-नकली शराब बेचने का केस में पूर्व कृषि मंत्री को राहत देने की पूरी प्लानिंग

-1992 में दर्ज हुआ था केस नकली शराब बेचने का केस

-गोंडा जिला प्रशासन की रिपोर्ट से फंसा पेंच, न्याय विभाग में परीक्षण जारी

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LUCKNOW: सुर्खियों में रहने वाले बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित को सपा सरकार जाते-जाते एक बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है। असल में करीब 25 साल पुराने नकली शराब बेचने के केस में बेदाग करने की पूरी योजना है। सपा सरकार ने पंडित सिंह को 'क्लीनचिट' देने के लिए गोंडा जिला प्रशासन से 25 साल पुराने नकली शराब बेचने के केस में मुकदमा वापसी की आख्या तलब की है। फिलहाल, मामला न्याय विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है। न्याय विभाग के सूत्रों के अनुसार गोंडा जिला प्रशासन की निगेटिव रिपोर्ट ने सरकार की मंशा पर काफी हद तक पानी फेर दिया है। बता दें कि हाल ही में केस में पंडित सिंह समेत सभी आरोपितों के अदालत में पेश न होने पर कड़ी फटकार भी लगाई जा चुकी है।

जेल जाने का सता रहा डर

दरअसल, इस मामले में पूर्व मंत्री पंडित सिंह को जेल जाने का डर सता रहा है। इसी वजह से उन्होंने राज्य सरकार से मामला वापस लेने की पैरवी की, जिसके बाद आनन-फानन गोंडा जिला प्रशासन से केस वापसी की रिपोर्ट मांग ली गयी। दरअसल हाल ही में इस मामले को लेकर स्थानीय अदालत ने पूर्व मंत्री, विधायक अवधेश कुमार सिंह समेत छह लोगों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने आरोपियों के हाजिर न होने पर नाराजगी जताते हुए एसपी गोंडा को भी पत्र लिखकर आपत्तिजनक तक करार दिया है।

नकली रम और व्हिस्की मिली थी

आठ जून, 1992 को पुलिस ने मनकापुर स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान से नकली रम और व्हिस्की बरामद की थी। पुलिस ने मामले में विनोद कुमार सिंह, अवधेश सिंह, द्वारिका प्रसाद, हरिंद्र सिंह, नरसिंह व राजेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी व आबकारी अधिनियम समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। मामले की जांच में उनके खिलाफ पुख्ता सुबूत मिलने पर पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल की थी।

जल्दी वापस लेने का दबाव

मामला इतना हाईप्रोफाइल है कि गोंडा जिला प्रशासन से लेकर न्याय विभाग तक बेहद गोपनीय तरीके से रिपोर्ट मंगाकर जल्द से जल्द केस वापस करने का दबाव डाला जा रहा है। हालांकि न्याय विभाग के सूत्रों के अनुसार, डीएम गोंडा ने मामले को वापस लेने की संस्तुति अपनी रिपोर्ट में नहीं की है। बता दें कि राज्य सरकार जिला प्रशासन की रिपोर्ट को मानने के लिए बाध्य नहीं होती है, लिहाजा नई सरकार के शपथ ग्रहण से पहले केस वापस हो भी सकती है। इसी तरह पहले भी मनोज पारस, अभय सिंह जैसे तमाम दागी विधायकों के केस भी वापस लिए जा चुके हैं।

कोर्ट ने दिखाई थी सख्ती

प्रथम अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन जय¨हद कुमार सिंह ने एसपी गोंडा को लिखे पत्र में कहा कि मामला अत्यंत पुराना है। बार-बार आदेश जारी करने के बाद आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जा रही है जो कि आपत्तिजनक है। कोर्ट ने 31 मार्च तक आरोपियों की उपस्थित सुनिश्चित कराए जाने का आदेश दिया है। आदेश के अनुपालन में किसी प्रकार की उदासीनता न बरतने की हिदायत भी दी है। यही नहीं गत 7 मार्च को सभी छह आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था।