लखनऊ (ब्यूरो)। नए साल की शुरुआत लखनवाइट्स के लिए मुसीबत और समस्या के साथ हुई। भारतीय न्याय संहिता 2023 में संशोधन के बाद लागू हुए हिट एंड रन कानून के तहत 7 लाख जुर्माना और 10 साल की जेल के प्रावधान को लेकर राजधानी की सड़कों पर सुबह करीब 8 बजे से कमर्शियल ड्राइवर्स अपने वाहनों से बीच रास्तों में सवारियों को उतारकर विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी करने लगे। रोडवेज बसों से लेकर सिटी बस और ऑटो-टेंपो तक के ड्राइवर इसमें शामिल रहे। हड़ताल की सूचना आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। वहीं, हड़ताल के आगे यात्री ठंड में बेबस खड़े नजर आये। हड़ताल के चलते किसी की ट्रेन तो किसी का इंटरव्यू तक छूट गया। हालांकि, कुछ जगहों के लिए बसें जरूर चलीं, ई-रिक्शा और मेट्रो लोगों का सहारा बनी। हालांकि, इसके बावजूद लोगों की समस्या कम नहीं हुई। वहीं, अधिकारी जल्द ही दिक्कत दूर करने की बात कह रहे हैं।

अस्पताल जाने में हुई दिक्कत

राजधानी में रोडवेज से लेकर सिटी बसों के ड्राइवरों की हड़ताल के चलते यात्रियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। खातसौर पर दूरदराज से राजधानी के लोहिया, केजीएमयू, पीजीआई व कैंसर संस्थान आदि अस्पतालों में दिखाने पहुंचे मरीज बीच रास्ते जहां-तहां फंसे रहे। साधन न मिलने से वे सड़क पर इधर-उधर भटकते रहे। जिसके कारण कई मरीज समय पर अस्पतालों की ओपीडी में नहीं पहुंच सके और उनको निराश होना पड़ा।

सड़कों में परेशान दिखे लोग

नए साल का जश्न मनाने सड़कों पर उतरे लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले तो सवारी गाड़ी का इंतजार करते दिखे। पर काफी समय तक कोई साधन मिलता न देख वे पैदल ही चलते नजर आये। जिसमें बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग और महिलाएं तक शामिल थे। एक तो कड़ाके की ठंड और फिर हड़ताल के चलते यात्री ठिठुरते हुए नजर आये। दूसरी ओर, सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को लेटलतीफी का शिकार होना पड़ा। हालांकि, इस दौरान मेट्रो उनके लिए थोड़ी राहत लेकर आई। पर अन्य जगहों पर बने ऑफिस में जाने के लिए परेशानी उठानी पड़ी। लोग अन्य गाड़ी सवारों से लिफ्ट मांगते हुए भी नजर आये।

बस स्टेशनों पर यात्री हुए परेशान

हड़ताल का सबसे ज्यादा असर राजधानी के कैसरबाग, आलमबाग, चारबाग, कमता आदि बस स्टेशन पर देखने को मिला। जहां यात्री सुबह 8 बजे से बसों के चलने का इंतजार करते दिखे। पर दोपहर 1 बजे तक कोई सूचना नहीं पा रही थी कि बसें जाएंगी या नहीं। खासतौर पर गोरखपुर, मऊ, रायबरेली, बहराइच, अमेठी आदि रूटों पर चलने वाली बसें सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं।

सविंदा चालकों ने चारबाग एआरएम को पीटा

चारबाग बस स्टेशन में संविदा चालकों ने अराजकता की हदें पार दीं। वे सरकारी बसों में डंडे से पीटते हुए सवारी उतरवाने लगे, ताकि बसें आगे न जा पाएं। जब इसका विरोध किया गया जो चालकों को अभद्र गाली गलौच करते हुए अभद्रता करने लगे। जिससे बसों में बैठे यात्री डर गये। वहीं, हंगामा की सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंचे एआरएम प्रशांत दीक्षित ने चालकों को मना किया, तो यह बात उन्हें नागवार गुजरी तो उन्होंने एआरएम की डंडे से पिटाई कर दी। जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई। एआरएम ने कंट्रोल रूम को सूचना दी। साथ ही अधिकारियों को भी मामले से अवगत कराया। वहीं, मौके पर पहुंचे नाका पुलिस ने आरोपी चार चालकों को हिरासत में ले लिया। इस दरमियान बस अड्डे में यात्री परेशान हो गए। एआरएम प्रशांत दीक्षित ने बताया कि आलमबाग डिपो के अनुबंधित वाहन के चालक रोशन सिंह, दिलावर सिंह, जितेंद्र और आशीष शुक्ला ने स्टेशन की खड़ी बसों पर नशे की हालत में डंडे से पीट रहे थे और वाहनों के संचालन को रोका, तो चालकों ने उन्हें जबरन पीट दिया। नाका इंस्पेक्टर के मुताबिक, आरोपी चालकों पर विधिक कारवाई की जाएगी।

अराजकतत्वों ने की अभद्रता

हड़ताल के चलते अरजकतत्वों द्वारा जमकर हुड़दंग किया गया। प्रमुख मार्गों पर अराजकतत्वों द्वारा डंडे के बल पर बीच रास्ते गाडिय़ों से सवारियों का उतारा जाने लगा। जिससे सड़क पर जगह-जगह परिवार के साथ जा रहे लोगों की भीड़ जमा हो गई। जो चालक हड़ताल में शामिल नहीं होना चाहते थे उनको भी जबरन रोक दिया गया। इस दौरान पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही। हालांकि, वे वीडियो बनाती हुई जरूर नजर आई। वहीं, प्राइवेट टैक्सियों में सफर करने वाले यात्रियों को काफी परेशानी हुई। बीच रास्ते उतारे जाने से कई की ट्रेन तो किसी की फ्लाइट आदि तक छूट गई। वहीं, कई लोग इंटरव्यू में जाने के लिए लेट गये। रायबरेली रोड स्थित उतरटिया अंडर पास के पास भी आधा दर्जन लोगों ने ई-रिक्शा व ऑटो रिक्शा चालकों से अभद्रता कर सवारियां उतार दीं। राहगीरों की सूचना पर पहुंचे पीजीआई कोतवाली पुलिस बल ने अराजकतत्वों को भगाया और सवारियों को उनके गंतव्य तक भेजा।

अनुबंधित और संविदा ड्राइवरों की हड़ताल

दरअसल, बढ़ते सड़क हादसों पर नकेल कसने के लिए नया भारतीय संहिता कानून 2023 आया है। इस कानून के विरोध में बस चालकों ने रोडवेज बसों की हड़ताल कर दी। एक भी बस स्टेशन से बाहर नहीं निकलने दी। बसों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया। इससे नए साल के पहले ही दिन यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे शहर के अंदर भी यात्रियों को आवागमन में असुविधा हुई। इस बीच सिटी बसों का भी संचालन ठप होने से दैनिक यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई। राजधानी के सिटी बसों में रोजाना 30 हजार से अधिक यात्री सफर करते हैं। यात्री लंबे समय तक बसों का इंतजार करते हुए नजर आये, लेकिन कोई बस न आती देख उनको निराशा हुई।

लखनऊ गुड्स ट्रांसपोर्ट समर्थन में उतरा

मोटर व्हीकल एक्ट के नए प्रावधान में हिट एंड रन नियम में दस साल की सजा और जुर्माना लागू होने के विरोध में ट्रांसपोर्टर उतर गए। ड्राइवर एसोसिएशन की ओर से प्रस्तावित एक से तीन जनवरी तक ट्रक और टैंकर के हड़ताल में लखनऊ गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने समर्थन किया है। एसोसिएशन के महामंत्री पंकज शुक्ला ने कहा कि यदि जनविरोधी हिट एंड रन के काले कानून को सरकार वापस नहीं लेगी तो ड्राइवरों के साथ पूरे ट्रांसपोर्टर बंद में शामिल रहेंगे। यह लड़ाई ड्राइवर मात्र की ही नहीं हर उस व्यक्ति की हैं जो बस, ट्रक, कार और मोटरसाइकिल चलाने वाला है। इसीलिए इस काले कानून का विरोध जरूरी है।

दोपहर बाद कुछ सामान्य हुई स्थिति

सुबह से दोपहर तक हड़ताल की स्थिति का सामना करने के बाद दोपहर बाद हड़ताल की स्थिति सामान्य हुई। नए साल के जश्न मनाने निकले लोगों की सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी। यह देख ई रिक्शा, ऑटो-टेंपो, बस वाले सवारी भरना शुरू कर दिए। तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। सड़क किनारे खड़े वाहन सड़क पर दौडऩे लगे तो पूरे शहर में जाम की भी स्थिति देखने को मिली। लोग ऑटो व ई-रिक्शा के इंतजार में घंटों खड़े रहे।

क्या है नया कानून

भारतीय न्याय संहिता में मानव शरीर पर हमला और हत्या से जुड़ा है। इस मामले में जो नया कानून आया है उसमें हिट एंड रन के मामले में सामने वाले की मौत पर अपराधी फरार हो जाता है और पुलिस या मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं होता है तो जुर्माना के अलावा 10 साल की कैद का प्रावधान किया गया है।

राष्ट्रपति को पत्र भेजकर अपील की

भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत 10 वर्ष की कैद और भारी जुर्माने के प्रावधान से ड्राइवरों में खौफ है। जिससे परिवहन उद्योग पर खतरा मंडराने लगा। पूरे देश में एक अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। क्योंकि ड्राइवरों के डर की वजह से ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय ठप हो जाएगा। ऐसे में इस कानून को वापस लेने के लिए अखिल भारतीय परिवहन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीश गुप्त अग्रहरि ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर अपील की है कि इस कानून का वापस लिया जाये।

वायरल लेटर से फैली अफवाह, कर दी हड़ताल

बताते चलें कि 31 दिसंबर को अमौसी आईओसी डिपों के टैंकर चालकों ने नए हिट एंड रन कानून के विरोध में एक से तीन जनवरी तक हड़ताल की घोषणा कर दी। इस बावत एक लेटर भी सोशल मीडिया के माध्यम से हर ओर वायरल हो गया। जिसके बाद देखते ही देखते हुए पूरे शहर में सभी प्रकार के पब्लिक ट्रांसपोर्ट के चालक हड़ताल पर चले गए। अचानक हड़ताल की खबर से हर कोई परेशान हो गया।

परिवहन मंत्री को सौंपा ज्ञापन

मामले को लेकर सर्व चालक कल्याण समिति उप्र के संस्थापक कौशल किशोर सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिदल परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर सिंह से मिला। जहां उन्होंने समस्त चालकों के हित में कानून में संशोधन कराने की मांग की। जिसपर राज्यमंत्री ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर समस्या का समाधान का आश्वासन दिया। इस दौरान मंत्री को पीएम को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा गया।

परिवहन आयुक्त ने लिखा लेटर

हड़ताल की जानकारी मिलने पर परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह ने सभी मंडलायुक्त और डीएम को लेटर जारी कर यात्रियों को हो रही दिक्कतों को दूर करने के प्रयास को कहा। लेटर के अनुसार, रोडवेज के अनुबंधित व जिले के बस यूनियनों द्वारा 1-30 जुलाई तक हड़ताल घोषित किया है। जिससे प्रदेश भर में यात्रियों को अपने गंतव्य तक जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। हालांकि, अभी कानून के प्रावधान अभी लागू नहीं हुए है। इसके लागू होने के बाद ही इसे परिभाषित किया जा सकता है। ऐसे में परिवहन निगम के आरएम-एमआरएम, बस यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जनमानस को हो रही समस्या से अवगत कराते हुए सुगम संचालन की कार्यवाही कराने का कष्ट करें।

बोले जिम्मेदार

बगैर नोटिस दिए अचानक अनुबंधित बस चालक हड़ताल पर चले गए। इससे रोडवेज बसों से अनुबंध पर चल रहे बसों का संचालन प्रभावित हुआ। जानकारी के मुताबिक, सड़क हादसे से कानून के विरोध में वायरल लेटर से अफवाह फैलने से ड्राइवरों ने खुद से बसों का चक्का जाम कर दिया।

- अजीत सिंह, महासचिव उप्र अनुबंधित बस एसोसिएशन

ऑटो-टेम्पो यूनियनों की ओर से किसी भी तरह से हड़ताल की नोटिस नहीं दी गई थी। अराजकतत्वों द्वारा कुछ स्थानों पर चालकों के विरुद्ध काला कानून बनाये जाने की अफवाह फैलाकर हड़ताल करने की आड़ में अराजकता फैलाई गई। जबरन ऑटो-टेम्पो का संचालन ठप करने की अनुचित कोशिश की गई जोकि पूरी तरह विधि विरुद्ध है।

- पंकज दीक्षित, अध्यक्ष लखनऊ थ्री व्हीलर ऑटो रिक्शा संघ

नए कानून के विरोध में रोडवेज की अनुबंधित और निजी बसों के चालकों ने हड़ताल की है। इस वजह से सुबह बस स्टेशनों से कुल 63 बसें रूट के लिए रवाना की गईं। जिसमें से 48 परिवहन निगम की बसें रहीं। वहीं 15 अनुबंधित बसें ही रूट पर निकल सकी। ऐसे में 80 फीसदी बसों का संचालन ठप रहा।

- आरके त्रिपाठी, क्षेत्रीय प्रबंधक, लखनऊ परिक्षेत्र

बोले यात्री

परिवार के साथ गोरखपुर जाना है। सुबह 8 बजे से परेशान खड़े हैं, लेकिन कोई बताने वाला नहीं है कि बस चलेगी भी या नहीं। बच्चे भी परेशान हो रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं।

- कांति देवी

मुझे जरूरी काम से गोरखपुर जाना है। तीन घंटे हो गये लेकिन कोई बस नहीं गई। न जाने से मेरा काफी नुकसान हो जाएगा। पता नहीं हड़ताल कब खत्म होगी।

- उमा शंकर

हम लोगों को पीजीआई जाना है। सुबह से चारबाग में फंसे हैं, क्योंकि कोई बस नहीं जा रही है। बड़ी समस्या हो गई है कि आखिर करें तो क्या करें।

- अरविंद कुमार

मैं बरेली से आया हूं। काफी देर से सिटी बस का इंतजार कर रहा हूं, पर कोई गाड़ी नहीं आ रही है। थककर यहां बैठ गया हूं। कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

- राम यादव