लखनऊ (ब्यूरो)। डीसीपी पश्चिम सोमेन वर्मा के मुताबिक खंदारी बाजार निवासी मो। शोएब खान सूद पर रुपये बांटता था। 14 दिसंबर को वह घर से निकला और फिर वापस नहीं लौटा। 15 दिसंबर को भाई आमिर हमजा ने कैसरबाग कोतवाली में उसके गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। छानबीन में पता चला था कि शोएब की दोस्ती हसनगंज खरदरा निवासी नसीम अहमद उर्फ रजा से है। क्राइम ब्रांच की टीम के सहयोग से नसीम अहमद को पकड़ा गया था। पूछताछ में उसने शोएब की हत्या शोएब उर्फ टोपी और मो। अकील के साथ करना कबूला।

शव को नहर में फेंका

14 दिसंबर को शोएब टोपी शोएब खान को टायर गोदाम में ले गया। जहां मो। अकील पहले से मौजूद था। गोदाम में तीनों ने मिल कर लोहे की राड से मो। शोएब खान के सिर पर कई वार कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद शव को गोदाम में छिपा दिया। शव ठिकाने लगाने के लिए शोएब उर्फ टोपी ने सीतापुर निवासी शादाब की मदद ली। 14 दिसंबर को ही शादाब डाला लेकर हसनगंज आया और शव लेकर सभी सीतापुर गए और वहां सरैया पुल से शव इंदिरानहर में फेंक दिया।

हर दिन 2 फीसद ब्याज

नसीम अहमद ने शोएब खान से 20 लाख रुपये कर्ज लिया था। शोएब खान रोज दो प्रतिशत की दर से ब्याज लेता था। शोएब उर्फ टोपी ने भी शोएब खान से नौ लाख रुपये उधार लिए थे। ढाई साल से दोनों उसे इसका ब्याज दे रहे थे लेकिन मूलधन और ब्याज खत्म ही नहीं हो रहा था। ब्याज न देने पाने पर शोएब खान लोगों के सामने गाली गलौज करता था।

10 दिसंबर को बनाई थी योजना

दोनों ने 10 दिसंबर को शोएब खान की हत्या की साजिश रची। इसमें मो। अकील को 50 हजार रुपए देने की बात कहकर शामिल किया गया। वहीं, डाला ड्राइवर शादाब को शव ठिकाने लगवाने के लिए पांच हजार रुपये दिए गए। अब पुलिस की टीमें शोएब खान का शव नहर में तलाशने का प्रयास कर रही हैं। वहीं पुलिस ने इटौंजा स्टेशन के पास से शोएब खान की बाइक और एचसीएल के पास से मोबाइल बरामद कर लिया है।

परिवार से छिपाई थी पैसा देने की बात

डीसीपी के मुताबिक शोएब खान सूद पर रुपये देता है। यह बात भी आरोपियों के गिरफ्तार होने के बाद ही पुलिस को पता चली थी। अगर समय रहते परिवार वाले ब्याज पर रुपये देनेे की जानकारी दे देते तो जांच सही दिशा में शुरू की जा सकती थी।