लखनऊ (ब्यूरो)। कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वहीं, इस समस्या के देरी से पता चलने की वजह से मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ रही हंै। कैंसर के ट्रीटमेंट में कीमोथेरेपी बेहद अहम मानी जाती है, पर इसके अपने साइड इफेक्ट भी हैं। इसकी वजह से हार्ट और लीवर पर बहुत बुरा असर पड़ता है, क्योंकि कीमो के दौरान आरजीएस7 प्रोटीन का निकलना हार्ट और लीवर को डैमेज करता है। ऐसे में इस प्रोटीन को कंट्रोल करने के लिए अगर कोई ड्रग बनाई जाए तो कीमो के साइड इफेक्ट को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ऐसा होने पर कैंसर मरीजों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी भी बढ़ सकती है। यह खुलासा सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के साइंटिस्ट प्रो। बिस्वनाथ मैती की स्टडी में हुआ है। जिसे इंटरनेशनल जर्नल एफएएसईबी में पब्लिश किया जा चुका है। ऐसे में नई दवा के आने से कैंसर मरीजों को बड़ी राहत मिल सकेगी।

आरजीएस7 प्रोटीन के कारण आर्गन को नुकसान

साइंटिस्ट प्रो। बिस्वनाथ मैती ने बताया कि संस्थान के निदेशक प्रो। आलोक धावन के निर्देशन में स्टडी की गई। उन्होंने आगे बताया कि कैंसर मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए कीमो थेरेपी देने का काम किया जाता है। जो कैंसर सेल को खत्म करने का काम करती है। पर इस थेरेपी के अपने साइड इफेक्ट भी हैं। खासतौर पर इसके कारण हार्ट और लीवर पर बुरा असर पड़ता है। इसी को लेकर पूरी स्टडी की गई थी। जिसमें पाया गया कि कीमो के हार्ट में डिफरेंट सेल कुछ मिडिएटर रिलीज करते है, जिसमें आरजीएस7 प्रोटीन भी निकलता है। जो ब्लड से होता हुआ लीवर में पहुंच जाता है। जिसकी वजह से मरीज का लीवर और हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ सकता है और कैंसर मरीजों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी कम हो जाती है।

नया ड्रग बनाने की जरूरत

डॉ। मैती के मुताबिक, इस स्टडी से यह पता चलता है कि मल्टीपल बॉडी आर्गन पर विपरीत असर करने वाला आरजीएस7 प्रोटीन एक बड़ा कारण है। ऐसे में इसको रोकने के लिए एक नई ड्रग बनाने की जरूरत है। जिसके इस प्रोटीन के निकलने के लेवल को रोकने के साथ ही इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सके। कैंसर मरीजों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।

को-मार्बिड मरीजों में खतरा ज्यादा

डॉ। मैती के मुताबिक, जिन कैंसर मरीजों को को-मार्बिडिटी यानि बीपी, शुगर आदि की समस्या होती है, उनको अगर कीमो दी जाये तो बॉडी आर्गन पर ज्यादा जल्दी साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। हालांकि, स्वस्थ व्यक्ति को कैंसर हो और कीमो दी जाये तो उसमें असर एक साल के बाद देखने को मिलता है। ऐसे में को-मार्बिड वाले मरीजों में आर्गन ज्यादा जल्दी डैमेज होने से उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी कम हो जाती है, क्योंकि बॉडी में टाक्सिन बढ़ता रहता है। नई ड्रग तैयार करने से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इस स्टडी से नई ड्रग बनाने में मदद मिलेगी। जिससे कैंसर में दी जाने वाली कीमो के साइड इफेक्ट को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इससे मरीजों के इलाज में बड़ी राहत मिल सकेगी।

-प्रो। आलोक धावन, निदेशक, सीबीएमआर