लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) बुधवार को वीसी प्रो। प्रदीप कुमार मिश्र की अध्यक्षता में हुई परीक्षा समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। परीक्षा समिति ने कॉलेजों को खुद को नंबर एक बताने की होड़ पर लगाम लगाने के लिए रिजल्ट देखने की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब एकेटीयू के रिजल्ट रोल नंबर के आधार पर नहीं बल्कि जन्म तिथि के आधार पर देखे जा सकेंगे। छात्र सिर्फ अपना या संस्थान सिर्फ अपने छात्र-छात्राओं का ही परिणाम देख सकेंगे। परीक्षा नियंत्रक प्रो। अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि आम तौर पर छात्र को किसी दूसरे की जन्मतिथि नहीं पता होती है, इसलिए रिजल्ट जन्मतिथि से देखने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। संस्थान अपने सभी छात्र-छात्राओं के रिजल्ट देख सकेंगे लेकिन दूसरे संस्थान के स्टूडेंट्स के रिजल्ट नहीं देख सकेंगे। कोई संस्थान किसी अन्य का रिजल्ट नहीं देख पाएगा और कोई खुद को नंबर एक कॉलेज होने का दावा नहीं कर सकेगा।

यूपीआई से भी फीस जमा कर सकेंगे छात्र

छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए फीस जमा करने के लिए यूपीआई के प्रयोग को भी बैठक में हरी झंडी दे दी गयी। उस प्रस्ताव भी को हरी झंडी दे दी जिसके तहत अब परीक्षा से पहले ही छात्र अपने सेशनल अंक लॉगिन पर देख सकेगा। इस निर्णय से कॉलेज को समय से सेशनल अंक अपलोड करना होगा। समिति ने परीक्षा भवन की स्थापना के लिए प्रस्ताव देने को कहा है, जिससे कि परीक्षा से संबंधित कार्य बिना व्यवधान पूरा हो सके। बैठक में कुलसचिव सचिन सिंह, वित्त अधिकारी जीपी सिंह, प्रति वीसी प्रो। मनीष गौड़, प्रो। एचके पालिवाल, डिप्टी कंट्रोलर डॉ। एसएस सोम, ज्वाइंट कंट्रोलर राकेश पैजवार, प्रो। मलेंदु मिश्रा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

छात्र दे सकेंगे फीडबैक

बैठक में छात्र और उनके अभिभावकों को अपनी प्रतिक्रिया देने के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से सहमति दे दी गयी। यानी छात्र अब पठन-पाठन एवं परीक्षा से संबंधित अपना फीडबैक यूनिवर्सिटी को दे सकेंगे।

परीक्षा केंद्र बनने से नहीं कर सकेंगे इनकार

अभी तक कई यूनिवर्सिटी से संबद्ध कई संस्थान अपने यहां परीक्षा केंद्र बनाने को लेकर इनकार कर देते हैं। इससे न केवल परीक्षा समय से कराने में दिक्कत आती है बल्कि छात्रों को भी समस्याएं होती हैं। समिति ने निर्णय लिया है कि अब संबद्धता नियम में ही यह रहेगा कि कॉलेज परीक्षा केंद्र बनाये जा सकते हैं। इसके बाद जो कॉलेज इनकार करेंगे उनके खिलाफ सीट कटौती की कार्रवाई की जाएगी।