- ओपीडी और वार्ड में मरीजों से भरवाया जाएगा फीडबैक फॉर्म
- मरीजों से पूछा जाएगा कैसा रहा डॉक्टर और स्टॉफ का व्यवहार
LUCKNOW: सिविल अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीज अब पर्चा काउंटर से लेकर ओपीडी, वार्ड आदि के बारे में अपना फीडबैक देंगे, जिसके आधार पर अस्पताल के सिस्टम में बदलाव किया जाएगा, ताकि अस्पताल को ज्यादा ग्रांट मिल सके। गौरतलब है कि नेशनल क्वालिटी अश्योरेंस स्टैंडर्ड के सभी स्टैंडर्ड को जो अस्पताल पास करता है, उसे एक्सीलेंस सर्टिफिकेट के साथ फाइनेंशियल ग्रांट भी मिलती है।
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देखे जाते हैं ये मानक
- सेवा प्रावधान
- मरीजों के अधिकार
- इनपुट
- सहायता सेवाएं
- दैनिक देखभाल
- संक्रमण नियंत्रण
- क्वालिटी
- रिजल्ट
नोट- अस्पताल के निदेशक डॉ। सुभाष चंद्र सुंद्रियाल के अनुसार इन सभी पर ट्रायल बेस पर काम किया जा रहा है। अगले सप्ताह से इसे पूरी तरह शुरू कर दिया जाएगा।
डिपार्टमेंट में भी होगा शुरू
हॉस्पिटल मैनेजर डॉ। आशुतोष प्रताप सिंह ने बताया कि ओपीडी और आईपीडी में ट्रायल बेस पर फीडबैक शुरू हो गया है। इसके बाद इस व्यवस्था को अलग-अलग डिपार्टमेंट में शुरू किया जाएगा, ताकि हर विभाग के बारे में जानकारी मिल सके। विभागाध्यक्षों के साथ बैठकर फीडबैक फॉर्म के सवालों के लिए प्लान बनाया जा रहा है। इसमें विभाग से जुड़े 10 सवाल भी होंगे।
इस तरह होता है काम
डॉ। आशुतोष ने बताया मरीजों के फीडबैक के आधार पर अस्पताल को एनक्वाश सर्टिफिकेट मिलेगा। इसके तीन चरण होते है। पहला चरण इंटरनल होता है। इसमें 70 फीसद से अधिक सफलता मिलती है तो स्टेट की टीम आती है। अगर उनकी नंबरिंग में भी 70 फीसद से अधिक होती है, तब नेशनल की टीम आती है। अगर टीम 70 फीसद से कम मार्किंग करती है, तो गैप पीरियड दिया जाता है, जिसमें कमियों को दूर किया जाता है। इसके बाद नेशनल टीम आकर तीन दिन अस्पताल का निरीक्षण करती है और उसके बाद यह सर्टिफिकेट दिया जाता है।
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प्रति बेड 10 हजार रुपए
डॉ। आशुतोष ने बताया कि एनक्वाश सर्टिफिकेट मिलने के बाद अस्पताल को सेंटर गवर्नमेंट से प्रति बेड 10 हजार रुपए ग्रांट में मिलते हैं। इस तरह सिविल अस्पताल को काफी रकम सालाना मिल जाएगी। सिविल अस्पताल में 400 से अधिक बेड हैं।
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ये सवाल पूछे जाएंगे
ओपीडी
- पर्चा बनवाने में कितना समय लगा
- स्टाफ का व्यवहार कैसा है
- डॉक्टर ने कैसा व्यवहार किया
- कितने समय में ट्रीटमेंट मिल गया
- ओपीडी में माहौल कैसा है
आईपीडी
- वार्ड का माहौल कैसा है
- डॉक्टर सही समय देखने आते हैं या नहीं
- बेड की चादर बदली गई है या नहीं
- वार्ड में सफाई की गई या नहीं
- दवा समय पर मिल रही है
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ओपीडी और आईपीडी में आने वाले मरीजों से फीडबैक लिया जाएगा, जिसके आधार पर अस्पताल की मार्किंग की जाएगी। एक सप्ताह में यह काम शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ। सुभाष चंद्र सुंद्रियाल, निदेशक, सिविल अस्पताल