- सिटी के शॉपिंग मॉल्स में छोटे-छोटे सामानों पर हाथ कर रहे साफ

- पकड़े जाने पर मामला दबाने को चौगुना कीमत चुकाने से गुरेज नहीं

- हर साल दो सौ से ज्यादा साहबों की चिंदीचोरी के मामले आ रहे

LUCKNOW : ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जीने वालों के पास वैसे हर सुख सुविधा होती है, लेकिन इसके बावजूद साहब को 'चिंदीचोरी' पसंद है और ये उनका शौक है। सुनकर थोड़ा अजीब लगा न, लेकिन यह सच है। साहब की चिंदीचोरी के किस्से अब आम होने लगे हैं। हम बात कर रहें शापिंग मॉल्स में छोटे-छोटे सामानों पर हाथ मारने वाले साहबों की.अगर सिर्फ लखनऊ की बात करें तो यहां कई मॉल हैं, जहां हर माह 4 से 5 ऐसे चिंदीचोरी के मामले सामने आ रहे हैं। अकेले हजरतगंज स्थित एक मॉल में 5 दिन के भीतर एक ब्रांडेड कंपनी के शोरूम से एक एमबीए प्रोफेशनल समेत दो महिलाओं को चोरी करते रंगेहाथों पकड़ा गया है।

केस नंबर

सरकरी ऑफिस में तैनात है

एलयू से एमबीए की डिग्री लेकर बड़े संस्थान में जॉब करने वाले युवक ने हजरतगंज मॉल के बिग बाजार से डिटर्जेट पाउडर का पैकेज चुराया। उसकी यह चोरी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। छानबीन में पता चला कि वह लगातार तीन दिन से यहां आकर चोरी कर रहा था। पकड़े जाने के बाद युवक ने माफी मांगी और चोरी किए गए डिटर्जेट पाउडर की पेमेंट भी की।

केस नंबर दो

एनआरआई भी निकले चोर

सहारागंज मॉल में स्थित कॉस्मेटिक के जापानी स्टोर में यूएसए से एक कपल खरीदारी करने आया था। उसने अपने पर्स में छोटे-छोटे कुछ ब्यूटी प्रोडेक्ट चुरा कर रख लिए। बिना बिल चुकाए जब वे बाहर निकलने लगे तो सेंसर बीप करने लगा। चेकिंग में वे पकड़े गए और सीसीटीवी में चोरी का सबूत भी मिल गया। पकड़े जाने पर कपल ने सॉरी बोला और चोरी किए प्रोडेक्ट का बिल भी चुकाया।

केस नंबर तीन

बिजनेसमैन की पत्नी व बेटी निकली चोर

महानगर के एक बिजनेसमैन की पत्नी और बेटी सहारागंज मॉल में खरीदारी करने गई और एक शोरूम में उन्होंने ड्रेस, जूती चुरा ली। सीसीटीवी कैमरे में वह चोरी करते कैद हो गई। सिक्योरिटी स्टॉफ ने उन्हें पकड़ा और सामान बरामद किया। बिजनेसमैन की पत्नी व बेटी पहले तो झूठा आरोप लगाने की बात कहकर भड़कीं, लेकिन जब उन्हें सीसीटीवी की फुटेज दिखाई गई तो वे एक्शन न लेने की दुहाई देने लगीं। बाद में इनसे सामान का पूरा पेमेंट लेकर छोड़ दिया गया।

केस नंबर चार

फुटेज देख हो गई खामोश

तीन दिन पहले हाईकोर्ट के बाबू की पत्नी भी सहारा मॉल में चोरी करते कैमरे में कैद हो गई। महिला ने पहले तो सिक्योरिटी स्टाफ को हाईकोर्ट के वकील की पत्नी बताकर अर्दब में लेने का प्रयास किया, लेकिन कैमरे की फुटेज देखते ही उसके होश फाख्ता हो गए। उनके पति को बुलाकर सिक्योरिटी स्टाफ ने चोरी किए गए सामान की पेमेंट कराई और उन्हें छोड़ा गया।

रिपोर्ट दर्ज कराने से गुरेज

मॉल में कई बार शोरूम और स्टोर में चोरी करते लोग पकड़े जाते हैं। हालांकि इस मामले में स्टोर या फिर शोरूम ऑनर एफआईआर दर्ज कराने से गुरेज करते हैं। वे थाने-कोर्ट के चक्कर लगाने से बचने के लिए पुलिस एक्शन कराने से बचते हैं।

पेमेंट का निकाला रास्ता

मॉल में होने वाली चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए मॉल संचालकों ने पेमेंट का रास्ता निकाला है। चोरी करते पकड़े जाने वालों से समान का पूरा पेमेंट लेकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। यही नहीं उनकी फोटो भी खीची जाती है ताकि वे डर से दोबारा ये काम न करें।

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ऐसे पकड़े जाते हैं चोरी करते

- मॉल और शोरूम में हर तरफ सिक्योरिटी सिस्टम लगे हैं

- सीसीटीवी कैमरे के साथ-साथ सेंसर बेस गेट बना होता है

- बिना बिल के सामान लेकर गेट से बाहर जाते ही सेंसर बीप करने लगता है

- मॉल में सीसीटीवी का कंट्रोल रूम भी होता है जहां हर वक्त कैमरे से निगरानी रखी जाती है

स्कीम बना नहीं करते थे चोरी

फिल्म एक्टर कंगना रनोट की मूवी सिमरन का कैरेक्टर तो याद होगा ही, जिसमें उन्होंने क्लेप्टोमेनिया की समस्या से ग्रस्त चुलबुली लड़की का किरदार निभाया था, जो बेवजह चीजें चुराने की आदत से मजबूर थी। दरअसल, यह इम्पल्स कंट्रोल से जुड़ी मनोवैज्ञानिक समस्या है। इससे पीडि़त व्यक्ति अपनी भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित नहीं रख पाता। इससे ग्रसित यक्ति किसी जरूरत के लिए योजनाबद्ध ढंग से चोरी नहीं करता और न ही इस काम में दूसरों से मदद लेता है। वह लोगों को कोई शारीरिक नुकसान भी नहीं पहुंचाता। ऐसे लोगों को चोरी करके खुशी मिलती है और वे चोरी के सामान का यूज भी नहीं करते हैं। ये इसे कहीं छिपा देते हैं और जब भी मौका मिलता है, उसे देखकर खुश होते हैं।

यह है चोरी की वजह

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेन से निकलने वाले सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांस्मीटर्स व्यक्ति की भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इनमें से किसी एक की भी कमी से ऐसी समस्या हो सकती है। किसी व्यक्ति में पहले से बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर, बाइपोलर डिसॉर्डर और एंग्जायटी के लक्षण हों तो उसमें क्लेप्टोमेनिया की आशंका बढ़ जाती है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन टिन एजर में इसके होने की आशंका अधिक होती है। इसका शिकार व्यक्ति समाज को हिकारत की नजर से देखता है और इसके चलते कई बार लोगों की नौकरी तक चली जाती है। परिजन और दोस्त भी उसका साथ छोड़ देते हैं। इस बीमारी की चपेट में आए लोग कई बार डिप्रेशन में आत्महत्या भी कर लेते हैं।

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हम नहीं पकड़े जाएंगे

हम पकड़े नहीं जाएंगे, यह सोचकर ऐसे लोग चोरी करते हैं। जब ये पकड़ लिए जाते हैं बीमारी या फिर कोई अन्य बहाना बनाने लगते हैं। क्लेप्टोमेनिया एक तरह की डिसआर्डर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति चुपके से सामान उठाने की इच्छा दबा नहीं पता है। हालांकि ये लोग महंगी चीज नहीं छोटी-मोटी चीज ही चुराते हैं। कोई व्यक्ति इस बीमारी का शिकार है कि नहीं यह सिर्फ मनोचिकित्सक ही बता सकते हैं।

- डॉ। आर्दश त्रिपाठी, मनोचिकित्सक केजीएमयू

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सॉरी बोल निकल जाते हैं

मॉल के सभी शोरूम और शॉपिंग सेंटर्स में सीसीटीवी लगे हैं और सामान के टैग भी सेंसर से जुड़े हैं। बिना बिल सामान स्टोर से बाहर ले जाने पर सेंसर बजने लगते हैं और चोरी करने वाले को पकड़ लिया जाता है। प्रूफ के लिए उस एरिया की फुटेज चेक की जाती है और चोरी करने वाले से पूछताछ भी की जाती है। हर माह 10 से 12 ऐसे मामले सामने आते हैं। कई बार लोग अपनी गलती मानकर सामान का पेमेंट करते हैं और सॉरी बोलकर निकल जाते हैं।

-डीपी शर्मा, सिक्योरिटी अफसर, सहारागंज मॉल