- ब्लॉक प्रमुख बनना चाहता है शातिर गिरधारी

- नाम व भेष बदलने में माहिर है शातिर बदमाश

कब की कौन सी वारदात

- 2001 में सबसे पहले जैतपुरा में लूट की घटना में नामजद हुआ

- 2014 के बाद वह सुल्तानपुर जेल से छूटा, इसके बाद से वह पुलिस के हाथ नहीं लग सका है

- 2019 में सदर तहसील में नीतेश सिंह बबलू की हत्या कर दी थी

- 50 हजार रुपये सदर तहसील में फिर एडीजी जोन ने एक लाख रुपये का इनाम उस पर घोषित किया गया

LUCKNOW : वाराणसी में नीतेश सिंह और लखनऊ में अजित सिंह की हत्या के बाद दिल्ली में डेरा जमाए एक लाख का इनामी गिरधारी विश्वकर्मा समर्पण करने की फिराक में था, लेकिन उससे पहले ही दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरधारी की गिरफ्तारी के साथ ही नीतेश सिंह हत्याकांड की गुत्थी सुलझने ही उम्मीद बढ़ गई है। इसके साथ ही उनकी मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई हैं, जिनकी मदद से गिरधारी विश्वकर्मा ने 30 सितंबर 2019 को सदर तहसील में नीतेश सिंह बबलू की हत्या कर दी थी। हत्या से पहले गिरधारी ने शिवपुर स्थित अपार्टमेंट में रहने वाले ब्लॉक प्रमुख के फ्लैट में शरण ली थी। वह तीन दिन तक वहां ठहरा था। ब्लॉक प्रमुख भी पूर्व सांसद का बहुत करीबी है। एडीजी वाराणसी के निर्देश पर पुलिस ने ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ तथ्य जुटाने शुरू कर दिये हैं। गिरधारी को बनारस लाने से पहले पुलिस शरण देने वालों पर भी शिकंजा कस सकती है।

वाराणसी पुलिस हुई सक्रिय

दिल्ली में गिरधारी विश्वकर्मा की गिरफ्तारी के बाद वाराणसी पुलिस भी सक्रिय हो गई है। नीतेश हत्याकांड में वांछित गिरधारी विश्वकर्मा की तलाश लंबे समय से पुलिस कर रही थी, लेकिन उसके हाथ सफलता नहीं लगी। नीतेश के परिजनों का आरोप है कि बाहुबली पूर्व सांसद और चंदौली के विधायक के दबाव में पुलिस कोई प्रयास नहीं कर रही थी, लेकिन दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद वाराणसी पुलिस सक्रिय हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक उसे बनारस लाने के लिए वारंट बी का सहारा लिया जाएगा।

कुल 19 मुकदमें पंजीकृत

चोलापुर थाना क्षेत्र के लखनपुर का मूल निवासी कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी पर वाराणसी समेत अन्य जनपदों में कुल 19 मुकदमें पहले से ही पंजीकृत हैं। उसने अपराध की दुनिया में दो दशक पहले कदम रखा। साल 2001 में जैतपुरा में लूट की घटना में नामजद हुआ, इसके बाद हत्या, लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देता रहा। ज्यादातर हत्याएं उसने भाड़े पर की हैं। गिरधारी विश्वकर्मा मऊ, जौनपुर और आजमगढ़ में ही सक्रिय रहा है।

तीन एसएसपी की तैनाती, नहीं पकड़ा गया गिरधारी

साल 2019 में सारनाथ के बस संचालक नीतेश सिंह बबलू की हत्या के बाद से ही गिरधारी का नाम चर्चा में आया। इसके पहले तक साल 2001 में लूट के आरोप में ही मुकदमा दर्ज था। सदर तहसील में हत्या के बाद पहले उस पर 50 हजार रुपये, फिर बाद में एडीजी जोन ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया। इसके अलावा बबलू सिंह की हत्या के बाद से अब तक तीन पुलिस कप्तान बदले, लेकिन गिरधारी को पकड़ने में वाराणसी पुलिस नाकाम रही। प्रभाकर चौधरी के कार्यकाल के समय उसकी पहचान कर फुटेज जारी किया गया था। पकड़ने या सूचना देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई। हालांकि गिरधारी का पता नहीं चल सका। हालांकि पुलिस पहली बार 2005 में, फिर 2018 में उसे 110 जी, यानी मिनी गुंडा एक्ट में पाबंद कर चुकी है।

गिरधारी, डॉक्टर, टग्गर, डीएम नाम से चíचत

गिरधारी विश्वकर्मा वेश बदलने में माहिर है। वह वेश और नाम बदल-बदलकर पुलिस से हर बार बचता रहा है। साल 2014 के बाद वह सुल्तानपुर जेल से छूटा, इसके बाद से वह पुलिस के हाथ नहीं लग सका है। गिरधारी का मूल नाम तो कन्हैया विश्वकर्मा है। अपराध जगत में वह गिरधारी, डॉक्टर, टग्गर और डीएम के नाम से चíचत है। पुलिस के मुताबिक हर घटना के बाद वह अपना नाम बदल लेता है। गुर्गे और हत्या कराने वाले उसे उसी नाम से जानते हैं।

ब्लॉक प्रमुख बनना चाहता है शातिर

दिल्ली में गिरधारी की गिरफ्तारी को पंचायत चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार करीब 20 साल से अपराध जगत में सक्रिय गिरधारी ने राजनीति में आने का मन बना लिया है। इसके लिए उसने लॉकडाउन से प्रयास शुरू कर दिये थे। वह सत्ताधारी पार्टी के विधायक के साथ बड़े पदाधिकारी के संपर्क में है। चर्चा है कि वह खुद ब्लॉक प्रमुख बनना चाहता है। इसकी प्लानिंग भी बन चुकी है। लखनऊ में समर्पण की अर्जी उसी प्लानिंग का हिस्सा है। चोलापुर से ब्लॉक प्रमुखी चुनाव में कोई कानूनी अड़चन आई तो वह अपने परिवार से किसी को प्रमुख बनवा सकता है।