लखनऊ (ब्यूरो)। चेन्नई में अपनाए गए मॉडल के माध्यम से जानकारी दी गई कि किस तरह से पानी की कमी को पानी की उपलब्धता में कंवर्ट किया जा सकता है। जिससे लोगों को पानी संकट का सामना न करना पड़े। इस मॉडल के माध्यम से दिखाया गया है कि किस तरह से छोटे-छोटे तालाबों और पोखरों में जल संचय कर पानी की कमी को दूर किया जा सकता है।

एनर्जी सेविंग बेस्ड
मेट्रोनियो स्टेशन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एनर्जी सेविंग बेस्ड है। इसके साथ ही इस तरह के स्टेशन में पब्लिक को हाईटेक सुविधाएं आसानी से मिल सकती हैैं। कम स्पेस में तैयार होने वाले इस स्टेशन में वाई फाई की सुविधा भी उपलब्ध रहती है। बसों को पार्क करने के लिए स्टेशन के अंदर पर्याप्त स्पेस रहता है। स्टेशन के अंदर ही कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जा सकता है।

इंटरलॉकिंग ब्लॉक्स भी खासी आकर्षण का केंद्र
एक्सपो में इंटरलॉकिंग ब्लॉक्स भी खासी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैैं। इनका वेट बेहद कम होता है और इनकी मजबूती पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। इनका निर्माण बेहद कम समय में किया जा सकता है। खास बात यह है कि ये आसानी से टूटती भी नहीं हैैं।

कई शहरों में यूज किया जा रहा मॉडल
एसटीपी प्लांट संबंधी मॉडल को भी एक्सपो में लगाया गया है। इस मॉडल के माध्यम से गंदे पानी को साफ करके नदी में छोड़ा जा सकता है। ये प्रोजेक्ट कई शहरों में यूज किया जा रहा है।

न्यू मेट्रो सिस्टम इन इंडिया
देश भर में चल रही मेट्रो परियोजनाओं के प्रबंध निदेशकों ने न्यू मेट्रो सिस्टम इन इंडिया में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सचिव आवास एवं शहरी मंत्रालय दुर्गा शंकर मिश्र रहे। उन्होंने बताया कि भारत में मेट्रो परियोजनाओं का इतिहास मात्र 25 वर्षों का है। हमने अभी मात्र 900 किमी का निर्माण किया है। देश आज इस मुक़ाम पर है कि अब मेक इन इंडिया के तहत विदेश में मेट्रो ट्रेनों का एक्सपोर्ट कर रहा है। अगर बात हम भारत की आज़ादी के 100वें साल की करें तो आने वाले इन 25 सालों में 5000 किमी में मेट्रो निर्माण का कार्य कर लेंगे।

वाराणसी, मेरठ व प्रयागराज में भी मेट्रो लाइट परियोजना प्रस्तावित
उत्तर प्रदेश मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने प्रदेश भर में मेट्रो परियोजनाओं में हुए विस्तार और बदलाव की व्याख्या करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश एक सशक्त प्रदेश है, जिसके ज़्यादातर क्षेत्र शहरी परियोजना में आते हैं। अब गोरखपुर मेट्रो कार्य जल्द ही केंद्र सरकार की मंज़ूरी के बाद प्रारम्भ होगा। उत्तर प्रदेश मेट्रो जो अभी लखनऊ में संचालित है, जल्द ही थर्ड रेल की तकनीक के साथ कानपुर व आगरा में संचालित हो जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेश के वाराणसी, मेरठ व प्रयागराज में भी मेट्रो लाइट परियोजना प्रस्तावित है।