लखनऊ (ब्यूरो)। मशहूर संतूर वादक पद्मविभूषण से सम्मानित पं। शिव कुमार शर्मा का 84 वर्ष की आयु में कार्डियक अरेस्ट के चलते मंगलवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। यह खबर मिलते ही कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। हर किसी ने उन्हें अपनी-अपनी तरह से श्रद्धांजलि अर्पित की। पं। शिव कुमार शर्मा का लखनऊ से भी बेहद गहरा नाता रहा है। वह कई बार यहां प्रस्तुति देने आये थे। उनके सरल और सौम्य व्यवहार का हर कोई कायल रहा।

1 मिनट खामोश बैठे रहे दर्शक

पं। शिव कुमार शर्मा से पहली मुलाकात गंगा महोत्सव के दौरान वाराणसी में हुई थी। उनका प्रोग्राम रात 11 बजे शुरू हुआ। जब देर रात 1 बजे उन्होंने सम्मोहनी राग से प्रोग्राम का समाप्त किया, तो दर्शक करीब 1 मिनट तक खामोश बैठे रहे। उसके बाद दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं। फिर उन्होंने मुझसे बाहर खाना खिलाने की फरमाइश की। रात में सड़कों पर एक लड़के को साथ लेकर निकल पड़े। एक आधी खुली मिठाई की दुकान पर पहुंचे, तो उसने देखते ही उन्हें पहचान लिया। उसने रसगुल्ला खिलाया और पैक भी करके दिया। इसके बाद 1994 में गन्ना संस्थान में एक प्रोग्राम में उनसे मिलना हुआ। दोनों जगहों पर मैंने ही एंकरिंग की थी। वह जमीन से जुड़े कलाकार थे। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।

- तरुण राज, सचिव, एसएनए

सिर पर हाथ रख दिया आशीर्वाद

यह मेरी खुशकिस्मती है कि उनके साथ मंच शेयर करने का मौका मिला था। उनके साथ वाराणसी और लखनऊ में प्रोग्राम के दौरान तानपुरा पर संगत दी थी। जब उनसे मुलाकात हुई तो उन्होंने सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया और पूछा, 'बजा लोगी'। इसके बाद उन्होंने मेरे बारे में पूछा। वहीं, वाराणसी में प्रोग्राम के दौरान संगत करते समय पता ही नहीं लगा कि कुछ बजा रहे हैं। हम सभी इतने मंत्रमुग्ध हो गये थे कि उनके साथ बिताया समय आज भी याद है। उनका जाना निजी क्षति है। उनके जाने से कला जगत सूना हो गया है।

-अर्चना राज, संगीत कलाकार

संतूर को दिलाई अलग पहचान

पं। शिव कुमार शर्मा ने संतूर को कश्मीर से निकालते हुए पूरे विश्व में पहचान दिलाई और लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत कई पीढिय़ों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। उन्होंने आकर्षण संस्था के संगीत समारोह में संतूर वादन किया था। उनकी उस मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति के दौरान संगीत प्रेमियों की तालियों से सभागार गूंज उठा था। संगीत जगत में आज शिव-हरि की जोड़ी भी टूट गयी। यह भारतीय शास्त्रीय संगीत की अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

- रविचंद्र गोस्वामी, पूर्व संगीत सर्वेक्षक, एसएनए