लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में लॉ एंड आर्डर मेनटेन रखने और क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने दबंगों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। पुलिस ऐसे दबंगों को चिन्हित कर रही है, जो शहर की शांति व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से अबतक करीब 47 दबंगों को पुलिस ने चिन्हित कर राजधानी से खदेड़ दिया है। वहीं, चिन्हित किए जा रहे अन्य दबंगों को भी बाहर भेजने की तैयारी है।

सबसे ज्यादा नार्थ जोन के दबंग

राजधानी में बढ़ता क्राइम ग्राफ पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ऐसे में अपराध पर अंकुश लगाने के लिए शहर के सभी थानों में पेशेवर अपराधियों पर कार्रवाई की जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, नार्थ जोन में सबसे अधिक 22 दबंगों पर कार्रवाई की गई है। इसके बाद सेंट्रल जोन का नंबर आता है, जिसने अब तक 10 अपराधियों को जिले से बाहर का रास्ता दिखाया है। वहीं, इसके बाद ईस्ट, वेस्ट और फिर साउथ जोन का नंबर आता है।

ऐसे अपराधियों पर होती है कार्रवाई

बता दें कि गुंडा और गैंगस्टर एक्ट में पहले डीएम को कार्रवाई का अधिकार होता था, लेकिन बाद में पुलिस कमिश्नरेट में इसे लागू कर दिया गया। पुलिस के अनुसार, गुंडा एक्ट व जिला बदर की कार्रवाई एक दो मामले में नहीं की जाती, बल्कि उस व्यक्ति के खिलाफ की जाती है जो लगातार अपराध में शामिल हो या उसके द्वारा समाज में डर पैदा किया जा रहा हो। उसकी अपराधिक प्रवृत्ति के चलते समाज में शांति भंग की आशंका होती है, ऐसे लोगों को चिन्हित कर पहले उन्हें नोटिस दी जाती, फिर कार्रवाई की जाती हैै।

6 महीने की होती है कार्रवाई

ऐसे लोगों को जिले से छह महीने के लिए बाहर कर दिया जाता है। अगर इस समय अवधि पर वह व्यक्ति जिले के बॉर्डर के अंदर आता है तो उसकी गिरफ्तारी कर उसे अधिकतम दो महीने के लिए जेल भेजा जाता है, उसकी जल्द जमानत भी नहीं होती। जेल से वापस लौटने पर जिला बदर की अवधि को दोबारा पूरा करना पड़ता हैै। वहीं, इस दौरान अपराधी को अपने रहने के स्थान के बारे में जानकारी देनी होती है ताकि संबंधित थाने को इसकी जानकारी दी जा सके। इसके अलावा संबंधित थाने में हाजिरी भी लगानी पड़ती है।

गैंगस्टर्स की मांगी गई लिस्ट

वहीं, अगर साउथ जोन की बात करें तो सबसे कम इसी जोन से दबंग सामने आए हैं। आंकड़े बताते हैं कि यहां सिर्फ तीन दबंग ही हैं, जिन्हें कार्रवाई के बाद जिले से बाहर कर दिया गया है। वहीं, जेसीपी क्राइम आकाश कुलहरि का कहना है कि शहर के सभी थानों के स्तर पर पेशेवर अपराधियों पर नकेल कसी जा रही है। थानों से गैंंगस्टरों की लिस्ट मांगी गई है। अपराधियों का रिकार्ड खराब होने पर गुंडा एक्ट की भी लगातार कार्रवाई की जा रही है।

एक नजर में यह भी जानिए

- गुंडा एक्ट में पकड़े गए अपराधियों को आसानी से जमानत नहीं मिल पाती

- इस एक्ट में अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है

- पेशेवर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए गुंडा एक्ट लगाया जाता है

- कमिश्नरेट में डीसीपी स्तर के अधिकारी के पास गुंडा एक्ट लगाने की पावर होती है

जोन कितने

ईस्ट 06

वेस्ट 06

साउथ 03

नार्थ 22

सेंट्रल 10