लखनऊ (ब्यूरो)। कॉरपोरेट हाउसेस में काम करने वाले कर्मी अगर अचानक उदास, गुस्सा, किसी बात पर तुनक जाना, सही से जवाब न देना और अचानक से अधिक स्मोकिंग और अल्कोहल लेने लग जायें तो उन्हें और उनके शुभचिंतकों को सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि ये लक्षण डिप्रेशन की ओर ले जाने वाले माने जाते हैं। ऐसे में उनके ऑफिस कलीग्स और परिवार के लोगों को उनपर अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी छोटे-छोटे बदलाव लोग नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में अपनों का साथ उनके लिए उबरने में मददगार साबित हो सकता है। वहीं, समस्या बढ़ने पर स्पेशलिस्ट को भी दिखाना चाहिए।

उलझन और घबराहट बढ़ा रही डिप्रेशन

कॉरपोरेट कर्मी एंग्जायटी व डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि टारगेट बेस्ड वर्क, बॉस की डांट, नौकरी जाने का डर, समय पर प्रमोशन और इंक्रिमेंट न होने का दबाव आदि कॉरपोरेट कर्मियों पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में शुरुआत में उलझन व घबराहट से शुरू होने वाली प्राब्लम आगे चलकर डिप्रेशन की ओर ले जाती है। जिसके चलते धीरे-धीरे कर्मी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। उनके व्यवहार में भी बदलाव आ रहा है। कई सर्वे बताते हैं कि कॉरपोरेट कर्मी 6 घंटे से भी कम की नींद ले रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक है।

ऐसे पहचाने लक्षणों को

केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग के डॉ। अनिल निश्चल बताते हैं कि घर में परिजनों और ऑफिस में कलीग्स को एक-दूसरे के बदलते व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए। अगर कोई अचानक से अनहैप्पी, गुस्सा होना, झगड़ा करना, छोटी बातों पर तुनक जाना, नार्मल रूटीन से हटकर काम करना या मूड में अचानक बदलाव आने जैसा बर्ताव करे तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। ये एंग्जायटी और डिप्रेशन के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा वर्क प्रेशर अधिक होने से अगर नींद सही न आये, स्मोकिंग या अल्कोहल का सेवन बढ़ जाये, घर में गुमसुम रहना और अजीब सी बातें करने लगे तो भी ध्यान दें।

खुद को मेंटली स्ट्रांग रखना बेहद जरूरी

कैंसर संस्थान के एमएस और साइकियाट्रिस्ट डॉ। देवाशीष शुक्ला के मुताबिक, कॉरपोरेट कर्मियों को मेंटली हेल्दी और स्ट्रांग रहने के लिए अपने डेली रूटीन में पॉजिटिव चेंज लाने होंगे। सबसे पहले समझें कि काम के बोझ को दिमाग पर हावी न होने दें। साथ ही हेल्दी व बैलेंस्ड फूड लें और जंक फूड से दूरी बनाकर रखें। सबसे जरूरी है कि देर रात तक मोबाइल का यूज न करें और 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। वहीं, सुबह उठकर योगा, मेडिटेशन, एक्सरसाइज या टहलने के लिए जरूर जाएं। इतना ध्यान रखें कि खुद को मेंटली फिट रखने के लिए आपको खुद पर काम करना होगा। वहीं, समस्या गंभीर होने पर साइकियाट्रिस्ट को जरूर दिखाएं, क्योंकि कई बार दवाओं से भी राहत मिलती है। इसलिए बिना किसी डर और भय के एक्सपर्ट को दिखाकर ट्रीटमेंट शुरू करवाएं। इसके अलावा कॉरपोरेट कंपनी में काउंसलिंग की भी सुविधा होनी चाहिए, ताकि कर्मी अपने मन की बात बताकर हल्का महसूस कर सकें।

अपने रूटीन में इसे शामिल करें

-योगा

-मेडिटेशन

-एक्सरसाइज

-वॉकिंग या रनिंग

-अपनी हॉबी फॉलो करें