लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में निजी अस्पतालों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है, जिसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। जानकीपुरम स्थित एक निजी अस्पताल द्वारा पहले तो मरीज को आयुष्मान योजना के तहत इलाज उपलब्ध कहकर भर्ती कर लिया गया। पर इलाज के बाद अस्पताल प्रशासन ने इलाज के नाम पर करीब 40 हजार रुपये की बिल थमा दिया। इतना ही नहीं, बाहर से दवा लाने पर उसे लेने तक से इंकार कर दिया। जिसकी वजह से परिजनों और कर्मचारियों में झड़प तक हो गई। वहीं, मामले को लेकर मरीज के परिजनों द्वारा आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है।

इलाज के नाम पर थमाया बिल

जानकीपुरम के पास सबौली सेक्टर-3 निवासी अशोक रावत के 35 वर्षीय बेटे कौशल रावत को शुक्रवार को पीलिया की समस्या होने पर जानकीपुरम स्थित निजी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे। डॉक्टरों ने मरीज को देखने के बाद कहा आपके बेटे का इलाज आयुष्मान कार्ड से कर दिया जाएगा। भर्ती करने के अगले ही दिन डॉक्टर ने कहा कि कार्ड से इलाज नहीं हो पाएगा। आपको रुपये देने होंगे। अशोक रावत ने बताया कि इस दौरान अस्पताल में इलाज के नाम पर 30-40 हजार रुपये ले लिये गए।

परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई

वहीं, इलाज के दौरान रविवार को परिजनों को कुछ दवाएं लाने को कहा गया। जिसे अस्पताल के ही मेडिकल स्टोर से लेना था, पर परिजन अस्पताल की जगह बाहर से दवा ले आये। जो उनको बाहर करीब 5300 रुपये में मिल गईं, ये दवाएं अस्पताल में करीब 7300 रुपये की थीं। वहीं, बाहर से दवा लाने पर अस्पताल के डॉक्टर भड़क गए और कहा कि बाहर की दवा से यहां इलाज नहीं किया जाता। साथ ही मरीज को वापस ले जाने के लिए कहा गया। इसपर परिजनों और डॉक्टरों के बीच बहसबाजी हो गई। जिसके बाद नाराज परिजनों ने इस पूरे मामले में अस्पताल पर इलाज के नाम पर अधिक रुपये लेने और आयुष्मान कार्ड से इलाज न करने की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल और सीएमओ कार्यालय में की है। वहीं, डिप्टी सीएमओ डॉ। एपी सिंह ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच की जाएगी। उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।