लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में रविवार को अष्टमी पर मां के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन किया गया। वहीं, बंगाली समाज की ओर से ढाक की धुन और धुनुचि आरती के बीच संधि पूजा का आयोजन किया गया। संधि पूजा में बड़ी संख्या में बंगाली समुदाय के लोग शामिल हुए। मंदिरों में देर शाम तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा।

संधि पूजा का आयोजन

महाअष्टमी के अवसर पर ट्रांसगोमती दशहरा एवं दुर्गा पूजा कमेटी, बंगाली क्लब, विद्यांत कॉलेज, मॉडल हाउस, गोमती नगर दुर्गा समिति, शशिभूषण कॉलेज, रवींद्रपल्ली, भूतनाथ, रेलवे कॉलोनी समेत अन्य दुर्गा समितियों द्वारा दिन में मां को महाभोग लगाया गया। जिसके बाद सभी भक्तों में भोग खिचड़ी व मीठा आदि का वितरित किया गया। इसके साथ शाम को खासतौर पर संधि पूजन किया गया, जिसमें कमल के फूलों का इस्तेमाल किया गया। संधि पूजा में मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की गई। कई जगहों पर कमेटी की महिला सदस्यों ने धुनुचि आरती के साथ ढाक की धुन पर नृत्य किया। पूजन के दौरान मां से विश्व शांति की कामना की गई। वहीं, रामकृष्ण मठ में अष्टमी के अवसर पर कन्या को देवीस्वरूप में बैठाकर पूजन किया गया।

सिंह पर सवार हुईं मां

घरों व मंदिरों में मां के महागौरी स्वरूप की पूजा की गई। मंदिरों में मां के दर्शनों के लिए सुबह से ही लोग उमड़ पड़े। इस दौरान जय माता दी के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। चौक स्थित बड़ी कालीजी मंदिर में मां की अष्टधातु मूर्ति को भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया। संदोहन देवी मंदिर में मां ने सिंह पर सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए। पूर्वी देवी मंदिर में छोटी कालीजी मंदिर, दुर्गा मंदिर, पूर्वी देवी मंदिर व संकटा देवी मंदिर समेत अन्य दुर्गा मंदिरों में मां का भव्य श्रृंगार किया गया। वहीं, कई जगहों पर कन्या पूजन भी किय गया। जहां हलवा-चना व पूड़ी आदि का भोग लगाया गया। साथ ही कंजकों को टीका लगाकर उनकी पूजा की गई।

ऐसे करें मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न

मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा व उपासना से सर्व सिद्धि की प्रप्ति होती है। भक्तों को चाहिए कि स्नान के बाद संकल्प करते हुये मां की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाने के साथ मां को कमल का फूल अर्पित करेंं। इसके बाद लाल वस्त्र में फल को लपेट कर मां को अर्पित करें। मां को नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत का भोग लगाएं।

कन्यापूजन संग व्रत का पारण आज

महानवमी व्रत आज यानि सोमवार को है। शास्त्रों में 10 वर्ष तक की ही कन्या को कुमारी कहा गया है। ऐसे में 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की ही कन्या होनी चाहिए। साथ में 1 बालक बटुक के रूप उनका भी पूजन अवश्य करना चाहिए। धर्मशास्त्रानुसार एक कन्या पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति, दो कन्या पूजन से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति, तीन कन्या पूजन से धर्म, अर्थ व काम की प्राप्ति, चार कन्या पूजन से पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ति, पांच कन्या पूजन से विद्या बुद्धि की प्राप्ति, छह कन्या पूजन से षट्कर्म की प्राप्ति, सात कन्या पूजन से बल व पराक्रम की प्राप्ति, आठ कन्या पूजन से धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति और नौ कन्या पूजन से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।