लखनऊ (ब्यूरो)। दो महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी निजी स्कूलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट व सरकार के फीस वापसी और फीस समायोजन का आदेश नहीं माना है। कोविड काल 2020-21 के दौरान ली गई फीस का 15 परसेंट अभी तक पेरेंट्स को वापस नहीं किया गया है। जानकारों का कहना है कि शहर में जितने भी स्कूल हैं अगर उनको अपनी एक साल की फीस का 15 फीसदी लौटाना होगा तो यह राशि करोड़ों में होगी, इसी कारण स्कूलों ने भी चुप्पी साथ ली है। प्रशासन भी इस संबंध में कुछ कार्यवाही नहीं कर रहा है। इस बीच यह तर्क भी दिया जा रहा है कि कोविड काल के दौरान स्कूलों ने अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपनी तरफ से 20 से 40 परसेंट के बीच छूट दी थी।

करोड़ों में है लौटाई जाने वाली रकम

राजधानी में कोरोना काल के दौरान ली गई फीस से 15 प्रतिशत राशि वापस की जाने वाली रकम करोड़ों में है। इसका सही आंकड़ा जुटाना आसान नहीं है। इसे इसी से समझा जा सकता है कि राजधानी में करीब 150 बड़े प्राइवेट स्कूल हैं, जिनमें हर स्कूल में करीब दो हजार बच्चे पढ़ते हैं। इन स्कूलों में महीने की फीस औसतन करीब दो हजार रुपए के आसपास है। ऐसे में इनकी कुल औसत फीस मासिक करीब 4 करोड़ 80 लाख के आसपास होती है। वहीं, सालाना फीस करीब 57 करोड़ 60 लाख रुपए के करीब होती है। ऐसे में स्कूलों को कम से कम 8 करोड़ 64 लाख रुपए एक साल के वापस करने हैं, जबकि राजधानी में बड़ी संख्या में छोटे निजी स्कूल भी मौजूद हैं।

बेटी इंटर पास हो गई, पर फीस नहीं मिली

गोमतीनगर निवासी रूप कुमार शर्मा ने बताया कि उनके बेटे के बेटा-बेटी भारतीय विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में पढ़ते हैं। बेटी का इंटर हो चुका है। कोविड काल के दौरान स्कूल ने अप्रैल से लेकर मार्च तक फीस वसूली। कुल फीस का 15 परसेंट 7000 हजार रुपये होता है, लेकिन बेटी अब ग्रेजुएशन में हैं। दो महीने से ज्यादा हो गया है, पर स्कूल ने फीस वापस नहीं की है और न ही बेटे की फीस में एडजस्टमेंट ही किया है।

क्या कहते हैं पेरेंट्स एसोसिएशन

हमारे एसोसिएशन के साथ 150 से ज्यादा अभिभावक जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादा स्कूल फीस वापसी के मूड में नहीं दिख रहे हैं। स्कूल पेरेंट्स को बता रहे हैं कि कंप्यूटर फीस में छूट दे दी या यह फीस माफ कर दी, लेकिन उन्होंने कोविड काल की फीस को लेकर चुप्पी साध रखी है। कोविड के टाइम में जब ऑनलाइन क्लास के अलावा स्कूलों ने कोई अन्य सुविधा ही नहीं दी तो फीस वापस कर देनी चाहिए। हम लोगों ने स्कूलों से एडजेस्टमेंट को भी बोला, लेकिन वे इसके लिए भी तैयार नहीं है। इस मामले में जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए।

-राकेश कुमार सिंह, अभिभावक विचार परिषद

ग्रेटर नोएडा में डीएम ने आदेश न मानने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही की है। यह एक सराहनीय कदम है। हम लोग सभी पेरेंट्स से डेटा कलेक्ट कर रहे हैं। इसके बाद कितना अमाउंट किस स्कूल को देना है, पूरी जानकारी के बाद जिलाधिकारी व डीआईओएस को ज्ञापन देंगे, ताकि स्कूलों की तरफ से जो गड़बड़ी हो रही है, उसमें लगाम लगाई जा सके।

-प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, पेरेंट्स असोसिएशन

ऐसे समझिए पूरा मामला

जनवरी 16 को हाईकोर्ट का आदेश आया था। इस आदेश के तहत कोर्ट ने स्कूलों को कोरोना काल के दौरान सत्र 2020-21 में ली गई फीस का 15 प्रतिशत अगले सत्र में एडजस्ट करने व जिस स्टूडेंंट ने स्कूल छोड़ दिया है उन्हें फीस वापस करने की बात कही थी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दो महीने में मामले का निस्तारण करने का भी आदेश दिया था। 2020 में दाखिल याचिकाओं के आधार पर यह फैसला लिया गया है। फरवरी महीने में हाईकोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने भी फीस वापसी का आदेश जारी किया था। विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा डॉ। रुपेश कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक, सभी डीएम, डीआईओएस व मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इस आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए थे।

फीस वापसी न होने पर शिकायत का भी था अधिकार

शासन से जारी हुए आदेश में पेरेंट्स को स्कूलों के खिलाफ शिकायत का भी अधिकार दिया गया था। पेरेंट्स जिला शुल्क समन्वय समिति के सामने शिकायत कर सकते थे। जिला शुल्क समन्वय समिति के फैसले से संतुष्ट न होने पर मंडलीय स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय अपीलीय प्राधिकरण के सामने अपील कर सकते थे।

15 परसेंट फीस पर चेता विभाग

कोविड काल के दौरान 15 फीसदी फीस लौटाने व अगले सत्र में एडजेस्टमेंट को लेकर ग्रेटर नोएडा में हुई 100 निजी स्कूलों में कार्यवाही के बाद शिक्षा विभाग चेता है। गुरुवार को जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार ने जिले के सभी बोर्ड के स्कूलों को प्रोफार्मा भेज कर शुक्रवार तक ब्यौरा मांगा है। इस ब्यौरे में स्कूलों को साल 2020-21 में क्लासवाइज स्टूडेंट्स की संख्या, कितने स्टूडेंट्स को फीस वापस की है उनका डिटेल, कितने स्टूडेंट्स का एडजेस्टमेंट किया है उसकी डिटेल और फीस वापस न करने का रीजन भी देना होगा। दरअसल, पेरेंट्स का आरोप है कि लखनऊ शहर में अभी तक किसी भी स्कूल ने कोर्ट और सरकार का आदेश नहीं माना है। 15 फीसदी फीस लौटाने व एडजेस्टमेंट की जगह नए सत्र की बढ़ी हुई फीस भी वसूल ली है। इस बाबत विभागीय अधिकारियों को मौखिक रूप से सूचना भी दी जा चुकी है, लेकिन इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई।

अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से कोविड काल के दौरान ही जून 2020 में विधिवत प्रेस वार्ता करके 20 प्रतिशत तक की छूट का ऐलान किया गया था। एसोसिएशन के अधिकतर विद्यालयों ने यह छूट अभिभावकों को पूर्व में ही अपने स्तर से दे दी थी। वर्तमान में संज्ञान में आया है कि कुछ विद्यालयों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी 15 प्रतिशत की शुल्क वापसी या समायोजन नहीं किया है। एसोसिएशन के अपेक्षा रखती है कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन उन विद्यालयों द्वारा किया जाएगा, जिन्होंने उस समय कोई छूट नहीं दी थी।

-पदाधिकारी, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश