्पताल बलरामपुर में रोज चार हजार से अधिक मरीज आते हैं। यहां डॉक्टरों के 101 पद हैं, जिसमें से 39 पद खाली चल रहे हैं। जिसके चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ओपीडी में उन्हें घंटों लग जाते हैं। वहीं अगर नर्सों के पदों की बात की जाए तो यहां नर्स के 132 पद है, जिसमें सभी भरे हुए हैं। मरीजों का लोड अधिक होने के कारण यहां कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बोले जिम्मेदार
अस्पताल में कुर्सियां और चेयर लगी हैं। इमरजेंसी के बाहर भी बेंंच लगी हैं। एसएसबी ब्लाक में वेटिंग रूम है। अस्पताल में मरीजों का लोड अधिक है, जिसे देखते हुए सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। सीढिय़ों पर बैठने से तीमारदारों को रोका जा रहा है।
डॉ जेपी गुप्ता, सीएमएस, सिविल अस्पताल