लखनऊ (ब्यूरो)। लोगों के बीच शॉर्ट वीडियोज का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। दो मिनट की रील्स की दीवानगी का आलम यह है कि लोग इन्हें देखते हुए घंटों बिता देते हैं। ऐसे वीडियोज बनाने वालों में स्टूडेंट्स भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर वायरल होने वाली इन रील्स का असर स्टूडेंट्स की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। स्कूल और कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स में कल्चरल एक्टिविटीज को लेकर क्रेज कम होता दिखाई पड़ रहा है। स्कूल लेवल पर तो फिर भी स्टूडेंट्स इस तरह के इवेंट्स में पार्टिसिपेट कर लेते हैं, लेकिन ज्यादा समस्याएं हायर एजुकेशन लेवल पर आ रही हैं।

कल्चरल इवेंट्स ने बना रहे दूरी

गुरुनानक गल्र्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य सुरभि जी गर्ग ने बताया कि स्टूडेंट्स में कल्चरल एक्टिविटीज को लेकर निष्क्रियता बढ़ी है। पहले कॉलेज में कल्चरल इवेंट्स होते थे, तो छात्राएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती थीं, लेकिन कोविड के बाद से उनमें इस तरह के इवेंट्स को लेकर नीरसता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि एक तो छात्राओं की उपस्थिति ही कम रहती है, लेकिन जब एलुमिनाई एसोसिएशन या कल्चरल एक्टिविटी की बात होती है तो छात्राएं और कम हो जाती हैं।

बंद करना पड़ा फिल्म फेस्टिवल

एलयू के एक प्रोफेसर ने बताया कि हमारे डिपार्टमेंट में एक फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम आयोजित होता था, जिसे कुछ साल पहले बंद करवा दिया गया। वजह यह रही कि स्टूडेंट्स उस एक्टिविटी में पार्ट नहीं लेना चाह रहे थे। स्टूडेंट्स का तर्क था कि बड़े वीडियोज बनाने से अच्छा है कि एक-दो मिनट के वीडियोज बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया जाए, उससे ज्यादा पॉपुलैरिटी हासिल होगी। ऐसे में इस एक्टिविटी को बंद करना पड़ा, जबकि इसकी शुरुआत इसलिए की गई थी कि ताकि सभी स्टूडेंट्स मिलकर एक साथ अपनी क्रिएटिविटी को मूर्त रूप दें और साथ में काम करना भी सीखें।

पर्सनैलिटी के लिए है काफी नुकसानदेह

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ। नेहा आनंद ने बताया कि इसका रूट कॉज देखें तो हमें यह समझ आता है कि लोगों के पास समय नहीं है। इसके अलावा वे ओवर इंफॉम्र्ड हैं। आजकल के स्टूडेंट्स 15 मिनट में डिस्ट्रैक्ट हो रहे हैं। इस तरह की नीरसता उनकी पर्सनैलिटी के लिए भी घातक साबित होगी। इंपल्स नेचर और ओवर इंफॉर्मेशन होने के कारण उनकी क्रिएटिविटी बाहर नहीं आ रही। उन्होंने इनोवेटिव सोच का मौका नहीं मिल रहा है। गूगल और सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर सबकुछ आसानी से उपलब्ध है, जिससे सोचने की शक्ति कम हो रही है। वे आसान चीजों की तरफ अधिक भाग रहे हैं। स्कूल और कॉलेजों में होने वाली एक्टिविटी पर्सनैलिटी ग्रूमिंग का हिस्सा है। अगर आप टीम के साथ काम करते हैं तो टीम स्पिरिट, डिसीजन मेकिंग, कॉन्सन्ट्रेशन, इनोवेशन और कम्युनिकेशन स्किल्स को बढ़ावा मिलता है। इस तरह की एक्टिविटीज से दूर भागने से स्टूडेंट्स की पर्सनैलिटी ग्रूम ही नहीं हो पाएगी। यह बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है।