लखनऊ (ब्यूरो)। पीजीआई निदेशक प्रो। आरके धीमन ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में चीरे की जगह होल को महत्व दिया जाता है। यही कारण है कि इसे होल सर्जरी भी कहते हैं। इसमें रिस्क कम होता है और मरीज जल्द ठीक हो जाता है। कंप्यूटर की मदद से इस सर्जरी को किया जाता है, जिससे संक्रमण की आशंका भी न के बराबर हो जाती है। अब इस सर्जरी का फायदा पीडियाट्रिक सर्जरी में भी मिलेगा।
दो डॉक्टरों को दिलाई कई ट्रेनिंग
प्रो आरके धीमन ने बताया कि इसके लिए संस्थान के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के दो डॉक्टरों डॉ। बसंत कुमार और डॉ। मडेलिया को ट्रेनिंग दिलाई जा चुकी है। उन्होंने केरल के कोच्ची में जाकर ट्रेनिंग ली है। भारत में पीजीआई एकमात्र गवर्नमेंट संस्थान है जहां एक साथ पांच डिपार्टमेंट में रोबोटिक सर्जरी हो रही है।
बच्चों की सर्जरी होगी आसान
संस्थान के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ। बसंत कुमार ने बताया कि जो सर्जरी लेप्रोस्कोपी से होती है, वो रोबोटिक से आसानी से हो जाएगी। रोबोट की मदद से स्टोन, किडनी, गॉल ब्लेडर, पेट, आंत व यूरिन ट्यूब आदि की सर्जरी कम समय में पूरी होगी और इसक रिजल्ट भी अच्छा होगा। यह सर्जरी आमतौर पर एक साल से अधिक उम्र के बच्चों में की जाएगी। रोबोटिक सर्जरी को फरवरी के अंत तक शुरू करने की तैयारी है।
बड़ों में हो रही थी सर्जरी
पीजीआई में अभी तक बड़ों में ही रोबोटिक सर्जरी की जा रही है। खासतौर पर यूरोलॉजी, गेस्ट्रो सर्जरी, सीवीटीएस और इंडोक्राइन सर्जरी विभाग में रोबोट की मदद से सर्जरी की जा रही है। हाल ही में रोबोटिक सर्जरी की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट को भी यहां अंजाम दिया गया था।

रोबोटिक सर्जरी के फायदे
- सर्जरी के बाद संक्रमण की आशंका कम होती है
- चीरा कम लगाए जाने से टांकों की समस्या नहीं होती है
- सर्जरी के दौरान खून कम निकलता है
- टांके कम लगने के कारण घाव जल्द भर जाता है
- मरीज को अधिक दिनों तक अस्पताल में नहीं रहना पड़ता है

पीजीआई में अब बड़ों के साथ ही बच्चों की भी रोबोटिक सर्जरी की जाएगी। इसके लिए दो सर्जन को ट्रेनिंग दिलाई जा चुकी है। जल्द यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।
प्रो आरके धीमन, निदेशक पीजीआई