लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी हमारे आसपास मौजूद समस्याओं का तकनीकी समाधान देने में नए-नए प्रयोग कर रहा है। विवि के इनोवेशन हब ने एक खास तरह का कंटीन्यूअसली वैरिएबल इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन यूनिट बनाया है। यह यूनिट जेनरेटर में लग जाने के बाद ईंधन की खपत कम कर देती है। इस रेट्रोफिटिंग यूनिट को आसानी से जेनरेटर में असेंबल किया जा सकता है।

एमएसएमई इनोवेटिव स्कीम के तहत मिली ग्रांट
इनोवेशन हब के हेड व अन्वेषक महीप सिंह और सह अन्वेषक रवीना आहूजा ने मिलकर इस यूनिट को बनाया है। दरअसल, सामान्य जेनरेटर पर बिजली का लोड कम ज्यादा होने पर उसके ईंधन की खपत में कोई विशेष असर नहीं पड़ता है। जिससे जेनरेटर इस्तेमाल करने वालों कम लोड की दशा मे काफी नुकसान उठाना पड़ता है। जेनरेटर चलाने के दौरान कम लोड होने पर भी ईंधन लगभग उतना ही खर्च होता है जितना फुल लोड पर होता है। इस समस्या को दूर करने के लिए महीप सिंह ने यह खास तरह की युनिट बनाई है। बिजली के लोड के अनुसार स्वचालित यह यूनिट जेनरेटर के इंजन और डायनमो के बीच में लगायी जाती है। फीड बैक तकनीकी युक्त यह युनिट लोड के अनुसार इंजन की स्पीड कम या अधिक कर देती है एवं साथ साथ सीवीटी गियर शिफ्टिंग तकनीकी से आरपीएम तय मानक के अनुसार स्थिर रखती है। आकस्मिक लोड बढ़ जाने कि स्थिति मे इस यूनिट में लगा एल्क्ट्रो-मेकनिकल-सिंक्रोनाइजर इंजन को अतिरिक्त घूर्णी ऊर्जा देकर डायनमो के रोटेशन को स्थिर रखता है। यह यूनिट लगातार जेनरेटर प्रयोग करने वालों के लिए काफी फायदेमंद है। हालांकि, अभी तक इसको कॉमर्शियलाइज नहीं किया गया है। तकनीक का पेटेंट पब्लिश हो चुका है, जबकि एमसएमई योजना से नौ लाख रुपये की ग्रांट भी मिली है। विवि के कुलपति जेपी पांडेय ने इस इनोवेशन की सराहना की है।