लखनऊ (ब्यूरो)। India vs England: इस मामले में अब साइबर सेल को बड़ी कामयाबी मिली है। जांच में सामने आया कि आईसीसी वल्र्ड कप की फर्जी वेबसाइट के तार सिंगापुर से जुड़े हैं। टिकट बुकिंग के लिए वेबसाइट में लिंक बैंक अकाउंट सिंगापुर स्थित डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर (डीबीएस) बैंक का है। अब शातिरों तक पहुंचने के लिए साइबर पुलिस जाल बिछा रही है। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में केस को सॉल्व कर लिया जाएगा।

कई टीमों का गठन
सूत्रों के मुताबिक, साइबर सेल ने शातिरों तक पहुंचने के लिए कई टीमों का गठन किया है। यह टीमें फर्जी वेबसाइट की जांच कर रही हैं। आईपी एड्रेस से पता चला कि यह वेबसाइट गाजियाबाद से ऑपरेट की जा रही थी। जिसके बाद टीम इस वेबसाइट से संबंधित सभी डिटेल खंगाला, पता चला कि वेबसाइट से लिंक बैंक अकाउंट सिंगापुर के डीबीएस बैंक का है। जिसकी वजह से पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ पाई है। ऐसे में साइबर पुलिस अब डीबीएस बैंक से संपर्क कर जांच आगे बढ़ा रही है।

11 अक्टूबर से एक्टिव
साइबर पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि आईसीसी वल्र्ड कप के मैचों की फर्जी वेबसाइट 11 अक्टूबर से एक्टिव है। ऐसे में अबतक इस वेबसाइट से कितने टिकट की बुकिंग हुई है, इसका खुलासा नहीं हुआ है। आशंका है कि इस वेबसाइट से सिर्फ भारत बनाम इंग्लैंड के ही नहीं बल्कि अन्य शहरों में हो रहे मैचों के टिकट बुकिंग हुई हो। हालांकि इन सब सवालों का जवाब तलाशने के लिए साइबर पुलिस वेबसाइट से जुड़े सभी दस्तावेजों को खंगाल रही है।

पैसे वसूले जा रहे थे
जांच में सामने आया कि इस फर्जी वेबसाइट पर 2 हजार से लेकर 18,790 रुपये की दर से टिकटों की बिक्री हो रही है। इसमें ईमेल एड्रेस और अन्य डाटा जुटाकर टिकटों को बताए पते पर शीघ्र भेजने का आश्वासन देकर पैसे वसूले जा रहे थे। टिकट की कीमत पर छूट भी दी जा रही थी। शातिर लिंक के जरिये फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर इसका प्रचार भी कर रहे थे। इसका पता चलते ही वेबसाइट को ब्लॉक करने के लिए रिक्वेस्ट भी डाल दी गई है। जेसीपी लॉ एंड आर्डर उपेंद्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि फर्जी वेबसाइट को लेकर साइबर सेल लगातार काम कर रही है। जल्द ही अपराधियों को पकड़ा जाएगा।

राजस्थान के शातिरों के होने की आशंका
पुलिस के एक अधिकारी बताया कि जांच से पता चल रहा है कि फर्जी वेबसाइट बनाने वाले शातिर झारखंड या फिर राजस्थान के हो सकते हैं, लेकिन अबतक यह साफ नहीं हो सका है। ऐसे में बैंक के माध्यम से इनकी डिटेल खंगाली जा रही है। जबतक बैंक की तरफ से खाताधारक का दस्तावेज नहीं मिलेगा, यह पता लगाना मुश्किल है कि शातिर किस राज्य से संबंधित है। संभावना यह भी है कि इस वेबसाइट के माध्यम से लाखों रुपये की ठगी हुई है।