लखनऊ (ब्यूरो)। शहर को अतिक्रमण से मुक्त कराने की जिम्मेदारी जितनी नगर निगम की है, उससे ज्यादा पुलिस विभाग की है। नगर निगम अतिक्रमण अभियान चलाता है और फिर उस एरिया में दोबारा अतिक्रमण न हो, इसकी जिम्मेदारी स्थानीय थाना की होती है। हालांकि, पुलिस डिपार्टमेंट की पुलिस चौकी के बाहर ही अतिक्रमण होने का खुलासा दैनिक जागरण आईनेक्स्ट पहले ही कर चुका है। वहीं, पुलिस व ट्रैफिक डिपार्टमेंट के शहर में जगह-जगह बूथ खुद ही फुटपाथ पर अवैध कब्जे करे हुए हैं। केवल फुटपाथ पर कब्जा ही नहीं, बल्कि उसे रोशन करने के लिए अवैध कनेक्शन (कटिया) का भी यूज किया जा रहा है।

80 से ज्यादा पुलिस बूथ ने किया कब्जा

शहर में 80 पुलिस बूथ हैं, जिन्होंने फुटपाथ पर कब्जा किया है। फुटपाथ पर कब्जा होने से पब्लिक को आने-जाने में भी प्रॉब्लम होती है। चार साल पहले नगर निगम ने पुलिस डिपार्टमेंट को एक पत्र लिखकर इसकी सूचना भी दी थी। इन बूथ पर बिजली के खंबे से कटिया द्वारा लाइट व एसी तक चलाया जा रहा है। तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इस मामले को गंभीरता से लेकर इसकी जांच भी कराई थी, जिसमें 80 पुलिस बूथ जांच में सामने आए थे। हालांकि, कई बूथ बंद तो हो गए, लेकिन आज तक वे वहीं मौजूद हैं। उन्हेंं हटाया नहीं गया है।

'कारखासी' के लिए चौकी के बाहर लगाई जाती दुकानें

नाका पुलिस चौकी व वजीरगंज बस स्टॉप पुलिस चौकी के बाहर लगी अवैध दुकानें 'कारखासी' के लिए भी लगवाई जाती हैं। कारखास का मतलब चौकी से संबंधित कुछ ऐसे काम जिनके लिए कर्मचारी तो नियुक्त नहीं होते, लेकिन बेगारी कर उन कामों को कराया जाता है। बेगारी करने वाले मदद के नाम आय के लिए चौकी के बाहर अपनी दुकान सजा लेते हैं।