लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी सहित प्रदेश भर के सभी ब्लाकों में संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में बेटियों को इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्रदान करने की योजना तीन साल बीत जाने के बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी है। शैक्षिक सत्र 2022-23 भी शुरू हो चुका है, लेकिन इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक ही शिक्षा प्रदान की जा रही है। इन स्कूलों को इंटरमीडिएट तक किए जाने का उद्देश्य था कि बेटियां आठवीं के बाद भी वहीं पढ़ सकें। विभागीय अधिकारियों का कहना था कि अक्सर देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी बहुत सी ऐसी छात्राएं हैं जो आठवीं की बाद पढ़ाई असुरक्षा के चलते छोड़ देती हैं। ऐसे मेें, उनकी आगे की पढ़ाई के लिए प्रत्येक ब्लाक में संचालित केजीबीवी को ही इंटरमीडिएट तक किए जाने का निर्णय लिया गया। पहले चरण में 350 केजीबीवी उच्चीकृत किए जाने का निर्णय लिया गया, लेकिन अभी तक इनमें पढ़ाई नहीं शुरू हो सकी है।

शिक्षकों की भी नहीं हो सकी तैनाती

इन स्कूलों में इंटर तक की पढ़ाई कराने के लिए आउटसोर्सिंग से विषयवार शिक्षकों की तैनाती की जानी थी, लेकिन यह भी नहीं हो सका। हालांकि, बजट जारी होने के बाद अधिकांश स्कूलों में कायाकल्प किया गया और स्कूलों में बने हॉस्टलों को दुरुस्त किया जा रहा है। अभी तक शिक्षकों की तैनाती को लेकर स्थिति साफ न होने के चलते लगता है इस साल भी पढ़ाई नहीं हो सकेगी।

ये भी उच्चीकरण की वजह

तत्कालीन शिक्षा महानिदेशक रहे विजय किरन आनंद का कहना था कि कक्षा 12 की पढ़ाई के लिए दो मानक तय किए गए हैं। ऐसे केजीबीवी स्कूल जहां तीन किमी के दायरे में इंटर कॉलेज नहीं है, उनमें एकेडमिक और गल्र्स हास्टल बनाए जाएंगे, जहां कक्षा नौ से 12 तक की पढ़ाई होगी। इन 121 स्कूलों में 100 छात्राओं के लिए यह व्यवस्था होगी। ऐसे स्कूलों को 315.77 लाख रुपये प्रति केजीबीवी बजट दिया गया है।

प्रदेश में 746 और लखनऊ में आठ

केजीबीवी स्कूल प्रदेश भर में 746 हैं जबकि लखनऊ में आठ स्कूल संचालित हैं। पर इनमें एक भी स्कूल में अभी तक इंटरमीडिएट तक पढ़ाई नहीं शुरू हो सकी है। हर स्कूल में स्मार्ट क्लास के लिए प्रोजेक्टर, स्क्रीन, स्पीकर आदि अनिवार्य रूप से लगाये जाने की तैयारी थी, वह भी नहीं हो सका है। हर कक्षा में एक लर्निंग कार्नर भी बनाया जाना था, शयन कक्ष व शौचालयों को छोड़ कर सभी जगह सीसीटीवी लगाए जाएं और उनकी रिकार्डिंग भी रखे जाने समेत तमाम तैयारियां अधूरी हैं।

इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के लिए स्कूलों में क्लासेस और हॉस्टलों का निर्माण होना था, जो कार्यदायी संस्था की ओर से जारी है। ऐसे में, प्रयास है कि जल्द से जल्द पढ़ाई व्यवस्था शुरू हो सके।

-सरिता तिवारी, माध्यमिक शिक्षा निदेशक व अपर परियोजना निदेशक